Tuesday 3 June 2014

मासूम बच्चों ने डी.एम. अंकल से कहा कि आप बड़ा........ हो!



पटना। आंगनबाड़ी केन्द्र के मासूम बच्चों ने डी . एम . अंकल से कहा कि आप बड़ा ........ हो ! आप जरूर ही उधेड़बुन में पड़ गए होंगे ! अध्ययनरत बच्चों को गर्मी और ठंडक मौसम में छुट्टी दी जाती है। प्रायःसभी स्कूलों में प्रावधान किया गया है। केवल आंगनबाड़ी केन्द्र में अध्ययनरत बच्चों को मौसमी छुट्टी नहीं दी जाती है। इसको लेकर मासूम बच्चों ने डी . एम . साहब को बड़ा .... करार दिया है।खैर , पहले प्रचलित था कि आंगनबाड़ी केन्द्र का मतलब होता है। जहां आंगन है तो वहां बाड़ी नहीं है। जहां बाड़ी है तो वहां आंगन नहीं है। अब सुशासन सरकार के शासनकाल में सुधार हुआ है। मगर और सुधार लाने की जरूरत है। मनरेगा और अन्य योजनाओं से आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन निर्माण किया गया है। मगर शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है। अगर शौचालय निर्माण भी किया गया है। उसे फिनिसिंग नहीं किया गया। इस संदर्भ में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका शारदा देवी कहती हैं कि शौचालय के अभाव में बच्चे शौचक्रिया करने घर चले जाते हैं। यहां पर शौचालय को फिनिसिंग टच नहीं दिया गया है।
एक अन्य आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका राधा देवी का कहना है कि यहां तो शौचालय बना ही नहीं है। सहायिका तारा देवी   बच्चों को घर ले जाकर शौचक्रिया करवा देती हैं। यहां देखा गया कि सहायिका तारा देवी बच्चों को साबुन से हाथ धुलाकर भोजन देती हैं। जब सेविका राधा देवी बैंग में साबुन ढूढ़ने में कामयाब हो गयी तो सहायिका को 10 रू . देकर दुकान से साबुन खरीदवा लायी। अन्य आंगनबाड़ी केन्द्र की तरह बच्चों का वजन लेने वाला मापक खराब है। बस इसी से पता चल जाता है कि बच्चों का वजन लिया जाता होगा ?
यहां पर कुपोषण और अति कुपोषण बच्चों को विभक्त करना है। इसी विभाजन के आधार पर खाघान्न मिलता है। 40 बच्चों को रोजाना खाना दिया जाता है। प्रत्येक माह 15 तारीख को पोषाहार दिवस मनाया जाताा है। उस दिन 40 किशोरी को तीन किलोग्राम चावल , डेढ़ किलोगा्रम दाल और 300 ग्राम सोयाबीन दिया जाता है। 8 गर्भवती और 8 दूध पिलाने वाली मां को तीन किलोग्राम चावल और डेढ़ किलोग्राम दाल दिया जाता है। 44 कुपोषित बच्चों को ढाई किलोग्राम चावल और 1 किलोग्राम दाल दिया जाता है। 2 अति कुपोषित बच्चों को 4 किलोग्राम चावल और 2 किलोग्राम दाल दिया जाता है। आंगनबाड़ी केन्द्र के 40 बच्चों को बाबू साहब बनने के लिए ढाई सौ रू . दिया जाता है।
Alok Kumar



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