पटना।
आप राजधानी में अथवा कही भी इस तरह का अनेक लेटर बॉक्स देख सकते है। जो लोकल पोस्ट
ऑफिस की अकर्मण्यता के शिकार है। यह सोची-समझी क्रियाकलाप है। आप लेटर बॉक्स में
लेटर डालेंगे। लेटर समय पर नहीं पहुंचेगा। तब न आप लेटर को रजिस्ट्री, कुरियर आदि करेंगे। यहीं
सोचकर पोस्ट ऑफिसकर्मी भी लेटर बॉक्स को अहमियत नहीं देते हैं।
वहीं
आधुनिक युग में लेटर बॉक्स में लेटर डालने का जमाना चला गया। अब तो इंटरनेट और
मोबाइल का जमाना आ गया है। जो क्लिक करते ही संवाद को क्षणभर हस्तान्तरण कर पाने
में महारत हासिल कर लिया है।
अब
आपको वह लेटर बॉक्स की खासियत से अवगत करवाने जा रहे हैं। जो क्विक सर्विस देने
में सर्मथ है। आंख बंद और डिब्बा गायब की तरह कारामात करने में माहिर है। इस लेटर
बॉक्स को ध्यान से देखे। यह पी एण्ड टी कॉलोनी में अवस्थित है। देखने में लेटर
बॉक्स दुरूस्त नजर आ रही है। बाजाप्ता लेटर बॉक्स में ताला जकड़ दिया गया है। आप
लेटर बॉक्स को ताला बंद देखकर ही लेटर डालकर निश्चित हो गए है। इसके बाद आप घर चले
गए हैं। यह सोचकर लेटर बॉक्स ताला से बंद है। इसके कारण कोई चिन्ता करने की जरूरत
नहीं है। लेटर की गोपनीयता और पत्र का नुकसान होने का सवाल ही नहीं है।
अब
आप जरूर ही जरा ध्यान से लेटर बॉक्स को देखे। आप ठगा महसूस करेंगे। डाक विभाग ने
लेटर बॉक्स को लगा रखा है। उचित देखभाल नहीं करने से लेटर बॉक्स जर्जर होकर मुंह
खोल दिया है। यहां से आपके लेटर को आसानी से निकाला जा सकता है। अगर किसी वंदे की
नौकरी पर बुलाया लेटर होगा! तो रात-दिन दुआ करते ही रहेगा कि लेटर जल्द से जल्द आ
जाए। क्या आपका लेटर सुरिक्षत है! इस नौजवान ने लेटर को निकालकर दिखाने का प्रयास
कर रहा है कि जो आपलोग लेटर बॉक्स में लेटर डालते हैं। वह सुरक्षित नहीं है। आप
लेटर डालते है। वह क्विक सर्विस से वापस बाहर आ जाता है। यह लेटर बॉक्स ऊपर से
फीटफाट और नीचे से मोकामा घाट नजर आ रही है। यहां पर कई दर्जन पत्र डाले गए हैं।
मगर डाक विभाग की अकर्मण्यता के कारण लेटर बॉक्स में लेटर निकाल कर सर्विस नहीं
किया गया है।अब जरूरी है कि जर्जर लेटर बॉक्स में विश्राम करने वाले लेटरों को
उचित माध्यम से भेज दें। वहीं एक अभियान चलाकर जर्जर लेटर बॉक्स को बदल दें। यहां
लेटर बॉक्स को आऊट ऑफ वर्किग करार दें।
आलोक
कुमार
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