पटना। जिला प्रशासन के द्वारा आंदोलन करने वालों से अंग्रिम जानकारी देने की मांग की जाती है। 72 द्यंटे
के
पूर्व
ही
जानकारी
देनी
है।
आंदोलन
करने
वाले
जानकारी
देने
लगे
हैं।
कारगिल
चौक
के
किनारे
डी.डी.छिड़काव कर्मचारी 10 नवम्बर
2014 से
आमरण
अनशन
करने
वालों
का
कहना
है
कि
प्रशासन
के
द्वारा
शीतलहरी
के
समय
में
अलाव
की
व्यवस्था
नहीं
की
गयी
है।
पेयजल
और
बिजली
की
भी
व्यवस्था
नहीं
है।
अपने
हाल
में
सत्याग्रह
करना
पड़ता
है।
किसी
तरह
की
सहानुभूमि
व्यक्त
नहीं
किया
जाता
है।
डी.डी.छिड़काव कर्मचारी 41 दिनों
से
आमरण
अनशन
पर
बैठे
हैं।
गांधी
मैदान
के
निकट
कारगिल
चौक
पर
अनशन
पर
बैठे
कर्मियों
में
काफी
आक्रोश
जिलाधिकारी
पटना
से
है।
जिलाधिकारी
अभय
कुमार
सिंह
ने
पटना
उच्च
न्यायालय
का
आदेश
ही
नहीं
मानते
हैं।
उसी
तरह
सिविल
सर्जन
के.के.मिश्र की सलाह को भी अनसूना कर देते हैं। श्री मिश्र ने डी.डी.छिड़काव कर्मियों का वर्षवार वरीयता सूची बनाकर जिलाधिकारी को दिया गया है। एक माह पहले ही सूची भेजा गया है। उस सूची पर जिलाधिकारी कार्यालय के स्थापना शाखा के द्वारा जर्बदस्त कैंची चला दी गयी है। मनमाने ढंग से कैंची चलायी गयी है। केवल 1991 तक
का
ही
वरीयता
सूची
बनाकर
पत्रांक
2922 के
माध्यम
से
11.11.2014 को
सिविल
सर्जन
से
मंगवाकर
उसे
बेवसाइट
पर
प्रकाशित
कर
दिया।
पटना उच्च न्यायालय का आदेश में यह स्पष्ट लिखा गया है कि जो वरीयता सूचील सिविल सर्जन के द्वारा अनुशंसित कर जिलाधिकारी को भेज दिया था। उसमें जिलाधिकारी को काट-छांट करने को कोई अधिकार नहीं है। जिलाधिकारी ने मनमौजी से पटना उच्च न्यायालय के आदेश को ही पालन नहीं करने पर उतर गये हैं।
इस बीच पटना उच्च न्यायालय में 19.12.2014 को
सिविल
सर्जन
ने
लिखित
जानकारी
दी
है
कि
उन्होंने
1585 डी.डी.छिड़काव कर्मियों की वरीयता सूची वर्षवार करके जिलाधिकारी को पत्रांक 5601 के
माध्यम
से
05.08.2014 को
ही
भेज
दिए
हैं।
इस
पर
जिलाधिकारी
ने
किसी
तरह
का
संतोषजनक
कार्य
नहीं
किए। पटना उच्च न्यायालय में 23 दिसम्बर को जिलाधिकारी अभय कुमार सिंह पेश होंगे?अब
देखना
कि
अपने
बचाव
में
कहा
कह
पा
रहे
हैं।
आलोक कुमार
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