Saturday 12 October 2013

जमीन का मुआवजा लेने को किसान गोलबद्ध हुए



दीघा थानाध्यक्ष के आदेश से प्रदर्शन नहीं हुआ

मुख्यमंत्री के नाम से आवेदन को थानाध्यक्ष को ही सौंप दिया

पटना। दीघा दियारा की जमीन पर लोकनायक गंगा पथ निर्माण संबंधित जमीन का मुआवजा लेने को किसान गोलबद्ध हो गये हैं। अव्वल दीघा थानाध्यक्ष पी0के0 झा ने किसानों को अरमानों को तोड़ दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर आवेदन देंगे। दूसरे बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारर्पाेशन लिमिटेड के अध्यक्ष प्रत्यय अमृत ने कहा कि जिन लोगों की जमीन जा रही है। सब जमीन का कागजात दिखाए तो उनको उचित मुआवजा दिया जाएगा। इन दोनों अधिकारियों के कारण किसान हतोत्साह हो गये हैं।
सौ साल के लीज समाप्ति होने के बाद किसानों ने लीज को आगे नहीं बढ़ायाः
जानकार लोगों का कहना है कि किसानों के नाम से सौ साल के लीज समाप्ति होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने दीघा से कैनाल निर्माण करके गंगा नदी को राजधानी के किनारे लाने का प्रयास किये थे। उस समय किसानों से कहा गया कि अगर जमीन आपकी है तो कागजात दिखाएं। मगर किसी ने कागजात नहीं दिखाया। इसके कारण  जमीन को खास महल घोषित कर दिया गया। लोगों का कहना है कि 1952 में सर्वे किया गया था तो उस समय किसानों के नाम से जमीन बदोबस्ती कर दी गयी थी। अभी यह मामला उप समाहर्ता राजस्व भूमि के पास विचाराधीन है।
यह लिखा गया मुख्यमंत्री के नाम में:
दीघा दियारा की जमीन किसानों की निजी जमीन है। जिसपर सैकड़ों वर्षों से कब्जा चला रहा है। जमीन बहुत ही उपजाऊ है जिससे हजारों किसानों एवं मजदूरों की जीविका चल रही है। यह जमीन हरी सब्जी का उत्पादन केन्द्र है। जिसे पूरा पटना शहर ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों एवं प्रदेशों में सब्जी भेजी जाती है। यह जमीन किसानों के लिए केश क्रॉपस है जिसपर आलू,प्याज, कोभी, परवल तथा विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियां ऊपजाई जाती है।
जमीन का किसानों के नाम से जमाबंदी कायम है और अंचल कार्यालय द्वारा राजस्व की नकदी रसीद भी कटती है। विगत कुछ साल पहले बिहार सरकार के भूमि सुधार विभाग द्वारा नया सर्वे कराकर किसानों के नाम से खाता, प्लॉट का आवंटन भी किया गया है तथा नक्शा भी बनायी गयी है।
लेकिन दुःख के साथ निवेदन करना है कि लोकनायक गंगा पथ बनाने हेतु पटना जिला प्रशासन द्वारा जमीन का घेराबंदी कर दी गयी है। जिसकी सूचना तक किसानों को नहीं दी गयी है। किसानों की खेती करने से मना कर दिया गया है। फलस्वरूप किसानों एवं मजदूरों के समक्ष अजीबोगरीब परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है।
नियमानुसार कोई भी जमीन अर्जित करने के पहले बिहार सरकार के द्वारा बिहार गजट के अनुसार नोटिफिकेशन के माध्यम से इस्तेहार द्वारा किसानों को सूचित किया जाता है। लेकिन वैसा कर खेती की जमीन को नष्ट किया जा रहा है। हाल-फिलहाल में केन्द्र सरकार के द्वारा भूमि अधिग्रहण विधेयक पास करके कानून बनायी गयी है जो पूर्णतः किसानों के हित में है जिससे स्पष्ट किया गया है कि 80 प्रतिशत किसानों की सहमति से भूमि अर्जन की कारवाई की जायेगी एवं ग्रामीण एवं शहरी दो भागों को अलग-अलग रेट का अनुसार जमीन का मुआवजा का प्रावधान किया गया है।
लेकिन बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन उस विधेयक को नजरांदाज कर बलपूर्वक किसानों की खेती वाली जमीन से बेदखल करने जा रही है। इस बर्बरतापूर्वक कारवाई से दीघावासी पूर्ण रूप से मर्माहत है और जमीन पर कट-मरने को तैयार है और अंादोलन हेतु पूर्ण रूप से संगठित है। अगर किसी प्रकार की घटना होती है तो सरकार एवं प्रशासन सीधे जिम्मेवार होगी। मुख्यमंत्री से निवेदन है कि किसानों को नया भूमि अधिग्रहण कानून के तहत उचित मुआवजा देने की कारवाई की जाये ताकि शांति का वातावरण बनी रहे।
इस आवेदन पर रामपदारथ सिंह को संयोजक और शिवशंकर शर्मा को उप संयोजक दिखाया गया है। इसके अलावे रामानंद यादव, नीरज कुमार, सुरेश प्रसाद सिंह, उमेश प्रसाद सिंह, अर्जुन राय, रामानंद राय, राज बल्लभ सिंह, केश्व महतो, अमरेन्द्र कुमार, महेश सिंह, श्याम नारायण राय, रामा महतो, बिट्टू सिंह, विघा नंद राय, जगदीश सिंह, सत्येन्द्र कुमार सिंह, राम सुन्दर प्रसाद, उदय चौधरी, वृज प्रसाद, बिजेन्द्र कुमार, शिवशंकर सिंह, कामेश्वर सिंह, आर पी सिंह, बिहटन राय, उमा शंकर आर्य, रामानंद राय और शशि राजा हस्ताक्षर किये हैं।
लोकनायक गंगा पथ कार्यारंभ स्थल का शिलान्यास कार्यक्रम में शिरकत कियेः
यह सत्य है कि सभी किसान लोकनायक गंगा पथ कार्यारंभ स्थल के कार्यक्रम में शिरकत किये। दीघा थानाध्यक्ष पी के झा ने कहा कि यह आवेदन डीएम के माध्यम से मुक्ष्यमंत्री तक पहुंचा दिया जाएगा।
आलोक कुमार