राज्यभर में 12 व्यक्तियों की मौत
लोक आस्था के महापर्व छठ का समाप्त
पटना। पटना प्रमंडल के प्रमंडलीय
आयुक्त नर्मदेश्वर लाल के नेतृत्व में लोक आस्था के महापर्व छठ शांतिपूर्ण ढंग से
गुजर गया। दशहरा त्योहार के अवसर पर रावण वध के दौरान घटित हादसा के बाद
अधिकारियों को दरकिनार कर दिया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नए
अधिकारियों को पद स्थापित किया। इसका असर दिखा।
दीघा से दीदारगंज तक के घाटों पर चौकस व्यवस्था की गयी। विभिन्न विभागों का तालमेल
दिखा। मुस्तैदी से अधिकारी और कर्मचारी कर्तव्य निभा दिए। इसमें छठ पूजा समिति तथा
समिति के सदस्यों का भी योगदान नकारा नहीं जा सकता है।
तीन साल से किरकिरीः राजधानी में
विगत तीन बड़े हादसे से प्रशासन का मनोबल गिर गया था। देखते ही देखते 2012 में महापर्व छठ के अवसर पर 20 से अधिक लोगों की मौत हो गयी। भाजपा के प्रधानमंत्री के प्रत्याशी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आम सभा में ऐतिहासिक गांधी मैदान में 2013 में बम विस्फोट हो गयी। इसमें 80 लोग घायल हो गए। इस साल 2014 में रावण वध
देखने और मेला का लुफ्त उठाने आने वाले 33 लोगों की
मौत हो गयी। सैकड़ों लोग घायल हो गए। इन हादसे से जिला प्रशासन की जमकर किरकिरी की
गयी। दीघा से दीदारगंज तक छठ घाट पर हादसा नहीं होने से अधिकारियों के गिरे मनोबल
उठकर हिमालय पहाड़ की चोटी पर पहुंच गयी है। जो सुखद संदेश है। कोई परिवार को दुःख
झेलना नहीं पड़ेगा।
राज्यभर में दर्जन भर लोगों की मौतः
चार दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान के दौरान 12
व्यक्तियों की मौत होने की सूचना है। जो दुःखद पहलु है। इस ओर मुख्यमंत्री जीतन
राम मांझी को देखना और समझना पड़ेगा। दीघा से दीदारगंज तक घाट में जिस प्रकार की
व्यवस्था की गयी थी। उसी तरह 38 जिले में करने
की जरूरत है। यहां पर काफी व्यवस्था दुरूस्त थी। सभी लोगों ने बेहतर ढंग से कार्य
किए। यातायात में लगे पुलिसकर्मियों का कहना था कि लाखों लोगों की उमड़ी भीड़
परेशानी नहीं हुई। सामान्य दिनों की तरह ही यातायात व्यवस्था थी। किसी तरह की
मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ घाटों पर आतिशबाजी की गयी। वहां पर तैनात
पुलिसकर्मियों ने आतिशबाजी करने वालों पर नियंत्रण कर लिए। कुछ बच्चे परिजनों से
बिछड़ गए थे। उद्घोषणा करने के बाद बच्चों को परिजन ले गए।
इस बार भी सूर्य देवा देर से आएः
मौसम विज्ञानी के अनुसार 5 बजकर 56 मिनट पर सूर्या देवा का आगमन होना था। मगर सवा 6 बजे पहुंचे। काफी देर से छठ व्रती सूर्य देवा का इंतजार करती
रही। गंगा नदी में खड़े होकर हाथ जोड़कर दुआ करते रहे। भगवान दिवाकर के आगमन के बाद
अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां से निकलकर सूर्य मंदिरों में पूजा करने
चले गए। यहां पर काफी भीड़ दिखी। लोगों के बीच में प्रसाद वितरण किया गया।इस तरह
साल का महापर्व छठ का समापन हो गया।
आलोक कुमार
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