Sunday 1 September 2013

नये कानून से भी नहीं होगा किसानों का भला: पीवी राजगोपाल




एकता परिषद के अध्यक्ष पी.वी.राजगोपाल जी का मानना है कि नया अधिग्रहण कानून पुराने कानून से ठीक है, पर इसमें कई खामियां हैं. नये कानून में जमीन के बदले मुआवजा बढ़ा दिया गया है. इससे किसानों को लाभ नहीं होनेवाला. जमीन के बदले जमीन का प्रावधान हो. जमीन किसानों के जीवन से जुड़ी है. कोई भी मुआवजा इसकी भरपायी नहीं कर सकता. दुर्भाग्य की बात है कि देश में समग्र भूमि-नीति नहीं है, न ही जमीन के गवर्नेंस का कोई ढांचा है. ऐसे में भूमि अधिग्रहण कानून बनाना संविधान सम्मत नहीं है. जहां तक निजी कंपनियों के लिए 70 फीसदी किसानों की सहमति से अधिग्रहण करने की बात है, उससे कुछ हासिल नहीं होनेवाला है. सभी जानते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें किसके साथ खड़ी हैं. इस कानून में सरकार ने अधिग्रहण पर सहमति का कोई जिक्र नहीं किया है. ग्रामसभा की अनुमति के बिना अधिग्रहण नहीं होने का प्रावधान भी छलावा है. छत्तीसगढ़ में ग्रामसभा के विरोध के बावजूद कई कंपनियां अपनी इकाई लगा रही हैं. जनसुनवाई के नाम पर सरकारें दमन का रास्ता अपनाती हैं. हमें ध्यान रखना चाहिए कि कृषि से अधिकांश लोगों की आजीविका जुड़ी है. उद्योग स्थापित होने पर कुछ लोगों को ही रोजगार मिलता है. कृषि भूमि अधिग्रहण से खाद्य सुरक्षा की भी गंभीर चुनौती सामने आयेगी. सवाल सिर्फ कानून का नहीं है. इसके क्रियान्वयन का है. सरकारें विकास के नाम पर जमीनों का अधिग्रहण करती रहेंगी. पहले कानून लोगों के लिए बने थे, ताकि सड़क, पुल, स्कूल, अस्पताल खोले जा सकें. धीरे-धीरे यह सरकार का कानून बन गया और बाद में निजी कंपनियों को फायदा पहुंचानेवाला.



By: ANEESH THILLENKERY