सरकार की
ओर से प्रयास नहीं
ऐपवा ने
मुख्यमंत्री का पुतला फूंका
पटना।
छंटनीग्रस्त के खिलाफ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य के बैनर तले
महिलाकर्मियों का जत्थेवार सामूहिक अनशन जारी है। आज 13 वां दिन है।
27 सितम्बर 2007 के बाद बहाल कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कर्मियों की
छंटनी वापस लेते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (सर्व शिक्षा अभियान,गया) द्वारा ज्ञापांक 2386 से क्रमशः 2409 दिनांक 8/11/14 को स्थगित करते हुए विद्यालय वापस जाने का आदेश, बकाया मानदेय का भुगतान, 80 रूपए दैनिक मजदूरी की जगह न्यूनतम मजदूरी 186 का भुगतान करने आदि की मांग को लेकर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
संद्य,शाखा,गया के सैकड़ों महिलाकर्मी 17 नवम्बर से पटना
के आर.ब्लॉक पर 10-10 की संख्या में सामूहिक अनशन पर बैठे
हैं। जो आज भी जारी है। ऐपवा पटना की अध्यक्ष सरोज चौबे का कहना है कि आपकी मांग
जायज है। फिर भी 13 दिनों से इस ठंडी मौसम को झेलने को
बाध्य हैं। इतना करने के बाद भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
यदि सरकार
हमारी समस्याओं का समाधान नहीं करेगी तो हम कर्मी इसी तरह के अपने आंदोलन को तेज
करते हुए जारी रखेंगे। अनशन पर बैठने वाली महिलाओं में नीलम कुमारी, सुषमा कुमारी, नीरा देवी,कुमारी अमीता,राधा देवी,अनीशा देवी, सुनीता देवी ,लाली देवी,लाली देवी,ललिता देवी आदि का नाम उल्लेखनीय है। कस्तूरबा गांधी बालिका
विद्यालय संद्य (गोप गुट) की संयोजिका योगिता टैगोर ने बताया कि मांगे पूरी होने
तक आंदोलन जारी रहेगा।
अखिल
भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के तत्वावधान में इस बीच पीएमसीएच की
हड़ताली नर्सों व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की अनशनकारी कर्मचारियों के
समर्थन में स्थानीय बुद्ध पार्क से प्रतिरोध मार्च निकालकर रेडियो स्टेशन पर
मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया। मार्च में केजीबीवी की की कर्मचारियों ने भी
भाग लिया। मार्च का नेतृत्व ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे , राज्य सचिव शशि यादव, नगर सचिव
अनिता सिन्हा, नगर अध्यक्ष मधु , सह सचिव अनुराधा, कार्यालय
सचिव विभा गुप्ता, केजीबीवी कर्मचारी संद्य की महासचिव
विद्यावती सिंह, योगिता टैगोर, मंजू देवी आदि ने किया।
पुतला दहन
के बाद आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ नरेन्द्र मोदी देश भर में घूम-घूम
कर महिलाओं-लड़कियों की शिक्षा की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ लड़कियों को पढ़ाने वाली
शिक्षिकाएं आज अपने रोजगार के लिए सड़कों पर अनशन करने को मजबूर हो रही हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है। लेकिन पीएमसीएच की
नर्सें अपने रोजगार की सुरक्षा के लिए हड़ताल करने को विवश हैं।
सरकार
उनके सस्ते श्रम के शोषण के लिए ठेका और मानदेय पर बहाली करती हैं। सालों तक
उनसे काम लेने के बाद तरह-तरह के बहाने बनाकर उनकी छंटनी कर देती है। इस प्रकार उन
महिलाओं का भविष्य अधर में लटक जाता है। केजीबीवी की छंटनीग्रस्त 148 कर्मचारियों को यदि अविलम्ब बहाल नहीं किया जाता है और धरना
पर बैठी नर्सों की मांगे पूरी नहीं होती है, तो ऐपवा बड़े आंदोलन में उतरने को बाध्य हो जाएगा।
आलोक
कुमार
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