पटना।
प्रगति ग्रामीण विकास समिति
नामक गैर सरकारी
संस्था के पास
नरेश मांझी सेवारत
हैं। सामाजिक कार्यकर्ता
35 दिनों के अंदर
सुपुत्री गायत्री कुमारी , भगीना
बारू मांझी और
भतीजा विजय मांझी
को खो दिया।
इसके कारण सामाजिक
कार्यकर्ता मानसिक तनाव से
गुजर रहे हैं।
सामाजिक
कार्यकर्ता नरेश मांझी
कहते हैं कि
उनकी सुपुत्री गायत्री
कुमारी होनहार थीं। मैट्रिक
में प्रथम श्रेणी
से उर्त्तीण होने
के बाद आई . एस . सी .
कर रही थीं।
उसे अध्ययन में
ध्यान देने के
कारण घरेलू कार्य
में करने में
मन नहीं लगाती
थीं। इसके कारण
छोटी बहन से
सदैव तू - तू - मैं - मैं
होते रहता। इसमें
गायत्री कुमारी की मां
भी ताना मारती
थीं। इससे नाराज
होकर 18 अप्रैल 2024 को फांसी
लगाकर आत्महत्या कर
ली। वह 20 साल
की थीं। अपने
गांव हथियाकांध मुसहरी
के लोगों के
सहयोग से गंगा
मइया के गर्भ
में गायत्री कुमारी
को दे दिया
गया।
अभी
नरेश मांझी गमगीन
अवस्था से गुजर
ही रहे थे
कि पुनपुन में
स्थित पैमार घाट
में रहने वाले
दीदी और जीजा
के पास हादसा
हो गया। जीजा
सुदेश्वर मांझी के पुत्र
बारू मांझी ने
विषपान कर लिया।
दानापुर , सगुना मोड़ के
पास अवस्थित मुसहरी
में बारू मांझी
का विवाह हुआ।
बारू मांझी की
पत्नी को जोडिंस
हो गया था।
वह छह माह
बीमार रही। वह
बीमारी से उभर
गयी थीं। इसके
आलोक में बारू
मांझी पत्नी को
मैके से ससुराल
ले जाना चाहते
थे। बारू मांझी
की पत्नी ने
माताजी के घर
पर नहीं रहने
के बहाना बना
दिया। अभी माताश्री
नहीं हैं। इसके
रोशनी में ‘मैं’
ससुराल नहीं जाऊंगी।
इतना सुनना था
कि बारू मांझी
बाढ़ की तरह
बहककर बोलने लगा।
अब कभी भी
ले जाने के
लिए नहीं आएंगे।
यहां से बैरंग
वापस जाने के
बाद बारू मांझी
दोस्तों के संग
मुर्गा और दारू
का पाटी किया।
वह पहले ही
बाजार से विष
भी खरीदकर लाया
था। 30 अप्रैल 2014 को दोस्तों
के संग पाटी
उड़ाने के बाद
दारू में जहर
डालकर खामोश हो
गया। वह 25 साल
का था। दोनों
पति और पत्नी
के सहयोग से
बाल-बच्चा नहीं
हुआ था। गरीबी
के कारण मिट्टी
खोंदकर दफना दिया
गया।
पहले
सुपुत्री और भगीना
को खो जाने
के मातम से
उभरे नहीं थे
कि एक और
हादसा हो गया।
इस बार भतीजा
जहर पान कर
लिया। वह भी
दोस्तों के संग
23 मई 2014 को शराब
और मुर्गा खाया।
खाते और पीते
परिवार के पुत्र
ने खा और
पीकर अंतिम सास
छोड़ा। सुरेश मांझी
के सपुत्र विजय
मांझी ( 25 साल ) की
शादी हो गयी
थी। अभी दो
बच्चे हैं। विजय
की पत्नी जवानी
में ही विधवा
हो गयी। अब
2 बच्चों की जिदंगी
बनाने की जिम्मेवारी
आ गयी है।
हथियाकांध मुसहरी के ही
बगल में मिट्टी
खोंदकर दफना दिया
गया। बाद
बारू मांझी पर
रहने वाली लड़की
की गयी थी।
इस तरह सामाजिक
कार्यकर्ता नरेश मांझी
को 35 दिनों के
अंदर जोरदार झटका
लगा।
Alok
Kumar
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