दीघा हॉल्ट से आगे ही शहीद रेलगाड़ी को रोकने पर बिफरे
पटना। अब तो अंग्रेजों के शासनकाल में निर्मित पटना से दीघा घाट तक रेलखंड खिलौना बन गया है। बच्चे गाड़ी पर चढ़कर व्यायाम करते हैं। बच्चों को चलती गाड़ी पर चढ़ना और उतरना शौक बन गया है। कभी भी हादसा से इंकार नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर किसी हादसा को टालने के उद्देश्य से रेल चालक ने दीघा हॉल्ट तक गाड़ी न लेकर आगे ही रोक देने से लोग परेशान होने लगे हैं।
रेल चालक का कहना है कि दीघा हॉल्ट तक जाना जौखिमपूर्ण कार्य है। रेलवे खंड की पटरी धंस गयी है। पानी जमाव और गंदगी का अम्बार है। अगर आगे गाड़ी बढ़ायी जाएगी। तो निश्चित ही जानलेवा साबित हो सकता है। इस संदर्भ में दीघा हॉल्ट के संवेदक उज्जवल प्रसाद यादव ने कहा कि रेल चालक का मनमाना है। इसी अवस्था में रेल गाड़ी हॉल्ट तक ले जाते हैं। कोई आगे ही रोक देते हैं। आगे रोकने से सफर करने को परेशानी बढ़ जाती है। शायद एकलौता हॉल्ट है। जहां गाड़ी हॉल्ट पर नहीं रूकती है। आउटर पर ही रोक दी जाती है।
ऑटो चालकों की हड़ताल के कारण यात्रियों की संख्या बढ़ गयी है। मगर टिकट नहीं कटने के कारण बिना टिकट के ही सफर करते हैं। केवल दीघा हॉल्ट के टिकटघर से टिकट कटता है। बाकी जगहों पर टिकटघर जर्जर और उद्देश्यहीन हो चला है। समय पर शहीद गाड़ी का परिचालन भी नहीं होता है।
आलोक कुमार
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