35 परिवारों को तीन डिसमिल जमीन का पट्टा दिया
पट्टाधारी न जमीन को देखे और न ही जमीन पर ही पैर पसारे
लाख गाल
बजा लें सरकार ।
परन्तु यह हकीकत है कि
वर्तमान सरकार आकड़ेबाजी और
कागजी कार्रवाई करने
वाली सरकार साबित
हो रही है। जो प्रमाण उपलब्ध है
इससे तो साबित
हो जा रही
है कि सरकार
ने 35 महादलित परिवारों
को 3.3 डिसमिल का पर्चा
दी परन्तु सरकार
ने महादलित परिवारों
को कब्जा दिलवाने
में नामकायब रह
गयी। तब न
अपना बिहार के
राजस्व एवं भूमि
सुधार मंत्री रमई
राम जी को
बार-बार कहना
पड़ता है कि
जिनको पर्चा निर्गत
किया गया हैं।
उनको जमीन पर
कब्जा दिलवाने के
लिए सरकार कटिबद्ध
है। हां, मंत्री
महोदय जरूर ही
दिल खोलकर बात
करते हैं। जब
कोई बासगीत पर्चा
मिलने के बाद
भी भूमिहीनों का
जमीन पर कब्जा
नहीं होने की
बात करने लगते
हैं। तब तो
बुजुर्ग मंत्री जी ताव
में आ जाते
हैं। मौखिक और
अखबारों में बयान
देकर कहते रहते
हैं कि तमाम
पर्चाधारियों को हर
हाल में जमीन
पर कब्जा दिलवा
देंगे। इसके लिए
विभाग के नौकरशाह
भी प्रयासरत हैं।
उनके द्वारा कार्य
किया भी जा
रहा है। ने
की बात जोरदार
ढंग से करते
हैं उनका हक
है जमीन पर
कब्जा मिलने का
वह जरूर ही
दिलवाया जायेगा। श्री राम
ने कहा कि
जिनके पास पर्चा
है वे पर्चा
दिखाएं। उन्हें हर हाल
में जमीन पर
कब्जा दिलाया जायेगा।
अगर माननीय राजस्व
एवं भूमि सुधार
मंत्री रमई राम
और उनके विभाग
के नौकरशाह सूची
मांगे तो जरूर
सूची उपलब्ध करा
दिया जाएगा। केवल
शर्त है कि
इन पर्चाधारी महादलित
परिवारों को जल्द
से जल्द जमीन
पर कब्जा करा
दिया जाए।
खैर,
जल,जंगल और
जमीन की जंग
लड़ने वाली जन
संगठन एकता परिषद
के दबाव पर
अथवा सुशासन बाबू
के इमेज बढ़ाने
के ख्याल से
आवासहीनों को 3 डिसमिल
जमीन देने का
ऐलान किया जाता
है। वह चाहे
1 डिसमिल जमीन क्यों
न हो ? राजधानी
से मात्र 45 किलोमीटर
की दूरी पर
बिक्रम प्रखंड है। नक्सल
प्रभावित क्षेत्र भी है।
यहां पर काफी
गरीबी और लाचारी
भी है। आवासहीनों
की भी संख्या
अधिक हैं। सो
स्थानीय पदाधिकारियों ने मिलकर
गरीबी रेखा के
नीचे जीवन बसर
करने वाले महादलित
परिवारों को चिन्हित
करके तीन-तीन
डिसमिल जमीन देने
का निश्चय किया। इस प्रक्रिया
में वर्ष 2009.2010 में
13 और 2010.2011 में 12 महादलित परिवारों
को पर्चा दिया
गया। दिनांक 17.1.12 को
अंचलाधिकारी,उप समाहर्ता,भूमि सुधार
और अनुमंडल पदाधिकारी
के हस्ताक्षर किया
गया। यहां यह
विडम्बना है कि
जमीन का पर्चा
किसी के साथ
है और जमीन
किसी और के
हाथ में है।
नौकरशाहों ने कागजी
कार्रवाई करके कागजी
शेर दौड़ाकर सरकारी दायित्व का
अंजाम तो दे
दिये। मगर उनके
साथ यानी महादलितों
के साथ महाधोखा
कर दिये। 35 परिवार
के लोगों ने
तीन डिसमिल जमीन
का पर्चा को
सीने से सटाकर
रख लिये है।
मगर पर्चाधारी न
जमीन को देखे
और न ही
जमीन पर ही
पैर पसारने में
कामयाब हो सके
हैं।

इस तरह
की अकेली घटना
सिर्फ मो0दुलिया
कुवंर की ही
नहीं है। बल्कि
35 महादलित परिवारों की है।
जिसे सरकार ने
कागजी पर्चा देकर
ठगाकर रख दिया
है। इसमें नट
परिवार के 19, चौधरी परिवार
के 13 और मुसहर
के 3 परिवार की
है। बिक्रम प्रखंड
के रानी तालाब
थानान्तर्गत 19 परिवारों को और
बिक्रम थाना के
16 परिवारों को पट्टा
दिया गया है।
रघुनाथपुर गांव के
19 गांव, अराप गांव
के 13 और वसीरपुर
के 3 लोगों को
महादलित परिवारों को पट्टा
मिला। वर्ष 2009.2010 में
13 और 2010.2011 में 12 लोगों को
पर्चा मिला।

आलोक कुमार