Thursday 19 September 2013

बिहार के 33 जिले सूखाग्रस्त घोषित


आपदा रिस्पांस निधि से दी जानेवाली सहायता के प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू
प्रभावितों को केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा मलहम लगाने की कोशिश
गया। बिहार में वर्ष 2013 में मॉनसून की वर्षा की स्थिति अत्यधिक दयनीय है। वर्षा की कमी के फलस्वरूप खरीफ फसल (धान) की रोपनी/बुआई लक्ष्य से कम हो पाई है। जिन क्षेत्रों में रोपनी/बुआई की गयी है, वहाँ भी अल्प वर्षापात के कारण उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना
घोषित जिलों का नामः
 पटना, भोजपुर, बक्सर, कैमुर, नालन्दा, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, नवादा, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, बेगुसराय, खगड़िया, पूर्णियां, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, भागलपुर, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली, शिवहर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, मधुबनी, दरभंगा एवं समस्तीपुर जिले को सूखाग्रस्त को घोषित कर दिया है। अब सिविल सोसायटी का दायित्व बढ़ गया है। जल्द से जल्द अपने संसाधनों से सूखा पीड़ितों को सहायता पहुंचाएं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार नजर रख रही हैः
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा 33 जिलों को ही सूखाग्रस्त घोषित कर रखा है। इस तरह अररिया, किशनगंज,बांका,अरवल और रोहतास को छोड़ दिया गया है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार 5 जिलों पर नजर रख रही है। आज जहां राज्य के 33 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित की गयी। वहीं कुदरत ने जोरदार वर्षा भी दे दी। इस वर्षा से लोग खुश हो गए हैं।
निश्चित तौर पर किसान और मजदूर हो गये बेहालः
भारत मौसम विभाग एवं कृषि विभाग, बिहार से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार राज्य में वर्षापात की स्थिति अत्यंत खराब है। 01 जून से 11 सितम्बर तक राज्य में 892.2 मि0मी0 औसत वर्षापात के विरूद्ध आलोच्य अवधि में मात्र 668.6 मि0मी0 बारिश ही हो पाई है। वर्षापात अनियमित भी रहा है। इस प्रकार वर्षापात में औसतन 25 प्रतिशत की कमी पाई गई है। राज्य में धान की रोपनी/बुआई का समय जुलाई-अगस्त का माना जाता है। प्राप्त आंकड़ो के विष्लेषण से स्पष्ट हुआ है कि जुलाई-अगस्त माह में राज्य में 634.7 मिमी0 औसत वर्षापात के विरूद्ध मात्र 402.2 मि0मी0 वर्षापात रहा है। इस प्रकार रोपनी/बुआई के समय में वर्षापात में 37 प्रतिशत की कमी पायी गयी है।अल्प वर्षापात के कारण राज्य के भू एवं सतही जलस्त्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं। राज्य के कई भागों में जलस्त्रोत सूख रहे हैं एवं जलाशयों तथा भूगर्भ जलस्तर में कमी आयी है। कृषि एवं जल संसाधनों के अतिरिक्त सूखे का कुप्रभाव पशु संसाधन एवं रोजगार पर भी पड़ने की प्रबल संभावना है। इस प्रकार कुल मिलाकर राज्य में सुखाड़ के कारण आपदा की स्थिति बन गई है।
एसडीआरएफ  तथा एनडीआरएफ से दी जानेवाली सहायता के प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू:
अधिसूचित जिलों में सुखाड़ से निपटने हेतु राज्य आपदा रिस्पांस निधि (एसडीआरएफ ) तथा राष्ट्रीय आपदा रिस्पांस निधि (एनडीआरएफ) से दी जानेवाली सहायता के प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।अधिसूचित जिलों में किसानों से सहकारिता ऋण, राजस्व लगान एवं सेस, पटवन शुल्क, विद्युत शुल्क जो सीधे कृषि से संबंधित हो, की वसूली वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए स्थगित रहेगी। प्रभावित जिलों में फसल को बचाने, वैकल्पिक कृषि कार्य की व्यवस्था करने, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने, पशु संसाधनों का सही रख-रखाव करने, इत्यादि, के लिए आवश्यकतानुसार साहाय्य कार्य चलाने, आदि की व्यवस्था की जाएगी .

कृषि प्रक्षेत्र में डीजल, बीज आदि पर सब्सिडी की व्यवस्थाः
कृषि विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार फसल की सुरक्षा एवं बचाव के लिए कृषि इनपुट के रूप में डीजल, बीज आदि पर सब्सिडी की व्यवस्था। वैकल्पिक फसल योजना तैयार कर उसके सफल क्रियान्वयन हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी। सतही जलस्त्रोतों के सूखने के कारण कृत्रिम माध्यमों से इसकी वैकल्पिक व्यवस्था  आवश्यक है। इसके लिए जल के अन्य स्रोतों को सुदृढ़ करना होगा। इस हेतु जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग आकस्मिक योजना तैयार कर इसका कार्यान्वयन करेंगे। खरीफ फसल के लिए डीजल अनुदान के लिए स्वीकृति दी गई है। उपरोक्त व्यवस्था आवश्यकता होने पर रबी फसल के लिए भी की जाएगी। सहकारी तथा राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से कृषि ऋण उपलब्ध कराने हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी। किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलवाने हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी।
पेयजल की व्यवस्था में मुख्य तौर पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और नगर विकास विभागः
जलापूर्ति की व्यवस्था लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, नगर विकास विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों द्वारा ‘‘पेयजल संकट प्रबंधन हेतु मानक संचालन प्रक्रियाके अनुसार की जाएगी। सूखागस्त क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति हेतु पूर्व   लगाये गये चापाकलों/ नलकूपों की मरम्मति की जाएगी। आवश्यकता का आकलन कर पुराने चापाकलों को और गहरे स्तर तक गाड़े जाने की आवश्यकता होगी। जरूरत के अनुसार नये नलकूप/ चापाकल भी लगाये जायेंगे। प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। पाइप जलापूर्ति योजनाओं के लिए विद्युत आपूर्ति की सुदृढ़ व्यवस्था रहेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में बन्द चापाकलों को चालू करने प्रयासः
ग्रामीण क्षेत्रों में बन्द चापाकलों की साधारण तथा विशेष मरम्मति की व्यवस्था की जाएगी। सूखाप्रवण जिलों में भूजलस्तर और अधिक प्रभावित होने की संभावना है। उन क्षेत्रों में आवश्यकता होने पर उपयुक्त स्थानों से पानी भरकर टैंकर एवं ट्रक या ट्रैक्टर पर पी.वी.सी. टैंक बैठाकर 5 से 10 कि.मी. तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। इन जिलों में अतिरिक्त सबमर्सिबल पंप रखे जायेंगे ताकि कहीं खराबी आने पर उसे तुरंत बदलकर जलापूर्ति चालू रखा जा सके। टैंकर एवं ट्रैक्टर पर पी.वी.सी. टैंकों को भरने के लिए हाईड्रेंट का निर्माण किया जाएगा। निर्माणाधीन पाईप जलापूर्ति योजनाओं को यथाशीघ्र पूर्ण किया जाएगा। नगर विकास विभाग एवं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा विभागीय स्तर पर एक सहायता दूरभाष (हेल्पलाइन) की व्यवस्था की जायेगी जहाँ क्रमशः शहरी एवं ग्रामीण पेय जलापूर्ति की शिकायत दर्ज की जा सकती है।
खाघ एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग सुनिश्चित करेगाः
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग यह सुनिश्चित करेंगे कि जिलों में पर्याप्त खाद्यान्न का भंडारण है। अन्नपूर्णा एवं अंत्योदय योजनाओं के अंतर्गत खाद्यान्न की उपलब्धता एवं इसके उठाव का गहन अनुश्रवण किया जाएगा। विषम स्थिति में राज्य सरकार द्वारा मुफ्त साहाय्य वितरण हेतु खाद्यान्न का पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था रखी जाएगी। इस हेतु केन्द्र सरकार से अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया जाएगा। सुखाड़ग्रस्त जिलों के सभी पंचायतों में शताब्दी अन्न कलश योजना के अंतर्गत एक-एक क्विंटल खाद्यान्न रिवाल्विंग स्टॉक के रूप में चिन्हित जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों के पास सुरक्षित रखा जाएगा ताकि भूख से प्रभावित व्यक्तियों को मुफ्त खाद्यान्न तत्काल उपलब्ध कराया जा सके।
मुफ्त साहाय्य वितरण करने का निर्णय शीघ्र:
मुफ्त साहाय्य वितरण का निर्णय यथा समय आश्यकतानुसार संबंधित जिला पदाधिकारी  के प्रतिवेदन एवं आपातकालीन प्रबंधन समूह के अनुशंसा के आलोक में राज्य कार्यकार्यकारिणी समिति द्वारा लिया जाएगा। मुफ्त साहाय्य वितरण के पात्र वे व्यक्ति/परिवार होगें जिन्हें जीवन यापन के लिए तुरन्त सहायता की आश्यकता है, जिनका अन्न भण्डार समाप्त हो गया हो एवं जिनके पास जीवन यापन का कोई तत्काल साधन हो।
पशु संसाधन की दिशा में पशुचारा पर जोरः
सुखाड़ के कारण  पशुचारा की तात्कालिक कमी नहीं है, परन्तु कालान्तर में कृषि फसल अवशेष की लगातार कमी के कारण इसके दीर्घकालीन प्रभाव अवश्यंभावी है। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग पशुचारा की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगा। सुखाड़ की स्थिति में जलाशय सूख रहे हैं जिसके कारण पशुओं के लिए पेयजल की नितांत कमी हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में जिला पशुपालन पदाधिकारियों द्वारा स्थिति का आकलन कर स्थल का चयन किया जाएगा तथा इन चयनित स्थलों को शिविर के रूप में चिन्हित किया जा सकेगा। इन चिन्हित स्थलों पर विभाग द्वारा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग तथा लघु सिंचाई विभाग के सहयोग से जल की व्यवस्था की जाएगी। सुखाड़ के कारण पशुओं में इफिमेरल फीवर, हीट स्ट्रोक, न्यूमोनिया, दस्त जैसी सामान्य पशु रोगों की बहुतायत होती है। इन हेतु पशु चिकित्सालयों में दवा का भंडारण कर लिया जाएगा, जिनमें एंटि बायोटिक्स, एनालजेसिक, परासिटामोलएंटि डायरियल, लीवर टॉनिक, नॉरमल सलाईन, एलेक्ट्रोलाइट इन्यूजन लिक्विड, आदि का क्रय आवश्यकतानुसार किया जाएगा।
महात्मा गांधी नरेगा से होगा रोजगार सृजनः
सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि कार्य की कमी के कारण मजदूरों के समक्ष रोजीरोटी का संकट उत्पन्न होगा। अतएव ग्रामीण विकास विभाग द्वारा रोजगारोन्मुख कार्यक्रमों के कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण में गतिशीलता लायी जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के सृजन हेतु मनरेगा के अन्तर्गत स्वीकृत योजनाओं की सूची तैयार रखी जाएगी जिसमें जल संरक्षण की योजना यथा - तालाब, आहर एवं पाइन उड़ाही, चेक डैम, डगबेल, वृक्षारोपण इत्यादि की परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रत्येक पंचायत में जल संरक्षण की न्यूनतम दो-दो योजनाएं संचालित की जाएगी। अन्य संबंधित विभाग भी सूखे से उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए मनरेगा के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार रोजगारोन्मुख परियोजनाओं का कार्यान्वयन करेंगे। मनरेगा के अन्तर्गत सुखाड़ग्रस्त जिलों में रोजगारोन्मुखी परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आवश्यकतानुसार केन्द्रांश विमुक्ति के प्रत्याशा में राज्यांश की विमुक्ति की कार्रवाई विहित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी।
लघु जल संसाधन से सिंचाई की व्यवस्थाः
राज्य में सरकारी नलकूपों के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था है। यह सुनिष्चित किया जाएगा कि सरकारी नलकूप ऊर्जान्वित रहे ताकि इनके माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध रहे। साथ ही सतही एवं भूगर्भ जलस्त्रोतों जैसे - तालाब, पोखर, आहर को रिचार्ज करने हेतु आवष्यक कदम उठाये जायेंगे। भूजल रिचार्ज की योजनाएॅं भी ली जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्र में न्यूनतम 8 घंटे विद्युत आपूर्ति निश्चितः
पम्प, नहर योजनाएं, राजकीय नलकूप, सिंचाई योजनाएं एवं निजी नलकूप - सभी बिजली पर आधारित है। अतः ऊर्जा विभाग द्वारा कृषि एवं अन्य कार्यों हेतु सुखाड़ से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम निर्घारित 8 घंटों के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी तथा इसका प्रचार-प्रसार समाचार पत्रों के माध्यम से किया जाएगा।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में सिविल सर्जन के अधीन एक मॉनेटरिंग सेल का गठनः
सूखाग्रस्त क्षेत्रों में डायरिया एवं भीषण गर्मी के प्रकोप से उत्पन्न होनेवाली बीमारियां यथा- दस्त, कॉलरा, अतिसार, मियादी, बुखार, मिजिल्स, डिहाईड्रेशन, डर्मेटाईटिस, हीट स्ट्रोक आदि की रोकथाम हेतु सभी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों/ उप केन्द्रों एवं अन्य चिकित्सालयों में वांछित दवाओं एवं जीवन रक्षक घोल (आर0आर0एस0) का पर्याप्त  भंडारण कराया जाएगा। प्रभावित जिलें में मोबाईल मेडिकल केयर यूनिट की प्रतिनियुक्ति की जाएगी। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केन्द्रों में 0आर0एस0 एवं परासिटामोल आदि दवाओं का भंडारण किया जाएगा तथा इसे आषा कार्यकर्त्ताओं के माध्यम से आवश्यकतानुसार वितरित कराया जाएगा। प्रत्येक जिला में सुखाड़ की अवधि तक सिविल सर्जन के अधीन एक मॉनेटरिंग सेल का गठन होगा जिसमें पदाधिकारी एवं कर्मचारी 24 घंटे कार्यरत रहेंगे।
महिलाओं एवं बच्चों की देखभाल पर जोरः
सुखाड़ग्रस्त क्षेत्रों में बच्चों एवं गर्भवती तथा धातृ महिलाओं को कुपोषण से बचाने हेतु पूर्व में चलाये जा रहे कार्यक्रमों के अंतर्गत पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जाएगी। प्रत्येक केन्द्र पर उपलब्ध मेडिकल किट में 0आर0एस0 एवं पारासिटामोल दवा भी रखी जाएगी। इस व्यवस्था का नियमित एवं विधिवत रूप से अनुश्रवण किया जाएगा ताकि सुखाड़ की स्थिति में इसका प्रभावकारी एवं सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सके।
सभी हुजूर लोग सुखाड़ कार्य का अनुश्रवण करेंगेः
जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी के नेतृत्व में सुखाड़ साहाय्य कार्य चलाए जायेंगे। सुखाड़ के अनुश्रवण हेतु जिला स्तर पर 24 घंटे क्रियाशील नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जाएगी। इसकी दूरभाश संख्या को आम जनता की जानकारी हेतु समाचार पत्रों में प्रकाशित कराया जाएगा। नियंत्रण कक्ष में रोस्टर में सिविल पदाधिकारियों के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सेवाओं के पदाधिकारी भी प्रतिनियुक्त किये जाएंगे। जिला पदाधिकारी के अधीन गठित टास्कफोर्स सुखाड़ से उत्पन्न स्थिति एवं इसके निवारण हेतु किये जा रहे प्रयासों का साप्ताहिक अनुश्रवण करेगा।

राज्य स्तर पर गठित सीएमजी भी रहेगा सचेतः
राज्य मुख्यालय में आपदा प्रबंधन विभाग में राहत कार्य के अनुश्रवण हेतु गठित नियंत्रण  कक्ष निरंतर क्रियाशील रहेगा। ऊर्जा विभाग, कृषि विभाग, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जाएंगे जो निरंतर क्रियाशील रहेंगे। राज्य स्तर पर गठित आपातकालीन प्रबंधन समूह (Crisis Management Group) निरंतर क्रियाशील रहेगा तथा सुखाड़ग्रस्त जिलों में राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का सतत् अनुश्रवण करेगा। बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव राजीव कुमार सिंह ने जानकारी दी है।

आलोक कुमार