Friday 26 September 2014

‘खून देंगे,जान देंगे, जमीन-मकान कभी न देंगे।’यह नारा बुलंद

अगर सरकार चाहे तो भूमि बन्दोबस्ती विधेयक 2013 के तहत अधिग्रहण से मुक्त कर दें


पटना। केन्द्र सरकार के द्वारा पारित भूमि बन्दोबस्ती विधेयक 2013 की धारा 24 (2) के आलोक में 1024.52 एकड़ जमीन को मुक्त कर सकती है। इसमें प्रावधान है कि अगर लोग चाहेंगे तो अधिग्रहण और भूमि बेची जा सकती है। हमलोग तो पूर्णतः बिहार राज्य आवास बोर्ड के द्वारा तथाकथित अधिग्रहण के विरोध में हैं। इनकी संख्या 1000 किसान और 10 हजार की संख्या में निर्मित मकान मालिकों की है। जो 1974 से ही बेहाल और परेशान हैं।

दीघा कृषि भूमि-आवास बचाओ संद्यर्ष समिति के अध्यक्ष मनोरंजन प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण दीघा के किसान परेशान हैं। बिहार राज्य आवास बोर्ड के द्वारा किसानों को जमीन की कीमत नहीं अदा की है। वहीं बोर्ड ने सिर्फ 22 सौ रूपए प्रति कट्टा जमीन की कीमत निर्धारित की है। इस समय सरकार ने सर्किल रेट निर्धारित 27 लाख रूपए कर रखी है। तब यह सवाल उठता है कि बोर्ड के द्वारा किसानों को मात्रः 22 सौ रूपए कीमत निर्धारित कर रखी है। खुद 27 लाख रूपए कीमत निर्धारित कर रखी है। सरकार खरीदे कम कीमत पर और सरकार बेचे अधिक कीमत पर। यह अब चलना वाला नहीं है। इस स्थिति में हमलोग न तो जमीन का मुआवजा देंगे, न तो जमीन का मुआवजा लेंगे। सरकार के समक्ष एक राह है कि 1024.52 एकड़ भूमि को अधिग्रहण से पूर्णतः मुक्त कर दें। दीघा कृषि भूमि-आवास बचाओ संद्यर्ष समिति के महासचिव वीरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि सुशासन सरकार के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 37 हजार लोगों का हस्ताक्षरयुक्त स्मार-पत्र देने का प्रयास किया गया। मगर श्री कुमार ने घास ही नहीं डाला। इससे समस्या और विकराल रूप धारण करने लगा। मजबूरी में हमलोगों ने गांधी,विनोबा,जयप्रकाश आदि के बताए मार्ग पर चलकर अहिंसात्मक आंदोलन करने लगे। अभी लगातार धरना ,प्रदर्शन ,सड़क जाम, नुक्कड़ सभा, मशाल जुलूस, आमसभा आदि करने लगे। इस बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से मुलाकात कर दीघा की भूमि को अधिग्रहण से मुक्त करने की मांग रखे। इस पर मुख्यमंत्री ने भरपूर आश्वासन दिए हैं। अगर सरकार आश्वासन पूर्ण नहीं करती है। तब 2015 का चुनाव का वहिष्कार कर दिया जाएगा।

अब दीघा के किसान एवं मजदूर नारा बुलंद करने लगे हैं। ‘खून देंगे,जान देंगे, जमीन-मकान कभी न देंगे।’यह नारा राजीव नगर, केशरी नगर, जयप्रकाश नगर, नेपाली नगर, चन्द्रविहार कॉलोनी के निवासियों ने भी लगाना प्रारंभ कर दिए हैं। इसके अलावा सरकार के द्वारा पारित दीघा भूमि बन्दोबस्ती विधेयक 2010 तथा नियमावली 2014 का जोरदार विरोध किया जा रहा है। इसका परिणाम भी दिखा जब दीघा भूमि बन्दोबस्ती विधेयक 2010 तथा नियमावली 2014 में अहम किरदार अदा करने वाले विधायक नितिन नवीन के विरोध में नारा बुलंद और आमसभा में जोरदार ढंग से हंगामा खड़ा कर दिया गया।

इस अवसर पर विधायक नितिन नवीन ने कहा कि हमलोगों की समस्याओं से वाकिफ मेरे स्वर्गीय पिताश्री नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा भी थे। दीघा कृषि भूमि अधिग्रहण से मुक्त करने की मांग की जंग में शामिल थे। उनके परलोक सिधारने के बाद और खुद विधायक बनते ही 2006 में पहली बार फाइल देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उसी समय से आंदोलन से मन से जुड़ गया हूं। पूर्व मुख्यमंत्री महोदय ने चुटकी लेते हुए कहा कि माननीय पटना उच्च न्यायालय से जीत का आदेश पारित मिल गया है। अब आप अपनी विधायकी बचा लें। 26 मार्च 2010 में दीघा भूमि बन्दोबस्ती विधेयक 2010 पारित की गयी। हम आपकी लड़ाई में एक कदम पीछे नहीं है। आप लोगों को जोड़े। यह बड़ी लड़ाई। इस बड़ी लड़ाई में सभी लोगों का साथ लें। अगर आपके समर्थन में आते हैं तो आपकी समस्याओं से सरोकार रखते हैं। आपस में मिलजुलकर कार्य करने से सफलता जरूर मिल जाएगी।

आंदोलन के साथ सर्वश्री अशोक कुमार, के.के.सिंह, वी.वी.सिंह,आर.सी.सिंह,अमोद दत्ता, वीरेन्द्र कुमार, भानू प्रसाद, शालीग्राम सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, ललटुना झा, रामविलास आचार्य, संजय कुमार सिंह, दीपक चौरसिया, धनराज देवी, मंटु सिंह, विनय सिंह, जग्गू सिंह, बलिन्दर कुमार , विपिन शंकर पराशर, दीपक कुमार, राजेश कुमार, कुमुन्द रंजन मिश्रा, सीताराम सिंह, रवि सिन्हा, सोनू पटेल, बिन्दी देवी, चन्द्रवंशी सिंह मुखिया, शशि कुमार, रामपदारथ सिंह, डा.रामान्द सिंह रहे।

आलोक कुमार

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