आखिर कबतक सूई देने वाली नर्सेंस सूई से अधिक दर्द सहेंगी?
यह लोग कोई ग्रामीण महिलाएं नहीं है। जो रोड पर बैठकर आग जलाकर आग ताप
रही हैं।
बल्कि ये
लोग मानव सेवा करने वाली नर्सेंस है। सरकार के द्वारा संविदा पर बहाल नर्सेंस को प्रमाण पत्र देखकर नौकरी को स्थयीकरण करने की मांग कर रही हैं।
अभी हमलोग 31 दिनों से हड़ताल पर डटे हैं। मौसम के सर्वाधिक ठंड होने के कारण लड़की जलाकर उर्जा ग्रहण करने रहे हैं। यह उर्जा आंदोलन को उर्जावान बनाने में सहायक सिद्ध हो रहाह है। सरकार से आग्रह किया गया कि हमलोग उम्रदराज हो गए हैं। इस समय किधर जाएंगे? प्रमाण पत्र जांचकर औपचारिका निर्वाह कर लें।
आलोक कुमार
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