कॉलेज और जिला स्तर पर फुटबॉल खेलने वाले दिलीप
अंडा बेचने को मजबूर
पटना।
पहले दीघा भूट्टा टीम से फुटबॉल खेले। इसके बाद सम्राट स्पोट्स टीम से फुटबॉल
खेले। पटना फुटबॉल लीग में जूनियर व सीनियर के रूप में फुटबॉल खेले। अध्ययनकाल में
बी.एस.कॉलेज से फुटबॉल खेले। सभी जगहों पर फुटबॉल जाकर खेलने के बाद फुटबॉलर को
सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिला। अभी दीघा हाट के करीब लक्ष्मण चौधरी मछली बेचते हैं
और बालूपर मोहल्ला के सामने दिलीप कुमार अंडा बेचने को बाध्य हैं।
जी हां,
दीघा में फुटबॉल खेलने वालों की शामत आ गयी है। ‘पढ़ोंगे-लिखोंगे तो बनोंगे नवाब और खेलो कुदोंगे तो हो जाओंगे
खराब’?कम से कम लक्ष्मण चौधरी और दिलीप कुमार के
साथ सटिक बैठ रहा है। जिला स्तर पर आयोजित होने वाले फुटबॉल प्रतियोगिता में कभी
जूनियर तो कभी सीनियर के रूप में फुटबॉल खेले हैं।
गरीबता के
कारण दिलीप कुमार अंडा बेच रहा है। वह संत माइकल उच्च विघालय में 10 वीं कक्षा तक पढ़ा। दुर्भाग्य से 10 वीं उर्त्तीण नहीं कर सका। बीच में ही छोड़कर दरोगा प्रसाद उच्च विघालय से
मैट्रिक उर्त्तीण किया। इसके बाद दानापुर में स्थित मगध महाविघालय से संबंध रखने
वाले बी.एस.कॉलेज से आई.ए.उर्त्तीण हुए। बी.ए. में अध्ययनरत थे। एक पेपर की
परीक्षा नहीं दिए। इसका मतलब आई.ए.तक पढ़े हैं। जब कॉलेज में थे तब अंतर कॉलेज
फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग लेते थे। इस बीच दिलीप कुमार के परिजनों ने विवाह रचा
दिया। अभी 5 बच्चे हैं। तीन लड़किया और दो लड़के
हैं।
फुटबॉलर
दिलीप कुमार कहते हैं कि फुटबॉल खेल में पदक और प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ था। सरकार
का द्वारा प्रोत्साहित नहीं करने के कारण पदक को फेंक दिए और प्रमाण पत्र जला
डाले। अभी 42 साल के हैं। अनुसूचित जाति में ‘पासवान’ हैं। सरकार ने
महादलित आयोग के बाहर कर रखा है। इसके कारण जाति और खिलाड़ी का फल नहीं मिल सका।
बिहार के
सीएम और खेल मंत्री को खिलाड़ियों की सुधि लेनी चाहिए। इस समय खिलाड़ी और खिलाड़ी के
शुभचितंक नाराज चल रहे हैं। हम फुटबॉल में स्तरहीन हैं। वहीं क्रिकेट में भी पीछे
ढकेल दिए गए हैं। पड़ोसी प्रदेश झारखंड क्रिकेट में रणजी और राष्ट्रीय स्तर पर
खिलाड़ी देने में सफल है। दुर्भाग्य से खिलाड़ी अपना प्रदेश छोड़कर अन्य प्रदेश में
जाकर खेलने को बाध्य हैं। मामला माननीय पटना उच्च न्यायालय में विराजाधीन है।
इसमें उचित पैरवी करके मामले को जल्द से समाधान करने की दिशा में पहल करनी
चाहिए।
आलोक
कुमार
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