Thursday, 25 July 2013

बालक ने पत्र मंजूषा में हाथ डाला। उसने कहा कि ऊपर से फीट फाट भीतर से मुकामा घाट....।

टाइम्स ऑफ इंडिया में चित्र को प्रकाशित किया। शीर्षक था स्पीड पोस्ट.....


 नालंदा। एकंगर सराय रेलवे स्टेशन पर तीव्रगति से डाक पहुंचाने की व्यवस्था की गयी है। शायद आजादी के पहले का ही यह पत्र मंजूषा है। कार्य परिणाम देते-देते रिटायर हो चला है। परन्तु पूर्व मध्य रेलवे तथा पोस्ट बॉक्स के बीच संबंध प्रगाढ़ हो जाने के कारण बॉक्स को रिटायर नहीं किया जा रहा है। पूर्व मध्य रेलवे की भी सोच है कि आजकल के राजनीतिज्ञ कहते हैं कि टायड हूं परन्तु रिटायर्ड नहीं हूं।
 हुआ यह कि एकंगर सराय रेलवे स्टेशन पर काफी समय से गाड़ी के इंतजार में सयाने और बाल-बच्चे उकता गये थे। इसी बीच एक बच्चा ने पोस्ट बॉक्स को देखा। उत्सुकतावश ने एक कागज को अंदर डाल दिया। तब जिसने कागज डाला था उसके हाथ में तीव्रगति से कागज गया। यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि डाकघरों के द्वारा तीव्रगति से काम नहीं हो जाता है। यहां से चले पत्र हफ्तों, महीनों, सालों-साल के बाद लोगों को मिलता है। क्या यह चमत्कार तो नहीं? इस तरह का चमत्कार को नमस्कार करने वाला ही था कि उसे वस्तु स्थिति से अवगत कराया गया।
पटना जिले के पटना सदर प्रखंड के उत्तरी मैनपुरा गा्रम पंचायत में स्थित कुर्जी पुल के बगल में ही एक पत्र मंजूषा था। वह जर्जर हो गया था। लोगों को यह पता नहीं चल पा रहा था कि पत्र मंजूषा जर्जर स्थिति में है। लोग पत्र डालकर बैरंग घर चले आते थे। कुछ समय के बाद अंदर के पत्र का मुंह बाहर दिखायी देने लगता था। वहीं पर भारत संचार निगम में रविशंकर नामक व्यक्ति रहते थे। जो गांवघर के बच्चों को कार्यालय जाने के पहले और कार्यालय से आने के बाद अनौपचारिक शिक्षा देते थे। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के फोटोग्राफर को फोन करके बुलाया और वस्तुस्थिति से अवगत कराया। उसने तत्काल फोटो खींचा और टाइम्स ऑफ इंडिया में चित्र को प्रकाशित किया। शीर्षक था स्पीड पोस्ट..............
 तब बालक ने पत्र मंजूषा में हाथ डाला। उसने कहा कि ऊपर से फीट फाट भीतर से मुकामा घाट................  
आलोक कुमार