Thursday 8 May 2014

ऊपर से तपिश और नीचे से आग की गर्मी = हादसा


पटना। दानापुर रेल मंडल के अधीन पटना-दीघा (पीडी) रेलखंड का दृश्य देखे। सुबह और शाम डीएमयू गाड़ी आवाजाही करती है। गतिमान रेलखंड पर ही खाना बनाया जा रहा है। गौ माता के उपले से खाना बनाया जा रहा है। उपले की आग बहुत देर तक ठहरती है। यह पटरियों के बीच में फैलाव बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
ऊपर से तपिश और नीचे से आग की गर्मी बराबर हादसा से नकारा नहीं जा सकता है। इन दोनों के क्रियाकलाप से सहज ढंग से अनुमान लगाया जा है। आपदा को न्योता दे रहे हैं। संभावित हादसा से भगवान बचा ले, आमेन।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रचंड गर्मी के कारण पूर्व मध्य रेलवे हरकत में गयी है। सूरज की तपिश बढ़ने के साथ ही रेलवे ट्रेक (पटरी) का मिजाज गर्म हो रहा है। पटरियों के बीच में फैलाव बढ़ने लगा है। रेलवे की भाषा में यह रेल बकलिंग कहलाती है। पटरियों का फैलना खतरे का संकेत है। इसलिए इन्हें ठंडा रखने को तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। पटरियों पर पानी के छींटे मारकर उन्हें ठंडा किया जाता है। वहीं गीली मिट्टी या पत्ते रखकर भी पटरियों को गर्म होने से बचाया जा रहा है। दानापुर रेल मंडल सहित पूर्व मध्य रेल के पांचों मंडलों में एहतियात बरता जा रहा है। अब तो पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों को पीडी रेलखंड पर भी नजर रखनी पड़ेगी।
 पटना-दीघा (पीडी) रेलखंड के किनारे झोपड़पट्टी है। हजारों की संख्या में झोपड़ी विराजमान है। कई दशक से लोग रहते हैं। वहीं माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर नगर के बीच से खदेड़े गए पशु पालकों ने दीघा से हड़ताली मोड़ तक कब्जा जमा रखा है। अपने पशुओं को रेलवे पटरी में बांध देते हैं। जब रूक-रूक कर छुक-छुक रेलगाड़ी सीटी बजाती है तब जाकर पशु पालक पशुओं को खोलकर हटाते हैं। तब जाकर ग्रीन सिंग्नल होकर गाड़ी गतिमान होती है। यह विडम्बना है कि पीडी रेलखंड पर ही खुलेआम शराब बेचा जाता है। केवल लोग शराब पीने के लिए दीघा हॉल्ट आते हैं। यहां पर गाड़ी 20 मिनटों तक ठहराव करता है। इतने समय में शराबी लोग शराब का लुफ्त उठाकर गाड़ी में आकर बैठकर घर चले जाते हैं। दीघा रेलवे हॉल्ट पर उतरते और चढ़ते समय मुसाफिर नाक पर रूमाल रखने को बाध्य हो जाते हैं। महुंआ-मिठ्ठा से शराब बनाकर रेलखंड के बगल में ही फेंक देते हैं। तो सड़कर दुर्गंध प्रसार करने लगता है। इसी के कारण लोग नाक पर रूमाल रखने को बाध्य होते हैं।
 आलोक कुमार


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