मगर एम्बुलेंस नहीं भेज सके
आज श्रवण की तरह पुत्र हैं......
पटना। इंसानों की पहलकदमी से चांद पर आदमी भेज दिए। वहीं मंगल पर मंगलयान भेजने में सफल हो गए। मगर गांवघर में एम्बुलेंस नहीं भेज सके। और तो और स्टेचर भी उपलब्ध नहीं करवा सके। वजह साफ है कि जो मुहल्ला बनाए जाए रहे हैं वह तंग गली में होता है। जहां फर्राटेदार एम्बुलेंस नहीं जा सकता है। भौतिक सामग्री उपलब्ध नहीं रहने पर श्रवण कुमार की पहचान हो सकी। एक पुत्र ने बीमार पिताजी को कंधे पर बैठाकर सड़क पर ले गया। इसके बाद टेम्पों पकड़कर हॉस्पिटल ले गया।दीघा थाने क्षेत्र के मखदुमपुर बगीचा में बीमार होने के पिता जी को पुत्र ने कंधे पर बैठाकर सड़क पर ले गया। इसके बाद हॉस्पिटल ले गया। यह पूछने पर बताया गया कि घर में खटिया नहीं होने के कारण ही कंधे पर बैठाया गया। किसी तरह के प्राथमिक उपचार की क्लास में भाग नहीं लेने के कारण कामचलाऊ स्टेचर भी नहीं बना सका।
आलोक कुमार
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