Tuesday 25 November 2014

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की साली लालपरी देवी परेशान



17 नवम्बर से 24 घंटे का जत्थेवार अनशन करने को मजबूर

गया। अलग हो गयी है मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पहचान। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित मुसहर समुदाय के जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिए। ऐसा समझा जाता था कि पूर्व मुख्यमंत्री के पथ चिन्हों पर चलते रहेंगे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री को रिमोट के द्वारा शासन चलाने का आरोप लगाया। इसका पूर्व मुख्यमंत्री को खंडन करना पड़ता है। कहते हैं कि जब हम डायरेक्ट ही शासन कर रहे थे। खुद पर से कमजोर मुख्यमंत्री का क्लंक धोने के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बोलना शुरू कर दिए। भले ही आज बोले और कल जाकर पलट जाए। इसके कारण जदयू और विपक्षी नेताओं के कोपभाजन बनने लगे। कम से कम मुख्यमंत्री राजनीति क्षेत्र में इधर-उधर बोलकर निकल जाते हैं। उसी आदत को परिवार में उतारना शुरू कर दिए हैं। इसके कारण मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की साली परेशान हो गयी हैं। अपनी साली लालपरी देवी को मुख्यमंत्री साली मानने से ही इंकार कर दिए हैं।

Lalpari Devi
डोभी प्रखंड के कुरवामा पंचायत के महकमपुर में सुखदेव मांझी रहते हैं। महादलित सुखदेव मांझी की शादी लालपरी देवी के साथ हुई हैं। दोनों दम्पति से पांच बच्चे हुए। चार की शादी करने में सफल हो गए हैं। दोनों की पुत्री प्रतिमा कुमारी अध्ययनरत हैं। नौवीं कक्षा में पढ़ती हैं। एक विशेष मुलाकात में लालपरी देवी कहती हैं। वह मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की साली हैं। मुख्यमंत्री की शादी शांति देवी दीदी के साथ हुई हैं। अनार देवी और कमला देवी भी दीदी हैं। हम बहनों के पिता जी का नाम श्याम मांझी और माता जी का नाम राजपति देवी हैं।दोनों परलोक सिधार चुके हैं। आगे कहती हैं कि मुख्यमंत्री जीजा जी साली को भूल गए हैं। मतलब निकल गया तो पहचानते ही नहीं हैं।
मुख्यमंत्री की साली लालपरी देवी कहती हैं कि हमलोगों का 27 सितम्बर 2007 को चयन किया गया।  कुल 148 महिलाकर्मियों का चयन किया गया। इसमें 45 शिक्षक, 44 रसोइया, 22 आदेशपाल,20 रात्रि प्रहरी और 17 वार्डेन थे। सभी को विभिन्न प्रखंडों में पदभार कराया गया। उनको गुरूआ प्रखंड के तरोवा गांव में तरोवा मध्य विद्यालय के परिसर में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यायय में योगदान करना पड़ा। इस समय तीन हजार रूपए मानदेय मिलता है। उनका कहना है कि मात्र चयन समिति के सदस्यों का हस्ताक्षर नहीं रहने के कारण 148 महिलाकर्मियों पर वज्रपात गिर गया है। तकदीर बनाने के बजाए तकदीर बिगाड़ने वाले आदेश कार्यालय-जिला शिक्षा पदाधिकारी,बिहार शिक्षा परियोजना,गया के द्वारा निर्गत किया गया। इस में उल्लेख किया गया है कि गया में कार्यरत कर्मियों का नियोजन 27 सितम्बर 2007 के बाद किया गया था जो जांच के क्रम में अवैध पाया गया तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान, गया के पत्रांक 03 दिनांक 04 जनवरी 2013 के द्वारा नियोजन रद्द कर दिया गया।


इसके बाद कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य की सचिव कुमारी विद्यावती सिंह और अन्य महासंद्य गोप गुट से संबंधित गया शाखा की जुझारू दीदी लोग महकार आए थे। उस समय बतौर मुख्यमंत्री जीजा जी थे। उनसे दीदी लोग बातचीत किए। मुख्यमंत्री का कहना था कि अखबार में रिक्त संबंधी विज्ञापन प्रकाशित किया गया? तो विभाग के लोगों ने कहा कि राशि उपलब्ध नहीं रहने के कारण विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया। मगर काफी प्रचारित किया गया। सूचना बोर्ड पर रिक्त संबंधी सूचना दी गयी। 5 हजार से अधिक की संख्या में महिलाएं साक्षात्कार में शामिल हुए। तब मुख्यमंत्री जीजी जी ने कहा कि मेरी साली लालपरी देवी भी नौकरी से हटा दी गयी हैं। इसके बाद भी जीजा जी 148 महिलाकर्मियों को नौकरी में बहाल नहीं करवा पा रहे हैं। मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी शांति दीदी से भी बोले तो दीदी कह दी है कि नौकरी हो जाएगी?

इस ठंड में 17 नवम्बर 2014 से 24 घंटे का जत्थेवार सामूहिक अनशन पर बैठे हैं। तीन दिनों तक वाटर टेंकर से वाटर उपलब्ध कराया गया। उसके बाद बंद कर दिया गया। दिन तो कट जाती हैं। रात्रिपहर मच्छरों का तेज आक्रमण होने लगता है। प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। जो सामूहिक अनशन पर नहीं रहती हैं भूजा फांककर एकता प्रदर्शित कर रही हैं। कस्तूरबा गांधी के नाम पर काम करते हैं और गांधी जी के नाम पर सत्याग्रह कर रहे हैं। अगर सत्याग्रहियों की आवाज सुनने वाला ही नहीं है। अभी तक कोई आकर वार्ता करने की पहल भी नहीं किए हैं।

आलोक कुमार



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