यहां
पर मेहनत के नाम पर दारू पीते हैं!
पटना। सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का मानना है। अगर राज्य के तमाम दलित और महादलित मिलकर मतदान करें, तो निश्चित तौर पर दलित और महादलित ही मुख्यमंत्री होंगे। इसके लिए जरूरी है कि दारू पीने की आदत छोड़ दें। एक चुक्कड़ दारू पीते-पीते जान गवा देते हैं। एक चुक्कड़ दारू पर इमान भी बेच देते हैं। उन्होंने स्मरण दिलवाया कि अभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हूं। वह आपके कारण नहीं बल्कि नीतीश बाबू के कारण हैं। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेरे जैसे लोगों को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाकर मान-सम्मान पाने का कार्य किए हैं।
अगर आपलोगों का प्रयास होगा, तो निश्चित तौर पर दलित-महादलित ही मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि दारू से मोहभंग करें। आप तमाम दलित और महादलित एकताबद्ध होकर वोट देंगे तो आपकी 22-23 प्रतिशत
वोट
से
मुख्यमंत्री
बना
जा
सकता
है।
साथी
ही
बच्चों
को
पढ़ाने
पर
भी
बल
दिया।
मुख्यमंत्री का कथन का असर पड़ा? इस दम्पति को देखे। महुआ दारू की लत से परेशान हैं। दोनों साथ-साथ दारू पीते हैं। एक-दुसरे से गिलास और कटोरा टकराते हैं। इनके बच्च्चों का हाल बेहाल है। दीघा-पटना रेखखंड के किनारे सुअर के बखौरनुमा झोपड़ी में रहते हैं। संजय मांझी मजदूर हैं। इनके अधिकांश परिजन वक्त के पहले मौत के मुंह में समा गए हैं। नाना-नानी,मामा,मां आदि चले गए हैं। इस तरह के दारू पीने से संजय मांझी और उसकी पत्नी पर भी तलवार लटकने लगी है।
आलोक कुमार
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