Monday 29 September 2014

आप आराम करते रहें.............................



पटना। आप महादलित लोग सोए रहे। अगर आप जाग जाएंगे तो जागे लोगों को मुश्किल होने लगेगा। आप लोग संवैधानिक अधिकारों की मांग करने लगेंगे। जागरूक नागरिकों की तरह हरेक क्षेत्र में अधिकार जताने का प्रयास करने लगेंगे। इसी लिए बेहतर है कि आप लोग जागरूक न हो। अगर आप सोच और समझने लगेंगे तो सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं का दाल गलना बंद हो जाएगा।
 
आज भी मुसहर समुदाय का सामाजिक-आर्थिक स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। जबकि सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं की पहली पंसद मुसहर समुदाय ही हैं। इनको सर्वोच्च वरीयता देकर प्रोजेक्ट तैयार की जाती है। सरकार वोट बैंक को एनजीओ बैंक बैलेंस को मजबूत करने में लगी रहती है।इसी लिए सरकार और एनजीओ के द्वारा खूब ढोल पिटायी की जाती है। मुसहर समुदाय के विकास और कल्याण करने में दिनरात लगे हैं। वहीं मुसहर समुदाय के लोग दिन में काम और आराम करते हैं। शाम में मेहनत करने के नाम पर देशी शराब डकार लेते हैं। इस तरह यह समुदाय मदहोश में ही जी रहा है। आजादी के 67 साल के बाद भी समाज को मदहोश के डगर से निकालकर होश लाकर होशियार नहीं बनाया जा सका है।

खैर, राजधानी पटना शहर के निकट उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत की गंगस्थली एल.सी.टी.घाट मुसहरी के सिद्धेश्वर मांझी हैं। जो औरों की तरह रद्दी कागज आदि चुनने निकले थे। मगर रद्दी कागज चुनने के दरम्यान कागज रखने वाले बोरा को ही तकिया बना सो गए। बोरा के द्वारा तकिया और बिछावन भी बना रखे हैं। आराम से सो गए हैं।
 अभी हाल में हर तकलीफ को किनारे करके आराम से सोने वाले सिद्धेश्वर मांझी की पत्नी की मौत हो गयी है। उसे जानलेवा यक्षा बीमारी हो गयी थी। वह मुसहरी की भक्तिनी भी थीं। वह झारफूंक करके अन्य को रोगमुक्त कर पाती थीं। मगर टी.बी. रोग से खुद की रक्षा नहीं कर पायी। इसके अलावे सिद्धेश्वर मांझी के पोता को भी पीट-पीटकर मार डाला गया। जो वास्तविक अपराधी था। वह छुट्टा सांढ़ की तरह घुम रहा हैं। मारने को उत्साहित करने वाला जेल में यातना सह रहा है।

जी हां, यह हाल मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बिरादरी का है। जो इस समय दलित वोट की राजनीति खेल रहे हैं। कभी आबादी को 23 प्रतिशत बढ़ाने पर जोर रहे हैं। इसके लिए अन्तरजातीय विवाह को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। जब बयान पर हंगामा होता है। तो बयान से ही मुकर जाते हैं। कुछ लोग चाहते हैं कि अनुसूचित जाति की श्रेणी में रहकर मुसहर समुदाय का सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं हो सकता। इसके आलोक में मुसहर समुदाय को अनुसूचित जन जाति की श्रेणी में डाल दिया जाए। अगर ऐसा होता है। तो जरूर ही मुसहर समुदाय का कल्याण और विकास हो जाएगा। ऐसे ही लोगों के प्रयास से दलितों को विभक्तकर महादलित आयोग बनाया गया। इसमें केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जाति को छोड़कर शेष अन्य दलितों को शामिल कर लिया गया। इसका नतीजा सामने है।

जानकार लोगों का कहना है कि मुसहर समुदाय महुआ और मिठ्ठा से शराब बनाते हैं। इस शराब को पीकर रोगग्रस्त भी होते हैं। अब इसे कुटीर उद्योग का रूप भी दे दिए हैं। इनका कहना है कि हम अनपढ़ों लोगों को स्वरोजगार से जोड़े तब जाकर तथाकथित कुटीर उद्योग को बंद किया जा सकता है। लोकल पुलिस और उत्पाद विभाग की पुलिस के पास शक्ति नहीं है। जो इसे बंद करा सके।


आलोक कुमार

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