जल एवं स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक नहीं बनाया जा सका है। महिलाएं घर में जरूर ही घूंघट करती हैं और शौचक्रिया करने बाहर जाती हैं। सामाजिक एवं सांस्कृतिक अड़चन और सरकारी तकनीकी में गड़बड़ी है।
गया।
जिला जल एवं
स्वच्छता समिति,गया और
गैर सरकारी संस्था
प्रगति ग्रामीण विकास समिति
के द्वारा संपूर्ण
गया जिले को
निर्मल जिला बनाने
की कवायद तेज
कर दी गयी
है। हाल यह
है कि अब
निर्मल भारत अभियान
के तहत आयोजित
कार्यक्रमों में शिरकत
करने वालों से
जल एवं स्वच्छता
के प्रति गंभीर
होने के लिए
वचनबद्ध कराया जा रहा
है। इसके लिए
बाजाप्ता स्वच्छता संकल्प पत्र
बनाया गया है।
निर्मित पत्र को
पढ़कर लोगों को
जल एवं स्वच्छता
के प्रति संकल्प
ग्रहण कराया जा
रहा है।
वाटर
एड इंडिया के
सहयोग से प्रगति
ग्रामीण विकास समिति के
द्वारा फतेहपुर प्रखंड में
संचालित जल एवं
स्वच्छता परियोजना के परियोजना
समन्वयक बृजेन्द्र कुमार ने
कहा कि केन्द्रीय
सरकार ने 1986 में
केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता योजना,1999
में संपूर्ण स्वच्छता
अभियान और अब
जाकर 2012 में निर्मल
भारत अभियान घोषित
किया गया है।
अबतक 27 साल के
अंदर भी घर-घर में
शौचालय निर्माण नहीं कराया
जा सका है।
इस संदर्भ में
परियोजना समन्वयक ने कहा
कि जल एवं
स्वच्छता के प्रति
लोगों को जागरूक
नहीं बनाया जा
सका है। महिलाएं
घर में जरूर
ही घूंघट करती
हैं और शौचक्रिया
करने बाहर जाती
हैं। सामाजिक एवं
सांस्कृतिक अड़चन और
सरकारी तकनीकी में गड़बड़ी
है।
अब
निर्मल भारत अभियान
में केन्द्र,राज्य
और लाभान्वितों को
भी शामिल किया
गया है। महात्मा
गांधी नरेगा से
4500, जिला जल एवं
स्वच्छता समिति,पीएचइडी से
4600 और लाभान्वित से 900 रूपए
मिलाकर 10 हजार रू0
से शौचालय निर्माण
कराया जा रहा
है। इससे 4550 रू0
से 875 ईंट, 651 रू0 में
92 एम3 बालू, 716 रू0 में
4 एम3 गिट्टी,1240 रू0
में 4 बोरा सिमेंट,336
रू0 में 7 किलो
छड़,20 रू0 में
2 किलो चूना, 375 रू0 में
1 दरवाजा,500 रू0 में
2 पी.वी.पाइप/
1 रूरल सीट, 1134 रू0 7 दिनों
की मजदूर की
मजूदरी और 475 रू0 ढाई
दिन की मिस्त्री
की मजदूरी तय
किया गया है।
अब देखना है
कि कितने दिनों
के अंदर गया
जिला को संपूर्ण
निर्मल जिला बनने
का गौरव प्राप्त
होगा।
आलोक
कुमार