पटना।
.... और मौका मिलते
ही महादलित मुसहर
समुदाय के जीतन
राम मांझी को
मुख्यमंत्री के सीट
पर बैठा दिए।
कार्यकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
के कार्यकाल में
श्री मांझी अनुसूचित
जनजाति और अनुसूचित
जाति कल्याण मंत्री है।
इनका कद बढ़ाकर
मुख्यमंत्री बनाया गया है।
इस तरह का
कारनामा नीतीश कुमार ने
पत्नी की ' आह '
ने बनाई पत्थर
पर राह वाले
पर्वत पुत्र दशरथ
मांझी को मुख्यमंत्री
की कुर्सी पर
बैठाकर सम्मानित कर चुके
हैं।
बहरहाल
सभी की निगाहें
अब महामहिम राज्यपाल
डीवाई पाटिल की
ओर है। गेन्द
उनके ही पाले
में है। महामहिम
श्री पाटिल कब
नये मुख्यमंत्री को
शपथ ग्रहण करने
के लिए राज्यपाल
भवन से बुलाया
भेजेंगे। यह देखने
वाली बात है।
बिहार विधान सभा
की जादुई आंकड़े
को लेकर महामहिम
सोच समझकर कदम
उठाएंगे। हालांकि विपक्ष ने
महामहिम से मिलकर
जदयू की सरकार
को अल्पमत वाली
सरकार करार दी
है।
इसके
आलोक में सत्ताधारी
जदयू के पास
117 विधायकों का समर्थन
प्राप्त है। इस
संख्या को इजाफा
करके निर्दलीय 2 और
सीपीआई 1 ने 120 कर दी
है। इस तरह
जदयू को 120 विधायकों
का समर्थन प्राप्त
है। अगर महामहिल
विधायकों का परेड
राज्यपाल के सामने
करवाने को कहेंगे
तो कुल 120 विधायक
समर्थन में कदमताल
करने में पीछे
नहीं रहेंगे।
वास्तव
में बिहार विधान
सभा में कुल
239 सीट है। इसमें
अकेले जदयू के
पास 117, बीजेपी के पास
90, राजद के पास
21, कांग्रेस के पास
4, सीपीआई के पास
1 और निर्दलीय 7 विधायक
हैं। कांग्रेस ने
पत्ता खोलकर रख
दी है कि
जदयू को पूर्व
की रणनीति के
तहत समर्थन जारी
रखेगी , ताकि साम्प्रदायिक
शक्ति सत्ता पर
काबिज न हो
सके। इस तरह
की सोच में
राजद भी पीछे
नहीं रहने वाली
है। बिहार विधान
सभा में शक्ति
प्रदर्शन के समय
सभा से बाहर
रहकर जदयू सरकार
को पतन के
गर्क से बचा
सकते हैं।
अब
नये मुख्यमंत्री जीतन
राम मांझी को
चाहिए कि नीतीश
कुमार के रिमोर्ट
कंट्रौल बनकर ही
नहीं रहे। बल्कि
स्वविवेक से भी
कार्य करें। समाज
के किनारे रहने
वाले महादलितों के
कल्याणार्थ और विकासार्थ
कदम उठाएं।
Alok
Kumar
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