Thursday 19 September 2013

हिलसा प्रखंड में रहने वाले बाबू साहबों से जमीन खरीदकर महादलितों को बसाया



तीन गांवों के 307 लोगों को लाभान्वित कराया गया
महादलितों को सीमांकन करके जमीन दी गयी
  नालंदा। नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड के अंचलाधिकारी सतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार आवासहीनों को आवासीय भूमि उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है। वर्ष 2009 से अभी तक 307 महादलितों को आवासीय भूमि खरीदकर दी गयी है। यह जमीन बाबू साहबों से खरीदी गयी है।
  वर्ष 2009 में 96 महादलितों को जमीन दी गयीः
हिलसा प्रखंड के अंचलाधिकारी सतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2009 में रविन्द्र जी सीओ थे। उनके कार्यकाल में 96 आवासीय भूमिहीनों को जमीन दी गयी। इसके बाद मेरे काल में 211 आवासीय भूमिहीनों को जमीन दी गयी। इस तरह कुल 307 लोगों को जमीन दी गयी है। यह जमीन इंदौत,मोबिनपुर और पोसंडा गांव के महादलित मुसहरों को दी गयी है।
इस पर आवासीय भूमि पाने वालों ने आपत्ति दर्ज कियाः
यह सत्य है कि हिलसा प्रखंड के सीओ साहब के द्वारा जमीन दी गयी है। मगर जमीन का कागजात नहीं दी गयी है। जो गैरमजरूआ भूमि मिलने वालों को पट्टा मिलता था। वैसा पट्टा देकर कागजात दे दिया गया है। इस पर सीओ साहब का कहना है कि इनको बाबू साहबों की जमीन को खरीदकर दी गयी है। बाजाप्ता रैयती जमीन की कागजात दी गयी है। वहीं महादलितों का कहना है कि उनको नामालूम है कि किसको कौन सा भूखंड है। इस पर सीओ साहब का कहना है कि अगर महादलितों को साफ-साफ पता नहीं चल पा रहा है,तो फिर से अमीन को भेजकर सीमांकन करके जमीन को महादलितों के हाथ में सौंप देंगे।
कुछ चौंकाने वाले रहस्य को सीओ साहब ने खोलाः
बिहार सरकार के द्वारा पंचायत में गैरमजरूआ जमीन नहीं होने की स्थिति में महादलितों को जमीन खरीदकर दी जा रही है। मगर महादलित भ्रम में पड़ गये हैं। अन्य व्यक्तियों के बहकावे में गये हैं। देख लो आपकी जमीन के ऊपर से ही बिजली का तार प्रवाहित हो रहा है। कुछ भी हो सकता है। बस इसी बहकावे में महादलित पड़ गये हैं। कई गांव में जमीन से ऊपर तार दौड़ाया गया है। महानगरों और शहरों में स्वयं आप देख सकते हैं। इन लोगों को समझाने एवं बुझाने की जरूरत है। ऐसा हो कि महादलित अपनी जमीन खो दें। दबंग कब्जा कर लेंगे। उसके बाद आकर महादलित शिकायत करेंगे कि दबंग जमीन हथिया लिया है।
अब सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका बढ़ गयीः
अब सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका बढ़ गयी है। अब उन्हें महादलितों की शिकायत और सीओ साहब के रहस्य को जांचना और परखना पड़ेगा। इसके बाद ही वास्तविक हकीकत सामने आएगी। अगर सच में सरकार के द्वारा महादलितों के सिर पर मौत का तार रखकर महादलितों को मरने का प्रमाण रूपी जमीन का कागजात हाथ में थमाया जा रहा है। तो जरूर ही महादलितों के साथ मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करनी पड़ेगी।
आलोक कुमार