अब टेस्ट मैच नहीं खेलेंगे
गया।
राज्य में शीतलहर जारी है। आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा जारी शीतलहरी को निकट से
अनुश्रवण किया जा रहा है। प्रतिदिन अलाव जलाने की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है।
रैन बसेरा में रहने वालों के पास भी अलाव जलाकर राहत पहुंचाने की व्यवस्था की गयी
है। ठंड से जूझते लोगों के बीच में कम्बल भी वितरण किया जा रहा है। पूस में पछुआ
हवा को नहीं झेल पाने के कारण 25 लोगों की मौत हो
गयी है। मिली जानकारी के अनुसार कोसी प्रमंडल में 19 और मुंगेर में 6 लोगों की जान
चली गयी। प्रशासन के द्वारा सामान्य मौत करार दिया गया है। ऐसा करने से सरकार को
परिजनों को मुआवजा नहीं देना पड़ेगा।
राज्य के 38 जिले में एकमात्र जहानाबाद जिला है। जो आपदा प्रबंधन विभाग
को सही ढंग से रिपोर्ट भेजने में सफल हो रहा है। जहानाबाद में 28 जगहों पर प्रतिदिन अलाव की व्यवस्था की जा रही है। अबतक 4870 किलोग्राम लकड़ी जलाये गये है। विभाग से 25 हजार रू. मिला है। इसके विरूद्ध 30 हजार रू.खर्च किया है। 1 रैन बसेरा में
आश्रय लेने वालों की संख्या 15 है। 25 लोगों के बीच में कम्बल वितरण किया गया है। अभ्युक्ति में
प्रतिदिन 620 किलोग्राम अलाव जलाया जा रहा है।
केवल शीतलहर के प्रकोप से प्रभावित जनसंख्या का उल्लेख नहीं किया है।
इस
शीतलहरी में 10 अधिकतम अलाव जलाने वाले जिला है।
वैशाली में 136, गया में 127, बेगूसराय में 123, पूर्णिया व
समस्तीपुर में 96, पूर्वी चम्पारण में 85, गोपालगंज में 84, कैमूर में
82, मुजफ्फरपुर में 79 और सहरसा 74। इसी सिलसिले में 10 न्यूनतम अलाव जलाने वाले जिला है।पश्चिम चम्पारण में 10,
शेखपुरा में 13, औरंगाबाद
में 20, अरवल में 26, जहानाबाद में 28, बांका और नवादा
में 40 शिवहर में 43, और मुंगेर में 44। कुल मिलाकर 2276 स्थानों में प्रतिदिन अलाव जलाने की व्यवस्था है। अबतक 254717 किलोग्राम लकड़ी जलाये गए है।
सनद रहे
कि आपदा प्रबंधन विभाग ने 38 जिले में 28 लाख रूपए निर्गत किए गए है। निर्गत राशि में गया जिले को 2 लाख रू.मिला है। निर्गत राशि से 127 स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गयी है। दुर्भाग्य से शीतलहरी से
प्रभावित जनसंख्या का उल्लेख ही नहीं किया गया है। निर्गत राशि से अधिक खर्च करने
वालों में गया भी शुमार है। इसने 2 लाख के विरूद्ध
में 2 लाख 28 हजार रू.खर्च कर दिया। वहीं पूर्णिया को 1 लाख 50 हजार रू. मिला। इसने निर्गत राशि से
96 जगहों पर अलाव की व्यवस्था की है। प्रभावित
25 हजार जनसंख्या पर 1 लाख 81 हजार रू.खर्च किया गया है। दरभंगा
को भी 1 लाख 50 हजार रू. मिला। 75 जगहों पर अलाव
की व्यवस्था की गयी। 1 लाख 81 हजार रू. खर्च किया गया है। वैशाली जिले को 50 हजार रू.मिला था। उसने 136 स्थानों पर अलाव
की व्यवस्था की है। इसने 50 हजार रू. के
विरूद्ध में 1 लाख 43 हजार रू.खर्च कर चुका है। निर्गत राशि से बहुत कम खर्च करने वालों में
औरंगाबाद जिला है। इसे 50 हजार
रू.मिला।केवल 9 हजार रू.खर्च किया। नवादा को 50 हजार रू. मिला। केवल 10 हजार रू.व्यय किया। बांका को 50 हजार
रू.मिला और 11 हजार रू.खर्च किया।इसी तरह का व्यय
करके अबतक इस राशि के विरूद्ध 15 लाख 50 हजार रूपए व्यय किया गया है।
राज्य में
अनेको रैन बसेरा है। अबतक जमुई में 10,पूर्णिया
में 4,कटिहार में 4,सहरसा,बेगूसरायऔर समस्तीपुर में 2,भोजपुर,जहानाबाद,वैशाली और पूर्वी चम्पारण में 1 जगहों पर अलाव की अवस्था की गयी है। इन 10 जिलों में कुल 28 रैन बसेरा में 5766 जनसंख्या आश्रय लिए हुए हैं। मजे की बात है कि पटना और गया
के रैन बसेरा में अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है। उसके बदले में कम्बल वितरण
किया गया। पटना में 849,पूर्वी चम्पारण 835,पश्चिमी चम्पारण 665,नालंदा 451,सीतामढ़ी 331, गया,औरंगाबादऔर गोपालगंज में 200, कैमूर में 100,बक्सर 80,वैशाली 39 और जहानाबाद 25 कम्बल वितरण किया है। इन 15 जिलों में कुल 4416 कम्बल वितरित
किया गया। इस बात की जानकारी आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी विपिन
कुमार राय ने दी है।
आलोक
कुमार
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