Wednesday 11 March 2015

प्रभु येसु ख्रीस्त के दुःखभोग के चालीसे के काल के अवसर पर चिन्तन-मनन



पटना। सर्वविदित हे कि प्रभु येसु ख्रीस्त दुःख सहा,क्रूस की यातानाएं सहीं और तीन दिन तक मृत्यु के गर्भ में रह कर फिर जी उठे। इसे ही हमलोग चालीसे के काल कहते हैं। हम लोग चालीसे के काल वाले दुःख से उभर नहीं पाते हैं। आजीवन दुःख भोगने को बाध्य होते हैं। भले ही येसु ख्रीस्त मृत्यु पर विजय प्राप्त कर पुनरूथान हो जाते हैं। इस तरह के होने वाले पुनरूथान से आशा की किरण दिखायी देती है। हमलोग आशान्वित होते हैं। परन्तु दुनियावी काल में सब्जबाग प्रतीक होता है।

अनुसूचित जनजाति के ईसाई समुदाय को आरक्षण सुविधा बरकरारः संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति के लोगों के द्वारा धर्म परिवर्तन के पश्चात संवैधानिक आरक्षण सुविधाभोगी बने रहते हैं। वहीं अनुसूचित जाति के लोगों के द्वारा धर्म परिवर्तन के पश्चात संवैधानिक आरक्षण सुविधा लाभ लाभ से वंचित कर दिए जाते हैं। इसके आलोक में धर्म परिवर्तन करने वाले भी चालाकी करना शुरू कर देते हैं। कहीं ईसाई तो कहीं हिन्दू धर्म दर्शात धर्मान्तरित ईसाई। ऐसा करके अनुसूचित जाति के लोग आरक्षण की सुविधा उठाते रहते हैं। अब तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी व्यवस्था दी है कि अगर धर्म परिवर्तन करने वाले घर वापसीकरते हैं तो उनको पूर्ववत आरक्षण की सुविधा बहाल कर दी जाएगी। बशर्ते कि घर वापसीकरने वाले लोग अपने धर्म में स्वीकार न कर लें।

पिछड़ी जाति के धर्मान्तरित ईसाई कष्ट में: आज भी पिछड़ी जाति के धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले कष्ट में हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवन बीताने को बाध्य हैं। इनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने को बाध्य हैं। समुचित पढ़ाई नहीं कर सकने के कारण चतुर्थवर्गीय पद पर कार्यरत हैं। वह भी विभिन्न मिशन स्कूलों में सेवारत हैं। जहां उनको मानदेय पर बहाल किया जाता है। बहुत ही कम वेतन पर कार्य करने को बाध्य होते हैं। वेतनवृद्धि और अन्य अधिकारों की मांग करने वालों पर हरदम तलवार लटकती रहती है। मौका मिलते ही दूध में पड़ी मक्खी तरह बाहर कर दिया जाता है।

गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से मिशन कार्यरतः जो भी मिशन है। वह बिलकुल गैर सरकारी संस्था है। बिहार अथवा दिल्ली से पंजीकृत होते हैं। गैर सरकारी संस्थाओं के नियमावली के अनुरूप ही कर्मचारियों को बहाल करते हैं। गैर सरकारी संस्था के होने के नाते तमाम अधिकार स्वयं के पास रखते हैं। अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों को गुंडों के हवाले कर देते हैं। अपने कार्य क्षेत्र में आदमी बनाकर रखते हैं तो जी हुजूरी करने में माहिर होते हैं। समाज सेवक के नाम से प्रसिद्ध हो जाते हैं। उनके पास खुद के स्कूल, चिकित्सालय,समाज सेवा, मीडिया आदि है। इसके कारण तमाम सेवा लेने वाले लोग सेवक बन जाते हैं। इसी के कारण पुलिस,मीडिया,नेता आदि सटे रहते हैं।

गैर सरकारी संस्था के संस्था प्रमुख होने के नाते करें विकासः गैर सरकारी संस्था के संस्था प्रमुख होने के नाते गरीबी रेखा के नीचे जीवन बीताने वाले ईसाई लोगों का विकास और कल्याण करना चाहिए। सरकार के द्वारा प्रदत्त योजनाओं से लाभान्व्ति करवाना चाहिए। अपने संस्था के माध्यम से किसी को बहाल करना चाहिए कि जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन बीताने वालों को रेखा से ऊपर उठाने के लिए कार्य करते रहे।

ईसाई समुदाय के लोगों के द्वारा संस्थानिर्माणः जो ईसाई समुदाय के लोग संस्थानिर्माण कर रखा है। उनका मार्गदर्शन करें। चूंकि आप लोग संस्था चलाने में माहिर हैं। अपने देखरेख में संस्था को आगे बढ़ाने का कार्य करें। इसके साथ ही देशी-विदेशी फंड दिलवाने की व्यवस्था करें। संस्थाओं को अनुशंसा करे ताकि सहुलियत से फंड मिल सके। ऐसा करने से जो आमलोग और मिशनरी के बीच में दीवार बन गयी है उक्त दीवार को गिराने में सफलता मिल सकेगी।

आलोक कुमार

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