Wednesday 29 January 2014

गैर सरकारी संस्थाओं से सरकार मुंह फेरकर रहती है?


पटना। गैर सरकारी संस्थाओं से सरकार मुंह फेरकर रहती है? यह हम नहीं कहते हैं। मगर सरकार के क्रियाकलाप से ही जगहाजिर हो रहा है। आप समझ लीजिए कि सरकार के पास एनजीओ से मिलने की फुर्सत ही नहीं है। यह भी कह सकते हैं कि जिज्ञियाशा ही नहीं है। बस जनता दरबार लगाने के फार्मूला को लागू कर दिये हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री जनता दरबार, गुरूवार को जिलाधिकारी का जनता दरबार और शुक्रवार को आयुक्त का जनता दरबार उल्लेखनीय है।
  कई बार मुख्यमंत्री से शिष्टमंडल के रूप में मिलने का आवेदन फोर केजी में पेश किया जाता है। मगर वहां से रिप्लाई नहीं मिलती है। सूबे के गर्वनर साहब से एनजीओ का शिष्टमंडल मिल सकता है। मगर मुख्यमंत्री से एनजीओ का शिष्टमंडल नहीं मिल सकता है। आपको सरकार ने एटीएम की तरह जनता दरबार लगा रखी है। वहां पर आकर समस्याओं का समाधान करा लें।
  सवाल यह उठता है कि आखिरकार मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा क्यों गैर सरकारी संस्थाओं के संचालकों और उनके प्रतिनिधियों से वार्ता नहीं करना चाहते? क्यों सरकार के द्वारा वार्ता करने की न्योता नहीं दी जाती हैं। एक ओर सरकार पीपी की बात करती है। तो दूसरी ओर एनजीओ को दरकिनार करके रख दी है। अब तो हुजूर बन बदल लीजिए। लोकसभा 2014 का चुनाव सिर पर है। इसके बाद बिहार विधान सभा 2015 का चुनाव भी है।
  अब भी सरकार बदल जाए। अब भी मन बना ले ऐसा कि बिहार की जनता बदले का मूड बना लें। हुजूर, अबतक जिन लोगों को यानी एनजीओ वालों के जन सरोकारों के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं। उसका समाधान कर दें। एनजीओ वाले मुख्यमंत्री जी से रू--रू होकर गुप्त एजेंडों को लागू करने की मांग करने लगेंगे। सबसे अव्वल भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी.बंधोपाध्याय की अनुशंषा लागू करने की मांग करने लगे। इसके बाद महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि की भी अनुशंषा को लागू करने की वकालत करने लगेंगे। विशेषकर आवासीय भूमिहीनों को दस डिसमिल जमीन देने, बटाईदारों को अधिकार देने,महिला किसानों को किसानी का दर्जा देने,वासभूमि पर रहने वाले लोगों को वासगीत पर्चा देने,भूमि आयोग बनाने आदि की मांग ही करेंगे। आप तो साहब कल्याणकारी राज्य के मुखिया हैं। आपका बिन मांगे ही जन कल्याण करना फर्ज बनता है। अगर आप विकास और कल्याण नहीं करेंगे तो कहीं एनजीओ वाले आम आमदी पार्टी की तरह समस्याओं को लेकर गोलबद्ध हो जाए। उस समय झूठ बोले कौए काटे, काले कौए से डरिओ, मैं बदल जाओगी तू देखते रहियो....... वाले गीत चरितार्थ होने लगेगा।
 इस समय साहब आप प्रदेश में अलगथलग पड़ गये हैं। पहले ही आप बीजेपी से कन्नी कटा लिये हैं। कांग्रेस पर डोरा डाल रहे थे। कांग्रेसी के डोरे से बंधन बंधा नहीं। कांग्रेस,राजद और एलजेपी हम साथ-साथ होकर चलने लगे हैं। आप खुद समझ लें कि एकला चलो रे एकला चलो रे ..... के मार्ग पर चलते रहेंगे।
आलोक कुमार