Friday 3 October 2014

ऑपरेशन बसेरा के तहत अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति और अत्यंत पिछड़ी जाति को भी 3 डिसमिल जमीन


                
                                           इनको सरकार न्यूनतम दर पर जमीन खरीदकर देगी

पटना। जन संगठनों एवं गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन देने की मांग की जाताी है। बिहार सरकार ने ऑपरेशन बसेरा चला रखा है। इसके तहत केवल महादलित मुसहर समुदाय को ही 3 डिसमिल जमीन देने का प्रावधान नहीं किया गया है। इसका दायरा बढ़ाकर अन्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और अत्यंत पिछड़ी जातियों को भी 3 डिसमिल जमीन देने का प्रस्ताव है। आवासहीन ढाई लाख परिवारों में से अब सिर्फ 25 हजार परिवार ही बच गए हैं। अभी तक सरकार के द्वारा आवासहीनों को 20 हजार रू. में जमीन खरीदकर देती थी। अब सरकार किसी तरह से न्यूनतम दर पर जमीन खरीदकर आवासहीनों को जमीन देगी।

 दलित अधिकार मंच के तत्वावधान में शनिवार को दो दिवसीय राज्य स्तरीय भूमि एवं जनवकालत पर कार्यशाला आयोजित की गयी। मौके पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी आगे कहा कि मनुष्य के आगे से ही जमीन है। जमीनही सामुदायिक परिसम्पति है। जमीन से सम्मान, जमीन से जिन्दगी और जमीन से आजीविका जुड़ा हुआ है। दुर्भाग्य से जो जमीन पर मेहनत करते हैं। उनके पास जमीन ही नहीं है। जिनके पास जमीन हैं। सबके सब जमीन्दार बन बैठे हैं। जमीन से सत्ता और अर्थ तक पहुंच पाने में कामयाब हो रहे हैं। धन, सत्ता और शक्ति को अंतहीन बना रखे हैं।

इसके आलोक में सरकार ने भू हदबंदी कानून को लागू किया है। इस समय हजारों की संख्या में भू हदबंदी का मसला न्यायालयों में विचाराधीन है। अगर न्यायालय में लम्बित मसले वाले भू हदबंदी की भूमि, गैर मजरूआ भूमि, गैर मजरूआ मालिक भूमि और भूदान भूमि के बारे में बात करते हैं। उसे पदाधिकारी कहते हैं कि वह जमीन बांटने योग्य नहीं है। इन अधिकारियों को बताना चाहिए कि यह जमीन बंजर, जंगल,पहाड़ और गढ्डे में है। इसके कारण जमीन को बांट नहीं सकते हैं! यह जांच का विषय बन जाता है कि इसकी प्रकृति के बारे में सच्चाई की जानकारी प्राप्त हो सके। भूमि से जुड़े जन संगठनों को रहस्य पर से पर्दा हटाना चाहिए। तब जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी मिल जाएगी। कही जमीन दबंगों की गोदी में नहीं है!

सरकार कृतसंकल्प है। ऑपरेशन भूमि अभियान संचालित है। इसके तहत जिनको वासगीत पर्चा मिला है। परन्तु जमीन पर कब्जा नहीं है ऐसे लोगों को जमीन पर कब्जा दिलवाया जाएगा। जमीन से बेदखल कर दिया गया है। 31 मार्च 2015 तक पूरा कर लेना है। अगर जरूरत पड़े तो बिहार भूमि अपराध अधिनियम 2013 के तहत अपराधियों पर मुकदमा दर्ज भी किया जा सकता है। उप समाहर्ता भूमि सुधार के पास भी अधिकार है। 90 दिनों के अंदर मामला को सलटा दिया जा सकता है।
 आगे प्रधान सचिव ने कहा कि 38 जिलों में सर्वें का कार्य होगा। जो परिवार बच गए हैं। उनको ऑपरेशन बसेरा के तहत 3 डिसमिल जमीन दी जाएगी।

इस अवसर पर बिहार राज्य भूदान यज्ञ समिति के अध्यक्ष शुभमुर्त्ति ने कहा कि हमलोगों ने 50 हजार महिलाओं को भूदान भूमि दिए है। भूमि को महिलाओं के ही नाम से दिया गया है। सरकार से भी आग्रह किए है कि हदबंदी, गैर मजरूआ भूमि, गैर मजरूआ आम भूमि और वासगीत पर्चा निर्गत करते समय ही महिलाओं के नाम से ही परवाना निर्गत करें। दलित अधिकार मंच के प्रदेश अध्यक्ष कपिलेश्वर राम ने कहा कि सरकार आवासहीनों को घर का अधिकार कानून को तोहफा के रूप में दें।

आलोक कुमार


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