Thursday 26 February 2015

जब बाल मजदूर बनने से बच गए पूर्व मुख्यमंत्री



गया। बंधुआ और बाल मजदूर के बारे में अनुभव रखते हैं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी। अपने बंधुआ पिताजी के साथ मालिक के पास बाल मजदूर बनने से बच गए। पूर्व मुख्यमंत्री बाल मजदूर के दलदल में फंसने से बच गए। मुख्य मंत्रीत्वकाल 9 माह के दौरान बंधुआ और बाल मजदूर के बंधन में फंसे अपने सजातीय लोगों को मुक्त कराने के संदर्भ में कोई कारगर कदम नहीं उठा सके। आज भी बड़ी संख्या में मुसहर समुदाय के लोग बंधुआ और बाल मजदूर बनने को बाध्य हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री के पिताश्री है बंधुआ मजदूरः गरीबी के दंश झेलने वाले रामजीत मांझी बंधुआ मजदूर बनने को बाध्य हो गए। एक मालिक के पास बंधुआ मजदूर थे। मुख्यमंत्री का घर महकार गांव में हैं। उनके  पिताश्री रामजीत मांझी गांवघर में भगतई का कार्य करते थे।वहीं वैवाहिक मौसम में विवाह के अवसर पर नाचते भी थे। रामजीत मांझी की पत्नी महुंआ दारू बनाती थीं। छोटे से बड़े कार्य करके मिट्टी का घर बना लिए। सभी लोग खुशी खुशी रहने लगे। मगर यह खुशी मालिक को नहीं भाया। रामजीत मांझी के पुत्र को बाल मजदूर बनाना चाहते थे।

रामजीत मांझी ने रखा मालिक के समक्ष प्रस्तावः जब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सात साल के थे। तब रामजीत मांझी के मालिक जीतन राम को बाल मजदूर बनाने में उतावले हो गए। मालिक का कहना था कि जीतन राम पशुओं को खाना खिलाने लायक हो गया है। वह मजे से 17 बैल,2 भैंस और 3 गाय को खाना-पानी दे सकता है। वह आकर पशुओं को खाना खिलाने का कार्य करेगा। इस संदर्भ में अपने पुत्र जीतन राम मांझी के बारे में मालिक से रामजीत मांझी कहा कि वह पढ़ाई करना चाहता हैं। तब मालिक ने कहा कि घर के बच्चों को पढ़ाने मास्टर साहब आते हैं। जीतना भी बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाई कर सकता है। सब काम करने के बाद सुबह-शाम पढ़ाई करें तो इस पर कोई आपत्ति नहीं है।

मिला गांवघर से बाहर निकाल देने की धमकीः जब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पास मालिक के  बाल मजदूर बनने पर राजी नहीं हुए।तो गुस्से से लाल मालिक ने कहा कि भुइया के बच्चा क्लेक्टर बनेगा?ऐसा करोंगे तो गांवघर से बाहर निकाल देंगे। मालिक हरदम धमकी देने लगे। तब पूर्व मुख्यमंत्री ने बंधुआ मजदूर पिताश्री को मालिक का काम छोड़ देने का आग्रह करने लगे। अंत में मालिक के समक्ष बंधुआगीरी करने वाले रामजीत मांझी ने काम करना छोड़ दिया। 

तब जमकर पूर्व मुख्यमंत्री ने पढ़ाईः गांवघर में पढ़ाई करने के बाद गया कॉलेज,गया से बी.ए.पास किया। 25 रू.छात्रवृत्ति मिलता था। उस छात्रवृत्ति को पिताश्री को दे दिया करता था। पढ़ाई में तेज होने के कारण आशा कुमारी के पिताश्री ने आशा को पढ़ाने और नोट आदि देने को कह दिए। बदले में पॉकेटमनी देते थे।

भुइया में पढ़ा-लिखा होने का फायदा मिलाः चुनाव के समय में कांग्रेस पार्टी के द्वारा चुनाव प्रचार करने के लिया करते थे। दूसरों के लिए वोट मांगते थे। पहले पी एण्ड टी में कार्य किया। इसके बाद पुलिस का कार्य किया। 1967 से 13 साल तक कार्य किया। कांग्रेस से 1980 में टिकट नहीं मिली थी। पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के कारण 1980 में फतेहपुर विधान सभा से टिकट मिल गयी। 1990 में मंत्री बने। 6 बार विधान सभा के द्वार तक पहुंचे। अभी तक फतेहपुरबाराचट्टीबोधगयाबाराचट्टीमखदुमपुर आदि विधान सभा से विजयी माला पहन चुके हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण 9 माह के लिए मुख्यमंत्री बन गया। मगर कोई ठेल कर प्रधानमंत्री नहीं बना दिए। रामजीचक नहर के किनारे रहने वाले मुसहर समुदाय की बच्चियां बाल मजदूर बनने को बाध्य हैं। नासरीगंज बिस्कुट फैक्ट्री रोड में स्थित मुसहरी के लोग बंधुआ मजदूर बन गए हैं।

आलोक कुमार

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