बिहार में
2010 में मिला 2 और कोलकोता में 2011 मिला 1 पोलियो केस
दरभंगा की
ए.एन.एम.मार्था दीदी को मिला पुरस्कार
गया।
आखिरकार 2014 को पोलियो मुक्त भारत हो गया। बिहार
में 2010 में मिला 2 और भारत में 2011 मिला 1 पोलियो केस । बिहार में 23 जनवरी 2010 को समस्तीपुर में डब्ल्यू पी व्ही 3 और 1 सितम्बर 2010 को पूर्वी चम्पारण में डब्ल्यू पी व्ही 1 पोलियो केस मिला।कोलकोता में 2011 में 1 पोलियो केस मिला था। इसके बाद भारत
में पोलियो का मामला सामने नहीं आया। 3 साल
इंतजार करने के बाद डब्ल्यू.एच.ओ. ने 27 मार्च 2014 को पोलियो मुक्त भारत घोषित कर दिया।
इसमें
बिमारू राज्य बिहार का भी बहुत बड़ा योगदान है। हमलोग पलायन करके अन्य राज्यों में
रहने जाते हैं। वहां से वर्ष में 4 से 6 माह के लिए वापस लौट जाते हैं। बिहार में ही एक जिले से दूसरे
जिले में जाने वाले परिवार । उसी तरह अन्य राज्यों के लोग बिहार में आवाजाही करने
वाले परिवार। ईट भट्ठे पर काम करने वाले तथा अन्य मजदूरों के परिवार और
द्युमन्तू/बंजारा आबादी वाले लोग।इस तरह की चुनौती से बिना विचलित होकर स्वास्थ्य
विभाग और स्वास्थ्यकर्मी नियमित पल्स पोलियो अभियान चलाकर बच्चों को खुराक देते
रहे। अभियान में बेहतर परिणाम देने वाली दरभंगा की ए.एन.एम.मार्था दीदी को
पुरस्कार भी मिला।
विश्व
स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 1995 से पल्स पोलियो
अभियान शुरू किया गया। अंतिम बार पोलियो का मसला भुटान में 1985,श्रीलंका 1993, मालद्वीप 1994,
डीपीआर कोरिया 1996, थाइलैंड 1997, बंगला देश 2006, इंडोनेशिया 2006,मयम्मरार 2007,नेपाल 2010 और भारत 2011 में मिला। 3 साल इंतजार करने
के बाद 27 मार्च 2014 को पोलियो मुक्त भारत घोषित हो सका। साउथ इस्ट एशिया के 11 देश भी पोलियो मुक्त क्षेत्र हो गए हैं। विश्व के 80 प्रतिशत जनसंख्या पोलियो मुक्त हो गयी है। वहीं पाकिस्तान,अफगानिस्तान और नाइजीरिया में पोलियो वायरस बरकरार है। विश्व
स्वास्थ्य संगठन के द्वारा वर्ष 1995 से जारी पोलियो
उन्मूलन कार्यक्रम में धक्का लगा जब कैमरून गुइनिया में 3 और इथोपिया,इराक और सिरिया में 1 पोलियो केस मिला।
खैर,
अब मासूम बच्चे अपाहिज नहीं होंगे?पोलियो एक लाइलाज बीमारी है जो बच्चे को अपाहिज कर देती है। यह बीमारी एक
वायरस द्वारा होती है। जो कि केवल मनुष्यों के आंत में जीवित रहता है। पोलियो उन
कुछ एक बीमारियों में से जिनका उन्मूलन संभव है। पोलियो वायरस 3 प्रकार के होते है। पी-1,पी-2 एवं पी-3।इनमें से पी-2 का उन्मूलन हो चुका है। पी-1 का उन्मूलन सबसे जटिल एवं यह शीद्य्रता से दूर तक फैलता है।
अतः उन्मूलन में इनको प्राथमिकता दी गयी। पोलियो उन्मूलन की रणनीतियां। नियमित
टीकाकरण, संवेदनशील ए.एफ.पी.सर्विलेन्स सिस्टम,
राष्ट्रीय एवं अनुराष्ट्रीय टीकाकरण चक्र और मॉप-अप
चक्र। अब सरकार,गैर सरकारी संस्थाओं और परिजनों का
दायित्व बनता है कि शुरू में पोलियो वायरस का पता लगाने के लिए और अंत में पोलियो
वायरस के अनुपस्थिति को साबित करने के लिए क्या कदम उठाया जा रहा है। कारगर कदम
उठाने की जरूरत है जिससे सात समुन्दर पार पोलियो को आगमन न हो सके। नियमित टीकाकरण
को सुदृढ़ करना। दस्त ग्रसित बच्चों में जिन-ओआएस का वितरण, स्वच्छ पेय जल की आपूर्ति एवं स्वच्छता अभियान को प्राथमिकता से लागू करना
स्तनपान को बढ़ावा देते रहना है। खासकर महादलित बस्ती में अधिक टेक केयर करना है।
इन्हीं लोगों की घनी आबादी,गंदगी,प्रदुषित जल एवं खुले में शौच इत्यादि वाले क्षेत्र में
पोलियो आसानी से फैलता है। यहां पर जन्म लेने से 15 साल तक का कोई बच्चा या बच्ची जो जन्म से स्वस्थ हो और अचानक उसको कोई एक
या अधिक अंग कमजोर पड़ जाय या उसमें लुंजपुंज लकवा लग जाय तो यह ए.एफ.पी.हो सकता
है। इसकी शुरूआत छह महीने के भीतर होने लगती है। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
है।
अब सवाल
उठता है कि पोलियो मुक्त भारत में सरकार के द्वारा पोलियो ग्रसित विकलांगों को
क्या सुख-सुविधा प्रदान की जा रही है? बिहार
विकलांग अधिकार मंच ने सरकार से मांग की है कि 1995 से 2014 तक केन्द्र एवं राज्य के सरकारों
में बचे बैकलॉग को अविलम्ब प्रकाशित कर विशेष भर्त्ती अभियान के तहत नियुक्ति का
विज्ञापन निकाला जाए। राज्य सभा, लोक सभा,विधान सभा, एवं विधान परिषद
में विकलांगों के लिए सीट आरक्षित किया जाए एवं साथ ही साथ पंचायत एवं वाडों के
चुनाव में भी आरक्षण किया जाय। पीडब्ल्यूडी 1995 के संशोधन कानून विकलांग अधिकार अधिनियम, लोक सभा से अविलम्ब पारित कर देश स्तर पर उसे लागू किया जाय। देश स्तर पर
पर राष्ट्रीय विकलांग आयोग एवं राज्यों में राज्य विकलांग आयोग स्वतंत्र प्रभार के
रूप में अविलम्ब गठन किया जाए। दिल्ली एवं अन्य राज्यों के आधार पर सभी राज्यों
में विकलांग मंत्रालय एवं विभाग गठन किया जाए। देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर
विकलांग बोगी के सामने डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए तथा प्लेटफार्म के बीच में ही
विकलांग डब्बा लगाया जाए।
आलोक
कुमार
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