सूबे में बिहार घरेलू कामगार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 को मुस्तैदी से लागू करने की मांग
कपड़े में हस्ताक्षर करने का अभियान जारी
पटना। बिहार घरेलू कामगार यूनियन,पटना की तरह ही बढ़ते भारत के कुछ राज्य में घरेलू कामगारों के पक्ष में कपड़े में हस्ताक्षर करने का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें बिहार, झारखंड,उड़ीसा, तमिलनाडू,केरल आदि प्रदेश के लोग शामिल हो रहे हैं। 29 जुलाई,2013 को जंतर-मंतर पर धरना देंगे। 30 जुलाई को प्रेसवार्ता करेंगे और 31 जुलाई को प्रधानमंत्री को हस्ताक्षरित कपड़े को सौंपा जाएगा। इसके साथ ही स्मार पत्र पेश करके घरेलू कामगारों के पक्ष में काम करने का आग्रह किया जाएगा।
केन्द्र और राज्य सरकारों ने वतन से अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद सोच समझ कर अनेक कानून बनाये हैं। उन कानूनों में बिहार घरेलू कामगार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 भी शामिल है। इसके तहत घर के अंदर काम करने वालों को न्यूनतम मजदूरी देने का प्रावधान किया गया है। इस कानून के बारे में व्यापक जानकारी नहीं देने तथा कानून को विस्तार से प्रचारित नहीं करने के कारण घरेलू कामगारों का सामाजिक,आर्थिक,शारीरिक,मानसिक,धार्मिक आदि क्षेत्र में शोषण होता रहा।
इधर कुछ सालों से बिहार घरेलू कामगार यूनियन,पटना के द्वारा घरेलू कामगारों बिहार घरेलू कामगार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 के आलोक में घरेलू कामगारों के अधिकार दिलवाने का प्रयास सरकार और उनके मालिकों से बातचीत की जाती है। सरकार को मालिक को कर्त्तव्य बोध भी करवाया जाता है। इसका सार्थक परिणाम भी सामने आया है। केन्द्र सरकार ने अन्तर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन -189 की 100 वीं बैठक में शिरकत करके महत्वपूर्ण वोट दिये। घरेलू कामगारों के समर्थन में पड़े 396 वोटों में भारत भी शामिल है। इसके बाद राज्य सरकार ने बिहार सरकार के द्वारा घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी लागू कर दी है। बाजाप्ता अधिसूचना संख्या 5/एम0डब्ल्यू0-401/07 श्रम संख्या-980 दिनांक 28 सितंबर,2011 से से लागू कर दिया है। निर्धारित न्यूनतम मजदूरी दिनांक 1 अप्रैल,2012 को आधार बनाया गया है। और तो और बाजार भाव के अनुसार 1 अक्तूबर,2012 से लागू परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता का भी प्रावधान कर दिया है। एक घंटा काम करने वालों को 33 रूपए का परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता और 8 घंटा काम करने वालों को 262 रूपए के रूप में परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता की राशि दिनांक 1 अप्रैल,2013 से प्राप्त हुआ। इस समय में घरेलू कामगारों को तीन श्रेणी में काम करने से प्रति माह 503 रूपए देना है। इनको प्रतिदिन सिर्फ 1 घंटा में (क) बर्त्तन धोना, (ख) कपड़ा धोना/बर्त्तन धोना, (ग) कपड़ा धोना,बर्त्तन धोना, एक हजार स्कावर फीट में पोछा लगाना पड़ता है। उसी तरह (क)कपड़ा धोना/ बर्त्तन धोना/पोछा लगाना एवं बच्चों की देखभाल करना और (ख) कपड़ा धोना/बर्त्तन धोना, पोछा लगाना/बच्चों की देखभाल करना/बच्चों को स्कूल पहुंचाना एवं वापस लाना तथा अन्य घरेलू विविध कार्य करना है। इनको प्रत्येक दिन 8 घंटा काम करना है। कुल 4011 रूपए देना है।
बेहतर ढंग से परिभाषित करने के बाद भी घरेलू कामगारों को आजादी के 65 साल के बाद भी न्याय नहीं मिल पा रहा है। आज कामगार खुद को कैद महसूस करते हैं। यहां पर आजादी नहीं मिलती। अल्पवेतन देने और शारीरिक शोषण करना मामूली बात है। उस समय सरकार और नौकरशाह भी नजर फेर लेते हैं। आजतक न्यूनतम मजदूरी नहीं देने का मामला श्रम न्यायालय में दर्ज नहीं कराया जा सका है। कामगारों की निकलती आवाज को कुचल दी जाती है। उल्टे आरोपित कर दी जाती है। कि मालिक को भायादोहन करने के लिए मामले को दर्ज करवाने की चाहत रखती है। आज अधिकतर घरेलू कामगार झारखंड और अपना प्रदेश की होती हैं। इनको घरेलू कामगारों के अधिकार और कर्त्तव्य के बारे में जानकारी नहीं रहती है। इनको बिहार घरेलू कामगार यूनियन, पटना में निबंधित किया जाता है। इनको कुछ प्रशिक्षण दिया जाता है। अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। बड़ी दुःख के साथ कहना पड़ता है कि घरेलू काम को काम या रोजगार नहीं समझा जाता है। इस काम और कामगार के प्रति समाज का नजरिया सम्मानपूर्ण नहीं है। इस काम को जुठ्ठा माना जाता है। वहीं फाइव स्टार होटलों में काम करने वाले लोगों को इज्जत देते हैं। उनको मोटी रकम पगाड़ के रूप दिया जाता है। बड़े-बड़े होटलों से खा पीकर निकलने के बाद गिफ्ट में रकम देते हैं। इस तरह की नजरिया बदलने की जरूरत है।
बिहार घरेलू कामगार यूनियन,पटना की तरह ही बढ़ते भारत के कुछ राज्य में घरेलू कामगारों के पक्ष में कपड़े में हस्ताक्षर करने का अभियान चलाया जा रहा है। सुशमा खाखा, नवमी टुडू, ज्योति कुमारी विजय एक्का और असरीता टोप्पो आदि हस्ताक्षर करवा रहे हैं। इसमें बिहार, झारखंड,उड़ीसा, तमिलनाडू,केरल आदि प्रदेश के लोग शामिल हो रहे हैं। 29 जुलाई,2013 को जंतर-मंतर पर धरना देंगे। 30 जुलाई को प्रेसवार्ता करेंगे और 31 जुलाई को प्रधानमंत्री को हस्ताक्षरित कपड़े को सौंपा जाएगा। इसके साथ ही स्मार पत्र पेश करके घरेलू कामगारों के पक्ष में काम करने का आग्रह किया जाएगा।
आलोक कुमार