Thursday 6 November 2014

एकता पीस फाउंडेशन के द्वारा बंधुआ मजदूरों की खोज जारी

आजाद भारत में पराधीन हैं मजदूर

गया। आजाद भारत में पराधीन हैं मजदूर। यह स्थिति आजादी के 66 साल के बाद भी विराजमान है। मनुष्य को पराधीन रखने वालों और इस तरह की कुव्यवस्था को बनाए रखने वालों के विरूद्ध सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं हैं। बंधुआ मजदूर के बंधन से मुक्त होने वालों को कल्याणकारी सरकार के द्वारा पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है। इसके आलोक में सरकार के द्वारा मजदूरों की संख्या कम से कम करके पेश किया जाता है। इसको लेकर गैर सरकारी संस्था के कर्ताधर्ता परेशान रहते हैं। बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी जब सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत थे। तब बंधुआ मुक्ति आंदोलन चलाया करते थे। अब सामाजिक सरोकारों के प्रतिमूर्ति उदय नारायण चौधरी की राह पर एकता पीस फाउंडेशन के मेम्बर चलने लगे हैं।

एकता पीस फाउंडेशन के सचिव शत्रुध्न कुमार ने बताया कि फिलवक्त बंधुआ मजदूरों की खोज की जा रही है। प्रत्येक माह बैठक की जाती है। इसी तरह सरकार के नौकरशाहों के द्वारा बैठकों में जानकारी ली जाती है। मगर जिस आंकड़े को प्रस्तुत किया जाता है। वह जायज आंकड़ों से कोसों दूर है। कम कर आंकड़ा पेश करने का तात्पर्य यह है कि सरकार की सेहत पर असर नहीं डाले। वहीं प्रस्तुत अल्प बयानी करने की कलई जल्द ही खुल जाती है। गया, मुजफ्फरपुर,सहरसा आदि जिले में रहने वालों को सब्ज बाग दिखाकर दलाल ले जाते वक्त स्टेशनों पर पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं। पलायन करने वालों में अबोध बच्चे और सयाने भी होते हैं।

एकता पीस फाउंडेशन के सचिव शत्रुध्न कुमार ने आगे बताया कि हमलोग बंधुआ मजदूर खोजों अभियानशुरू किए हैं। अभी फाउडेंशन के द्वारा गया जिले के 8 पंचायतों में ही अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक 3 हजार लोगों का सर्वें किया जा चुका है। सरसरी निगाहों से इसमें 1 हजार की संख्या में विशुद्ध बंधुआ मजदूर हैं। प्रगति के आलोक में बाद में व्यापक स्वरूप दिया जाएगा।

जब इस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भावुक हो उठे। महा करोड़पति के हॉट सीट पर ओम प्रकाश जी बैठे थे। उनका कहना था कि मेरे पिताजी भजन लाल बंधुआ मजदूर थे। किसान के पास दादाजी पराधीन थे। महज 25 रूपए की लेनदारी थी। दादाजी की मौत के बाद किसान के पास बाबूजी को बंधुआ मजदूर बननाा पड़ा। किसी तरह 7 रूपए अदा कर पाए। किसान के 18 रूपए लेनदान रहते बाबूजी फरार हो गए। तब दिल्ली की झुग्गी झोपड़ी में रहकर नये सिरे से जीवन शुरू किया गया। एम.ए. उर्त्तीण होकर ओम प्रकाश कार्यरत हैं। मौका मिलते ही बंधुआ मजदूर के पुत्र ओम प्रकाश हॉट सीट पर बैठे। 10 सवालों का जवाब देकर 25 लाख रू. जी रहे थे। 11 वें सवाल के रूप में इमारत बनने के पहले 8 साल सर्वोच्च न्यायालय किधर कार्यरत था। ओम प्रकाश ने लाइफ लाइन के तहत दोस्त से सवाल का जवाब चाहा। दोस्त ने स्पष्ट रूप से पार्लियामेंट हाउस जवाब दिया। इसके बावजूद भी ओम प्रकाश रिक्स लेना पंसद नहीं किए। गेम को छोड़ दिए। इस तरह 25 लाख रू. जीत गए। एंकर अमिताभ बच्चन ने ओम प्रकाश से जानना चाहा तो जवाब में दोस्त के साथ गया। जो सही जवाब था। ओम प्रकाश जी 50 लाख जीतते जीतते रह गए।

एकता पीस फाउंडेशन के सचिव शत्रुध्न कुमार ने कहा कि बस इसी तरह का अवसर बंधुआ मजदूरों को दिलवाने का प्रयास होगा। उनको मालिकों के बंधन से मुक्त करवाना है। खुद मुक्त होकर परिवार के साथ जीवन व्यापन करेंगे।

आलोक कुमार

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