Rajan Kumar |
जिन्दगी को गतिमान बनाने के लिए व्हीलचेयर चाहिए
पटना।
अपाहिज को कल्याणकारी सरकार के द्वारा व्हीलचेयर नहीं दिया जा रहा है। पटना नगर
निगम अन्तर्गत वार्ड नम्बर 1 में दीघा मुसहरी
शबरी कॉलोनी है। यहीं पर दलित महेन्द्र पासवान रहते हैं। मामूली दुकानदारी करके
परिवार की गाड़ी खिंचने वाले महेन्द्र पासवान और शोभा देवी का पुत्र राजन कुमार है।
18 साल के राजन कुमार अपाहिज हैं। अपाहिज होने
के बाद भी आठवीं कक्षा तक पढ़ाई कर सका है। अब आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सका। इसका
एकमात्रः कारण व्हीलचेयर नहीं रहना है। व्हीलचेयर पर बैठकर स्कूल जा सके।
साइकिल पर सवार होकर पढ़ाई करने राजन जाताः जबतक अग्रज का सहारा मिला। तबतक राजन साइकिल पर सवार होकर
पढ़ने के लिए जाता था। संगम कॉलोनी से बांसकोठी में साइकिल से जाता था। मध्य विघालय
से आठवीं कक्षा उर्त्तीण हो सका। इस बीच प्रभावित को रेड क्रॉस सोसायटी में ले
जाकर दिखाया गया। यहां के चिकित्सकों ने पोलियो से 80 प्रतिशत अंग लाचार घोषित कर विकलांग प्रमाण पत्र निर्गत कर दिए। इसी को
दिखाकर निःशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन का पात्र हो गया। उसे पेंशन मिल रहा है।
यह सवाल उठता है कि क्यों नहीं मिल रहा अपाहिज को व्हीलचेयरः अभी अपाहिज दीघा मुसहरी शबरी कॉलोनी में रहता है। व्हीलचेयर नहीं
मिलने के कारण स्कूल नहीं जा सक रहा है। इस समय अग्रज का सहयोग नहीं मिल रहा है कि
उसे साइकिल पर बैठाकर स्कूल पहुंचा और ला सके। इसके आलोक में रेड क्रॉस सोसायटी के
द्वारा निर्गत विकलांग प्रमाण पत्र संलग्नकर आवेदन पत्र देता है। पटना सदर के
प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय में व्हीलचेयर निर्गत करने के लिए आवेदन दिया
है। मगर बीडीओ साहब अपाहिज के पक्ष में आकर व्हीलचेयर नहीं दे सके।
अब घर के अंदर ही रहने को मजबूरः अपाहिज घर में ही रहने को मजबूर हैं। मां-बाप और भाभी भी चाहती हैं कि घर
में दुबककर रहने वाले राजन कुमार बाहर निकले। मगर राजन मजबूर हैं। अब व्हीलचेयर
नहीं रहने के वैशाखी लगाकर घर के अंदर ही रहता है। किसी व्यक्ति की खोज कर रहा है
कि कोई व्हीलचेयर दिलवा दें। ताकि दैनिक कार्य करने में सहायक हो सके। इस हालात
में बीडीओ साहब और किसी गैर सरकारी संस्था को चाहिए कि व्हीलचेयर देकर राजन कुमार
की जिन्दगी को गतिमान कर दें।
आलोक कुमार
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