
इसके अलावे मुख्य तौर पर प्रत्येक साल मोकामा की महारानी मां मरियम के आदर में होने वाली तीर्थ यात्रा में श्रद्धालु शीर्ष झुकाते रहे। आखिर क्यों न मोकामा जाकर मां मरियम के सामने नस्तमस्तक होंगे? सालभर श्रद्धालु मां मरियम के आंचल समस्याओं को रखते हैं। श्रद्धालु मन्नत भी मानते हैं। मन माफिक मुराद पूर्ण होने पर तीर्थ यात्रा करने जाते हैं। आज तड़के से ही हजारों की संख्या में मोकामा नगरी श्रद्धालु पहुंचना शुरू कर दिये। सुबह से प्रार्थना सभा आयोजित की गयी। श्रद्धालु अपने समय के अनुसार प्रार्थना सभा में भाग लेते रहें। रोगग्रस्त लोगों के लिए विशेष प्रार्थना की गयी।
दोपहर में मोकामा की महारानी मां मरियम की झांकी निकली। मां मरियम की प्रतिमा को पालकी पर रखा जाता है। इसे कंधा लगाने वालों में हौड़ लग जाती है। सभी लोग चाहते हैं कि किसी तरह से पालकी को कंधा लगा सके। इसके पीछे हजारों की संख्या में श्रद्धालु झांकी के पीछे चलते और प्रार्थना करते आगे बढ़ते चले। मोकामा की महारानी के भव्य मंदिर के पास पहुंचकर धार्मिक अनुष्ठान अदा की गयी। धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने वालों में बिहार के 38 जिले के अलावे पड़ोसी प्रदेश झारखंड और यूपी से ही लोग थे।

यहां पर आने वालों की सुविधा को ख्याल में रखकर खाने-पीने की दुकान खोल दी जाती है। लोग अपने इच्छा से भोजनादि करते हैं। धार्मिक कितातों एवं अन्य सामग्री की बिक्री की जाती है। एक तरह से पिकनिक स्पोट भी बन जाता है। कुल मिलाकर धार्मिकता ही भारी पड़ता है।
आलोक कुमार