मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को मैजिक कर बहुमत हासिल करने का भरोसा
पटना। बिहार में सियासी महौल चरम पर है। लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद त्याग पत्र देकर त्यागी बन गए। महादलित को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन कर दिए। चले थे सोशल इंजीनियरिंग कर महादलित के गढ़ में सेंधमारी करने। अब सोशल इंजीनियरिंग को त्यागकर ‘सुशासन’की वकालत करने लगे।यह वक्त वक्त की बात है। इस तरह के कार्य करने में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार माहिर हैं। अब किसी तरह से मुख्यमंत्री बनने के जुगाड़ में हैं। बिहार विधान में 243 सीट है। इसमें जदयू 111,भाजपा 87,राजद 24,कांग्रेस 05,सीपीआई 01,निर्दलीय 05 और रिक्त स्थान 10 है। सदन में बहुमत हासिल करने वाले 117 मैजिक नम्बर है। इस समय जदयू के पास जदयू 98,राजद 24, कांग्रेस 05, सीपीआई 01 और निर्दलीय 01 का समर्थन प्राप्त है। कुल 129 सदस्यों की बहुमत है।
इस समय मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का तेवर गर्म है। खुद को श्रेष्ठ मुख्यमंत्री साबित करने पर तुले हैं। कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उन्नीस नहीं बीस हैं। उनका कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग में नीतीश कुमार पीछे रहे गए हैं। इसको पटरी पर लाने के लिए महादलित के बेटा को मुख्यमंत्री बना दिया। राजनीति के मैदान में 35 साल से हैं। इस दौरान गांवघर में देखा गया कि दबंगों के खिलाफत करने वालों की हत्या कर दी जाती। दहशत पैदा करने के लिए सामूहिक हत्या कर दी जाती थी। इसके आलोक में बहुसंख्यकों के बीच में रहकर विरोध का स्वर मुखर नहीं कर सका। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद पर बहाल किए। रबड़ स्टाम्प बनाकर रखे। कोई 2 माह तक बापू जी के तीन बंदर की तरह भूमिका अदा किए। इस बीच स्वाभिमान जा गया। कठपुतली बनकर रहने से लोगों का कल्याण और विकास होने वाला नहीं है।
तब महादलितों और नारी सशक्तिकरण को लेकर कदम उठाने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुुमारः पूर्व मुख्यमंत्री ने लड़कियों को बी.ए.तक फ्री शिक्षा कर रखी। बी.ए. में प्रथम श्रेणी लाने वाली लड़कियों को 10 हजार रू.दिए। इसमें बढ़ोतरी करके मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बी.ए.में ़िद्वतीय श्रेणी लाने वाली को 8 हजार रू.दिए। आई.ए. प्रथम श्रेणी को 15 हजार और द्वितीय श्रेणी को 8 हजार रू. दे रहे हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एम.ए.तक की शिक्षा फ्री कर दी।पूर्व मुख्यमंत्री के द्वारा की लकीर को पार करने लगे। जो पूर्व मुख्यमंत्री को सुहाने नहीं लगने लगे।
जदय के नेताओं ने घेरने लगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने असंवैधानिक तरीके से विधायकों की बैठक करके नीतीश कुमार को नेता चुन लिए तो सही तरीका नहीं है। विधायकों के द्वारा मान्य मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हैं। विधान सभा के विधायकों का नेता मुख्यमंत्री को अधिकार बैठक बुलाने की है। महामहिम राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर सदन में बहुमत साबित करने की बात रखी है। 19 फरवरी,2015 के बाद गुप मतदान प्रणाली से चुनाव करवाने का आग्रह किया। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य मिलकर महामहिम राज्यपाल महोदय से मिलकर 48 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने की व्यवस्था करने पर बल दिया है। ऐसा नहीं करने पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास जाकर परेड करेंगे। इस समय महामहिम राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के पाले में गेंद है। अब देखना है कि गेंद से कौन बोल्ड आउट होंगे?
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके समर्थक बीजेपी से समर्थन लेने में संकोच नहीं कर रहे हैं। अभी मुख्यमंत्री के साथ 14, बीजेपी के 87,कांग्रेस 2 और निर्दलीय 1 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। कुल 104 सदस्य होते हैं। पटना उच्च न्यायालय से 4 सदस्यों की सदस्यता बहाल कर दी गयी है। इसको बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नहीं मानते हैं। इसको लेकर 4 सदस्यों ने महामहिम राज्यपाल से मिलकर वोट देने का अधिकार देने का आग्रह किया है। अब देखना है कि इस तरह के पेंच से कैसे बिहार निकाल पा रहा है?
आलोक कुमार
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