पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समधियाना भी है। पूर्व
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के सुपुत्र का विवाह हुआ है। फिर भी महादलित बुनियादी
सुविधाओं से जूझ रहे हैं।
पटना।
पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर 1 में है दीघा
मुसहरी। महादलित मुसहर समुदाय के लोग इस मुसहरी को शबरी कॉलोनी भी कहते हैं। मजे
की बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समधियाना भी है। पूर्व
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के सुपुत्र का विवाह हुआ है। फिर भी महादलित बुनियादी
सुविधाओं से जूझ रहे हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम के तहत मकान निर्माणः यहां पर सरकार के द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम
के तहत 64 मकान निर्माण किया गया। जो अब जर्जर हो गया
है। खप्पड़ वाला मकान से खप्पड़ गायब हो गया है। जो बरसात के समय झरना बन जाता है।
मकान में पानी भर जाता है। नीचे में पानी और चौकी पर समान रखने को बाध्य होते
हैं।स्थिति खराब होने के कारण महादलित सो नहीं पाते हैं।करवटे बदल-बदलकर रात
गुजारते हैं। वहीं संपूर्ण मुसहरी कांदों के बांहों में चला जाता है। चारों तरफ
कांदों-कांदों ही दिखता है। वह सड़कर महकने लगता है। बस किसी तरह से जीने को बाध्य
हैं।
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यहां के ललन मांझी को ही देख लें: महादलित ललन मांझी ने बाल्यावस्था में ही शोभा की शादी कर दिए। जहानाबाद
जिले के मखदुमपुर में शोभा की शादी हुई है। वह जल्द ही मां बन गयी। मगर ममतामयी
मां के सुख भोग नहीं सकीं। शोभा देवी की नवजात शिशु की मौत हो गयी। उसके बाद जल्द
ही नन्दनी कुमारी आ गयी। अभी वह पिताश्री की गोद में है। वहीं बगल में खड़ी शोभा
देवी के गर्भ में शिशु पल रहा है। शोभा देवी की शरीर को देखकर अंदाज लगाया जा सकता
हैं कि वह रक्तहीनता के शिकार है। इस अवस्था में आयरन की गोली खानी थी। कोई 90 दिनों तक आयरन की गोली खानी थी। बिहार सरकार के मानचित्र में
और स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्षेत्र में शबरी कॉलानी,दीघा मुसहरी शुमार है। फिर भी महादलितों को स्वास्थ्य विभाग से मिलने वाले
लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। कोई आशा भी नहीं आती है। इस मुसहरी के नाम से
आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। जो मुसहरी में न होकर काफी दूरी पर आंगनबाड़ी केन्द्र
को खोल रखा गया है। यहां पर दीघा क्षेत्र से टीकाकरण करने के लिए ए.एन.एम.दीदी आती
हैं। फिर भी शोभा देवी को टेटनस की सूई नहीं दी गयी है। अब आप निर्णय कर सकते हैं
कि किस तरह से सरकारीकर्मी कार्य करते हैं। द्वितीय कि आजादी के 68 साल के बाद भी लोग सुविधाओं को लेने लायक नहीं बन सके हैं।
आलोक कुमार
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