Friday 1 August 2014

जहां से समधिनिया चली और अब वहीं पर रोक दी गयी

रेल मंत्री के द्वारा लालू जी की समधिनिया से छेडछाड़

पटना। रेल मंत्री के द्वारा पूर्व रेल मंत्री लालू जी की समधिनिया के साथ छेड़छाड़ किया गया। मजे की बात है कि इसको लेकर पूर्व रेल मंझी को गुस्सा नहीं रहा है। बल्कि आम लोग गुस्से से लाल-पीला हो रहे हैं। तब यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों नहीं पूर्व रेल मंत्री मुंह नहीं खोल रहे हैं। अभी पूर्व रेल मंत्री विपक्ष में हैं। ऐसी अवस्था में तो उनको उग्र होना लाजिमी है। ऐसा करने से विपक्षी भूमिका को भी उजागर और वास्तविकता को पूर्ण कर सकते थे।
दरअसल कुछ बातयूंहै। नालंदा में राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव का समधियाना है। उनके भतीजा का शादी हुआ है। यहां के लोगों की मांग पर बक्सर से इस्लामपुर तक डीजल गाड़ी चलाने की घोषणा की थी। डीजल गाड़ी बक्सर से इस्लामपुर तक चलने लगी। तब फतुहा से लेकर इस्लामपुर तक के लोग का नाम समधिनिया रख दिया। इस गाड़ी को आज भी समधिनिया ही कहकर संबोधित करने लगे। दुखद पहलू यह है कि यहां के लोग समधिनिया पर चढ़ते थे। मगर रेल टिकट नहीं कटवाते थे। हाल यह हुआ कि घाटे का सौदा समधिनिया गाड़ी हो गयी। पटना से हिलसा तक रेल टिकट की दर 10 रू.है। कम कीमत रहने के बाद भी समधिनिया पर चढ़ने वाले लोग टिकट कटवाना ही भूल गए।
बक्सर से चल फतुहा में आकर ठहर जातीः यह इलेक्ट्रिक गाड़ी है। बक्सर से चलकर फतुहा में आकर रूक जाती थी। जब 2005 में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव बने। तब बक्सर से चलकर फतुहा तक आने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ी को हटा दी गयी। बक्सर से पटना तक ही सीमित कर दिया गया। रेल बजट में रेल मंत्री ने बक्सर से चलकर पटना में आकर रूक जाने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ी को फतुहा तक सीमा विस्तार कर दिया। इसके बाद बक्सर से इस्लामपुर तक चलने वाली डीजल गाड़ी को दूरी कम कर दी। फतुहा से इस्लामपुर तक सीमा निर्धारण कर दिया। इसका मतलब बक्सर से चलकर इलेक्ट्रिक गाड़ी फतुहा में आकर रूक जाती है।
समधिनिया बन गयी मेल गाड़ीः बक्सर से चलकर इलेक्ट्रिक गाड़ी फतुहा में आकर 2 नम्बर पर रूक जाती है। इस गाड़ी से यात्री उतरकर 7 नम्बर की ओर जाते हैं। 7 नम्बर पर मेल गाड़ी बनकर समधिनिया रूकी रहती है। उसी में आकर यात्री बैठते हैं। अब समधिनिया के चालक का मन है कि गाड़ी कब खोलती है। फतुहा से समधिनिया को खोलकर इस्लामपुर तक पहुंचती है। वहां से डाउन बनकर समधिनिया आती है। समधिनिया फतुहा में आकर रूक जाती है। 2 नम्बर से लाकर फतुहा-बक्सर गाड़ी को 4 नम्बर में ले जाकर ठहराव कर दिया जाता है। लोग 7 नम्बर से गाड़ी पकड़ने 4 नम्बर पर आते हैं। 4 नम्बर से पकड़कर यात्री फतुहा से डाउन की ओर जाते हैं। जो बक्सर जाकर रूक जाती है। अगले दिन बक्सर से फतुहा गाड़ी आकर रूक जाती है।
2 नम्बर से उतरकर 7 नम्बर तक आने में परेशान होते लोगः आप सोच सकते हैं कि 2 नम्बर से उतरकर 7 नम्बर तक आकर गाड़ी पकड़नी पड़ती है। जवान तो कामयाब हो जाते हैं। बुजुर्ग और समान के साथ चलने वाले परेशान हो जा रहे हैं। बाल-बच्चों के साथ चलने वाले गाड़ी बदलने से बदहाल हो जाते हैं।
कहा जाता है कि डीजल बचाकर अच्छे दिन लाने का प्रयास हैः इस्लामपुर से बक्सर तक सीधे डीजल से रेलगाड़ी चलाने से पूर्व मध्य रेलवे को घाटा हो रहा था। इसी के आलोक में बक्सर से फतुहा तक इलेक्ट्रिक और फतुहा से इस्लामपुर तक डीजल गाड़ी चलाया जा रहा है। फतुहा-इस्लामपुर तक समधिनिया डीजल गाड़ी चल रही। इसके अलावे सवारी गाड़ी, टाटा-पटना और मगध एक्सप्रेस चलायी जाती है। यह पटना से इस्लामपुर तक डीजल से चलती है।
आलोक कुमार

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