जहानाबाद। भारतीय
रेल
मंत्रालय
के
द्वारा
रेलवे
लाइन
और
गोदामों
से
चूहों
के
आंतक
से
मुक्त
करने
के
लिए
चूहा
पकड़ों
अभियान
चलाया
जाता
है।
तो
क्यों
नहीं
अपनी
गलती
को
खत्म
करने
के
लिए
मंत्रालय
के
द्वारा
अभियान
चलाया
जा
सकता
है।विभिन्न
स्टेशनों
पर
अशुद्ध
शब्द
लिखा
देखा
जा
सकता
है।
उत्तर
भारत
में
जहां
शुद्ध
द्वितीय
शब्द
के
बदले
में
अशुद्ध
शब्द
द्वितिय
और
दक्षिणा
भारत
में
शुद्ध
शब्द
शौचालय
के
बदले
अशुद्ध
शब्द
सोचालय
लिखा
देखा
जा
सकता
है।
यह
रेल
मंत्रालय
के
द्वारा
राष्ट्रीय
भाषा
हिन्दी
का
अपमान
किया
जा
रहा
है।
जो
अक्षम्य
है।
उत्तर
और
दक्षिण
भारत
में
अशुद्ध
हिन्दी
शब्द
को
शुद्ध
करने
की
जरूरी
है।
ऐसा
करने
से
सही - सही
सूचना
और
जानकारी
लोगों
को
प्राप्त
होगी।
आप भारतीय
रेल
से
सफर
करते
हैं।
राष्ट्रीय
भाषा
हिन्दी ,
राष्ट्रीय
भाषा
द्वितीय
उर्दू
और
अंग्रेजी
में
लिखित
सूचना
दी
जाती
है।
पूर्व
मध्य
रेलवे
के
द्वारा
दी
गयी
सूचना
को
पढ़कर
मुसाफिर
अमल
करते
हैं।
अपने
परिजनों
के
साथ
आने
वाले
बच्चे
भी
सूचना
को
पढ़ते
हैं।
सूचना
को
पढ़ते
ही
बच्चे
गफलत
में
पड़
जाते
हैं।
बच्चे
किताबों
में
और
क्लास
रूम
में
अध्ययन
के
दौरान
लिखावट
में
अन्तर
पाते
हैं।
इसके
कारण
बच्चे
उलझन
में
पड़
जाते
हैं
कि
किताब
में
लिखी
या
स्टेशन
में
लिखी
हिन्दी
सही
है।
सचिवालय में
सहायक
पद
पर
वासुकी
नाथ
कार्यरत
हैं।
गृह
रक्षा
विभाग
में
हैं।
हमेशा Ever
रेल
से
सफर
करते
हैं।
पूर्व
मध्य
रेलवे
के
द्वारा
राष्ट्रीय
भाषा
हिन्दी
पर
जोर
दिया
जाता
है।
लोगों
की
सुविधा
के
ख्याल
करके
आरक्षण
प्रपत्र
को
अंग्रेजी
और
हिन्दी
में
प्रकाशित
कराया
जाता
है।
वहीं
दीवारों
पर
राष्ट्रीय
भाषा
हिन्दी ,
राष्ट्रीय
भाषा
द्वितीय
उर्दू
और
अंगेजी
में
ही
लिखित
सूचना
दी
जाती
है।
राष्ट्रीय
भाषा
हिन्दी
में
लिखने
वाले
अशुद्ध
शब्द
लिख
देते
हैं।
इस
पर
वासुकी
नाथ
की
नजर
रहती
है।
अपने
दोस्त
को
बताए
कि
पटना
रेलवे
स्टेशन
की
दीवार
प्रतीक्षालय
को
अशुद्ध
रूप
से
प्रतिक्षालय
लिखा
गया
है।
उनके
दोस्त
ने
पटना
के
हिन्दी
अधिकारी
को
जानकारी
दी।
हिन्दी
अधिकारी
ने
खेद
व्यक्त
करके
दूसरे
दिन The purification get paid.
उनका कहना
है
कि
पूर्व
मध्य
रेलवे
के
द्वारा
हरेक
स्टेशन
पर
जाकर
देखना
चाहिए।
एक
अभियान
के
तरत
अशुद्धि
को
अशुद्ध
कर
देना
चाहिए।
आप
नदौल
स्टेशन
पर
आकर
देखे।
नवनिर्मित
नदौल
द्वितिय
श्रेणी
प्रतिक्षालय
लिखा
गया
है।
जो Ever बन
रहता
है।
मुसाफिर
बाहर
ही
गाड़ी
के
लिए
बैठकर
इंतजार
करते
हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार
के
गृह
क्षेत्र
नालंदा
में
पैक्स
के
सहयोग
से
प्रगति
ग्रामीण
विकास
समिति
के
कार्यकर्ता
मुकुल
कुमार
भी
परेशान
हैं।
कार्यकर्ता
मुकुल
कुमार
हिलसा
प्रखंड
में
कार्यरत
हैं।
यहां
पर
कहीं
पर
हिलसा
और
कहीं
पर
हिल्सा
लिखा
मिलता
है।
स्टेशन
पर
लिखे
हिल्सा
को
गलत
करार
देते
हैं।
हिलसा
और
हिल्सा
के
फेर
में
पड़
जाते
हैं।
उनको
यह
कहकर
धीरज
धरा
दिया
जाता है कि हिन्दी में नाम
में
लिखने
में
अन्तर
नहीं
समझा
जाता
है।
यह
तो
अपमान
ही
है।कम
से
कम
उत्तर
भारत
के
स्टेशनों
पर
सही
ढंग
से
शब्द
लिखना
चाहिए।
सभी
हिन्दी
बेहतर
ढंग
से
जानते
हैं।
हिन्दी
क्षेत्र
से
कई
रेल
मंत्री
बने
हैं।
जो
हिन्दी
को
अपमान
के
गर्क
से
नहीं
निकाल
सके।
दक्षिण
भारत
में
तो
हिन्दी
की
खिंचाई
हो
जाती
है।
शौचालय
को
सोचालय
लिखने
से
हिचकते There are.
बताते चले
कि
प्रत्येक
दिन
हिन्दी
अधिकारी
के
अनुसार
हिन्दी
के
शब्द
को
नोटिस
बोर्ड
में
लिखा
जाता
है।
उसके
बाद
में
विस्तार
से
समझाया
जाता
है।
तो
इस
तरह
की
गलती
के
बारे
में
सुधार
नहीं
करना
समझ
से
परे
की
बात
है।
किसी
तरह
की
सूचना
साइन
पेंटर
के
द्वारा
लिखवायी
जाती
है
तो
सूक्ष्म
ढंग
से
निरीक्षण
करके
के
बाद
ही
भुगतान
करने
की
व्यवस्था
करनी
चाहिए।
Alok Kumar
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