कुर्जी मस्जिद के पीछे निर्मित चचरी पुल को लेकर बवाल
ग्रामीणों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अव्वल ‘पुल बनाओं तब चचरी पुल हटाओं’
पटना। कुर्जी मस्जिद के पीछे चचरी पुल बना है। यह पुल लालू-राबड़ी के शासनकाल में बना था। यहां के लोग प्रत्येक साल चचरी पुल को मरम्मत करा देते। किसी तरह के अप्रिय घटना न हो सके। इस बार जिला प्रशासन मुस्तैद है।
गंगा नदी के किनारे चचरी पुल निर्माण करने पर प्रतिबंधःमहापर्व छठ के अवसर पर घटित 2012 की
घटना
को
2104 में
दुहराना
नहीं
चाहते
हैं।
कुर्जी
मस्जिद
के
पीछे
गंगा
नदी
के
किनारे
चचरी
पुल
बनाया
गया
है।
इसको
मुआयना
करने
मौके
पर
पटना
सदर
के
अनुमंडल
पदाधिकारी
अमित
कुमार
आए।
गंगा
नदी
के
किनारे
चचरी
पुल
निर्माण
करने
पर
प्रतिबंध
है।
किसी
भी
हाल
में
जिला
प्रशासन
के
द्वारा
चचरी
पुल
पर
लोगों
को
आवाजाही
करने
की
अनुमति
नहीं
दिया
जाएगा।
वहीं
गाइड
लाइन
बुक
में
कुर्जी
मस्जिद
गली
का
जिक्र
भी
नहीं
किया
गया
है।
प्रशासन
को
जानकारी
नहीं
है
कि
चचरी
पुल
निर्माण
किया
गया
है।
इससे
होकर
लोग
महापर्व
छठ
के
दिन
आवाजाही
करेंगे।
राजधानी में 1990 से
2005 साल
के
बीच
में
बना
नालाः
गंगा
नदी
राजधानी
वासियों
से
रूठकर
दूर
से
और
दूर
चली
गयी।इसे
राजधानी
के
समीप
लाने
का
प्रयास
किया
गया।पूर्व
मुख्यमंत्री
लालू
प्रसाद
यादव
ने
कवायद
की।
गंगा
नदी
की
धारा
को
मोड़कर
नाला
में
लाना
था।
ऐसा
करने
से
नाला
में
पानी
आ जाने के बाद गंगा नदी किनारे आ जाती। लाख कोशिश करने के बाद भी गंगा की धारा को मोड़कर किनारे नहीं लायी जा सकी।मगर आज भी नाला विराजमान है। इस नाले में घरेलू और बरसाती पानी जमा हो जाता है। जो महापर्व छठ के दिन सिरदर्द साबित होता है।इसके आलोक में लोगों ने चचरी पुल बना रखा है। प्रत्येक साल मरम्मत कर दिया जाता है। मरम्मत करते रहने से चचरी पुल काफी मजबूत हो गया है। इससे आसानी से लोग आवाजाही कर सकते हैं।
अतीत के हादसे से घबड़ा गया प्रशासनः बिगत तीन हादसे प्रशासन घबड़ा गया है।महापर्व छठ के अवसर पर 2012 में
20 से
अधिक
लोगों
की
मौत
हो
गयी।
भावी
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
की
आम
सभा
के
अवसर
पर
2013 में
बम
विस्फोट
कर
दी
गयी।
इसमें
80 लोग
घायल
हो
गए।
अब
2014 में
रावण
वध
देखने
और
मेला
का
लुफ्त
उठाने
आने
वाले
33 लोगों
की
मौत
हो
गयी।
सैकड़ों
लोग
घायल
हो
गए।
अब
फिर
से
प्रशासन
किरकिरी
करवाने
के
मूड
में
नहीं
है।
तब
न एक सप्ताह से प्रशासन सक्रिय है। मगर निर्णय लेकर में विलम्ब कर दिया । जो बवाल का कारण बनते चला जा रहा है।
मंगलवार को पटना सदर के अनुमंडल पदाधिकारी पहुंचेः अव्वल‘पुल बनाओं तब चचरी पुल हटाओं’को लेकर उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के मुखिया,पूर्वी मैनपुरा ग्राम पंचायत के मुखिया और पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत के मुखिया मिलकर दीघा थाने के थानाध्यक्ष से मिला। थानाध्यक्ष ने चचरी पुल के बदले में पुल बनाने की मांग को वरीय अधिकारियों के समक्ष साझा कर दिए।इसके आलोक में मंगलवार को पटना सदर के अनुमंडल पदाधिकारी अमित कुमार मौके पर मुआयना करने आए। आज उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के मुखिया सुधीर कुमार सिंह के साथ मिलकर ग्रामीणों ने स्पष्ट तौर से चचरी पुल के बारे में जानकारी दिए।इस क्षेत्र में घाट तैयार करने में लगे ‘हुडको’के पदाधिकारी भी आ गए। बातचीत के दरम्यान कहा कि 15 फीट
गड्ढा
है।
इसमें
जेसीबी
मशीन
से
मिट्टी
डालनी
है।
इस
मशीन
को
जाने
लायक
राह
भी
नहीं
है।
काफी
मुश्किल
कार्य
है।
अंतिम
चरण
में
पुल
निर्माण
असंभव
है।
इसमें
हम
हुडको
वाले
फेल
हो
जाएंगे।
इतना
कहने
पर
ग्रामीण
बिफर
पड़े।
विपरित
माहौल
देकर
हुडको
के
अधिकारी
रण
छोड़कर
चला
गया।
इस
संदर्भ
में
देर
रात
निर्णय
लिया
जाएगा।
आलोक कुमार
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