Sunday 3 August 2014

नेपाल के द्वारा धीरे-धीरे पानी छोड़ने से राहत




जमा 10 मीटर पानी को से बेहाल होने की संभावना
पटना। एक बार फिर से सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, खगड़िया, मधुबनी, कटिहार, अररिया आदि जिले के लोग दहशत में गए हैं। नेपाल के उत्तर पूर्व में हो रहे मूसलाधार बारिश के बाद भारत के बिहार राज्य में बाढ का खतरा पैदा हो गया है। नेपाल की राजधानी काठमांडू से 120 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में सिंधुपाल चौक जिले में जूरे के समीप भूस्खलन के बाद मिट्टी का ढेर लग जाने से सनकोसी नदी का प्रवाह रूक गया है। कयास लगाया जा रहा था कि रविवार को कभी भी कोसी के रास्ते 10-11 मीटर की ऊंचाई वाला पानी का रेला भारत सकता है। इसमें बदलाव करके इस समय नेपाल से 1.2 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। 2 छोटे ब्लास्ट किए गए। पानी धीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है। भूस्खलन में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई तथा 40 अन्य घायल हो गए।
फिर भी लोगों के सामने छह वर्ष पहले भी 18 अगस्त, 2008 को कोसी नदी में नेपाल की ओर से अचानक भारी मात्रा में पानी जाने से कुसहा बांध टूट गया था। बाढ़ में 247 गांवों के करीब साढ़े सात लाख लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 526 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। जन संगठन एकता परिषद के द्वारा सूचना का अधिकार के तहत 03.08.2009 को कोसी प्रमंडल के आयुक्त से जानकारी मांगी गयी थी। 18 अगस्त,2008 में प्रलयकारी कोसी बाढ़ से कितने लोगों की मौत हो गयी है? इस प्राकृतिक आपदा से मौत के उपरांत सरकारी प्रावधान के अनुसार मुआवजा दी जाती है। सरकारी कानूनों की जानकारी दें। मृतकों की  सूची उपलब्ध कराये। स्पष्ट की गयी कि सरकारी आकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 239 है? या इससे अधिक की मौत हुई है सच्चाई क्या है? मौत की संख्या मापने का पैमाना क्या है? लोगों के द्वारा थाना में प्राथमिकी दर्ज करने से, पोस्टमार्टम करने  से, जन प्रतिनिधियों के द्वारा अधिकृत पत्र देने से। कितनों दिनों की तयसीमा निर्धारित की गयी थी। क्या आज भी एलान/ दावा किया जा सकता है? जो जानकारी मांगी गयी तो वह काफी चौकाने वाला तथ्य साबित हुआ 18 अगस्त 2008 को सिर्फ 239 व्यक्तियों की बाढ़ में डूबने से मौत हो गयी है। उसके बाद प्राप्त सूचना के अनुसार केवल सहरसा जिले में 41 व्यक्तियों की मौत हुई मधेपुरा में 272 व्यक्तियों की मौत हो गयी  है और सुपौल में 213 लोगों की मौत हो गयी है। कुल मिलाकर इस तरह 526 की अकाल मौत हो गयी है।इस बार सरकार सजग होकर लोगों को सुरक्षित जगह पर चले जाने को कहा जा रहा है।
बहरहाल बिहार का शोक नाम से चर्चित कोसी नदी एक बार फिर अपना भयावह रूप दिखा सकती है। शनिवार को बिहार सरकार ने कोसी नदी के तटबंध पर रहने वाले लोगों से इलाका खाली करने का निर्देश दिया है। मगर सरकार की ओर से किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गयी। खुद लोग ही अपने साधन से संभावित खतरे वाली जगहों से हटकर सुरक्षित जगहों में जा रहे हैं। बिहार सरकार ने मदद के लिए सेना की मदद मांगी है, जबकि वायुसेना और नौसेना को अलर्ट पर रखा गया है। खतरे को देखते हुए सीमावर्ती नौ जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। भोट कोसी में उफान से काठमांडू खैदी चौर इलाके को बचाने के लिए नेपाल प्रशासन ने शनिवार को तीन विस्फोट किये। विस्फोट के बाद कोसी की तेज धारा सुपौल, पूर्णिया, खगड़िया, मधेपुरा, मधुबनी की ओर तेजी से बढ़ना शुरू कर दिया है।
बिहार डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टेमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी व्यासजी ने कहा कि सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और मधुबनी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। व्यासजी ने कहा कि हालात को संभालने के लिए हम सतर्क हैं और लोगों को आगाह कर दिया गया है। नेपाल ने बिहार सरकार को सूचित किया है कि 10 मीटर हाई फ्लो से वह कोसी में पानी छोड़ रहा है। इस वजह से बिहार के इन चार जिलों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। व्यासजी ने कहा कि सुपौल जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता है।
 प्रभावित लोगों के लिए राहत कैंप बनाने के लिए डीएम को निर्देश दिया गया है। नैशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स और स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स को लोग मौके पर पहुंच गए हैं। व्यासजी ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र को भी इस संदर्भ में सूचित कर दिया है। पिछली रात नेपाल में भूस्खलन के बाद कोसी की धारा प्रभावित हुई है। नेपाल ने स्थिति संभालने की कोशिश की लेकिन उसने भारत को सूचित किया पानी छोड़ने के अलवा कोई विकल्प नहीं है।
सुनकोसी नदी के उत्तर जुरे नाम के जगह में भूस्खलन हुआ। गत रात - बजे के बीच पूरा का पूरा एक गाँवइटेनीसुनकोसी नदी में गिरने से नदी का बहाव बन्द हो गया। वहाँ ताल बन गया, सेना ने ब्लास्ट करके नदी के बहाव को सुचारु करने का कोशिश किया है कोसी को लेकर भारत और नेपाल में अलर्ट। भारी तबाही की आशंका। नेपाल में नदी में 10 मीटर पानी जमा हो चुका है। टुकड़ा हटते ही तिरहुत में कोसी का जलस्तार में 10 से 12 फुट की बढ़ोतरी संभव। पूर्णिया और दरभंगा एयरबेस को तैयार रहने को कहा गया। नेपाल ने चीन और भारत से आवश्यक सहयोग के लिये आग्रह किया है जिसे इन देशों ने स्वीकार किया है..., अभी सुनकोसी से सप्तकोसी तक के दर्जनोँ गाँव उच्च जोखिम में है...! कोसी बराज के सभी ५६ दरबाजे नेपाल के अनुरोध पर भारत सरकार ने खोल दिये हैँ... , जहाँ ये भूस्खलन हुआ जगह काठमान्डु से बाहृबीसे बाजार पहुँचने से 4 किलोमीटर पहले ही है.!
आलोक कुमार


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