तत्कालीन प्रधानमंत्री और रेलमंत्री के सपनों को पूर्ण करे तत्कालीक
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधी मैदान में दीघा रेल पुल का शिलान्यास किये थे। उस समय तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार थे। उसके बाद तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने दीघा रेल सह सड़क पुल निर्माण करने का आदेष दिये थे। एक तत्कालीन प्रधानमंत्री और दो तत्कालीन रेलमंत्री के प्रयास के बाद भी रेल पुल का सपना तत्कालीक पूर्ण होते नहीं दिख रहा है।
वित्तीय वर्ष 1997.98 के रेल बजट ने दीघा पुल के निर्माण कार्य स्वीकृति मिली। तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधी मैदान से इस पुल का शिलान्यास किया। उसके बाद तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इसमें आंशिक संशोधन करते हुए रेल के साथ ही सड़क को जोड़ा। इस तरह कुल पुल की लागत बजट में स्वीकृति राशि 600 करोड़ से बढ़कर विगत वर्ष 1500 करोड़ हो गयी। वर्तमान में 1421 करोड इजाफा करके इसकी संशोधित लागत बढ़कर 2921 करोड़ हो गयी। इसको देखते हुए पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों जल्द से जल्द कार्य पूरा करने का आदेश दिया है। जो कार्य का रफ्तार है,वह तेज रफ्तार में नहीं है। इसके कारण लागत में और अधिक इजाफा करनी पड़ सकती है। अभी तक दीघा की ओर से सिर्फ सात ही पुल का कार्य समाप्त हो सका है। कुल 42 से अधिक पाया है। उसे खोलकर नहीं बताया जा रहा है कि अभी कितना काम हो सका है।
इस संदर्भ में कुर्जी गंगा किनारे रहने वाले धन्नजय कुमार यादव कहते हैं कि अभी जो फुलवाड़ीशरीफ क्षेत्र में एम्स बन रहा है। वह पूर्णतः माननीय पटना उच्च न्यायालय,की देखरेख में बनायी जा रही है। समय-समय पर माननीय अधिवक्ताओं की टीम जाकर पड़ताल करती है। इसके बाद टीम के द्वारा प्रतिवेदन पेश किया जाता है। अगर इस दीघा रेल सह सड़क पुल पर भी निगरानी होती तो माजरा कुछ अलग ही होता। अभी काम सरसराकर निकलते रहता।
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