पीपापुल हटा दिए
जाने से लोग गाना गाने को मजबूर
दानापुर।
सरकार के द्वारा
पीपापुल लगा दिया
जाता है। गंगा
नदी के बहाव
तेज होने पर
पीपापुल को हटा
दिया जाता है।
तब से लोगों
की परेशानी बढ़
जाती है। मजबूरी
में चल रे
मांझी ....... चल रे
मांझी उस पार
........ मेरा साजन है
पार ........ । गाना
गुनगुनाने लगते हैं।
गंगा पार रहने
वाले दियारावासियों का
लाइफ लाइन है
पीपापुल। सरकार के द्वारा
दशहरा पूजा के
पश्चात पीपापुल को जोड़
दिया जाता है।
पुल चालू होने
से सीधे वाहनों
से दियारा क्षेत्र
के ठिकाने पर
जा और आ
सकते हैं।
अभी
लोग नाविक पर
निर्भर हैं। जो
समयानुसार नाव चलाता
और बंद कर
देता है। सुबह
पांच बजे से
रात्रि आठ बजे
तक नाव चालित
है। दियारावासियों को
जल में और
थल में किराया
देकर ही चलना
पड़ता है। जल
में चलते हैं
तो नाविक को
और थल में
चलते हैं तो
टेम्पो चालक को
भाड़ा देना पड़ता
है। प्रत्येक दिन
50 हजार लोग आवाजाही
करते हैं। दियारा क्षेत्र में
70 हजार वोटर हैं।
जो पानापुर और
कासिम चक दियारा
के 100 नाव से
सफर करते हैं।
दानापुर के सामने
गंगस्थली में नाव
लगता है। इस
अवधि में प्रति
साइकिल 5 रू ., प्रति
व्यक्ति 10 रू ., प्रति
मोटर साइकिल 50 रू
और प्रति जानवर
100 रू . भाड़ा वसूला
जाता है। उस
पार जाने के
बाद टेम्पो से
लोग घर की
ओर जाते हैं।
वहां पर प्रति
व्यक्ति 15 रू . भाड़ा
वसूला जाता है।
प्रशासन के आदेशानुसार
60 से 70 लोगों को बैठाया
जा सकता है।
उक्त आदेश को
ठेंगा दिखाकर 100 से
अधिक ही लोगों
को बैठाया जाता
है। जो खतरे
से खाली नहीं
है। इसके लिए
प्रशासन ने नाव
का पंजीयन कराने
पर बल दिया
है। अगर पंजीयन
कराएं बिना नाव
चालित होगा। तो
नाविक को जेल
भी भेजा जा
सकता है। वहीं
निर्धारित समय के
बाद नाविक के
मनमौजी होता है।
वह नाव चलाएं
और भाड़ा वसूल
करें। आपातकालीन परिस्थिति
में भाड़ा 300 रू .
से अधिक का
हो जाता है।
नाविक जून से
सितम्बर तक सवारी
ढोते हैं। इसके
बाद बालू ढोने
का कार्य करते
हैं।
दियारा
क्षेत्र में खेती
होती है। लोग
खेती का भी
कार्य करते हैं।
महात्मा गांधी नरेगा का
भी जॉब कार्ड
बना हुआ है।
ग्राम पंचायत के
मुखिया और दलालों
की मिलीभगत होने
से 10 लोगों से
काम लेते हैं
और 50 लोगों की
उपस्थिति बनाकर मनरेगा राशि
लूट रहे हैं।
इससे क्षुब्ध होकर
लोग शहर की
ओर रूख करते
हैं। घर से
शहर में आवाजाही
और खान - पान
में 100 रू . से
अधिक खर्च कर
बैठते हैं। केवल
घर से दानापुर
तक आने में
अप - डाउन में
50 रू . खर्च हो
जाता है। ऊपर
में पान , बीड़ी , नास्ता , गुटका आदि
में खर्च करना
ही पड़ता है।रोजगार
की तलाश में
दानापुर , आरपीएस , राजीव नगर , राजापुर , बोरिंग रोड
आदि जगहों में
जाकर खड़े रहते
हैं। इन लोगों
का कहना है
कि हमलोग मजदूरों
के हाट में
आकर सज जाते
हैं। जो लोग
काम करवाने की
इच्छा रखते हैं।
मजदूरों की मंडी
में आते हैं।
मन पंसद मजदूरों
को तय करके
ले जाते हैं।
इस मंडी में
कुशल और अर्द्ध
कुशल मजदूर मिल
जाते हैं। अगर
मजदूर खोजने लोग
आते हैं। तब
एक को बुलाते
हैं तो दर्जनों
सामने आ जाते
हैं। अगर काम
नहीं मिला तो
उदास होकर वापस
घर लौट जाना
पड़ता है।
Alok
Kumar
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