Friday 20 March 2015

करतब करने में आगे बॉय फ्रेंड और पीछे ससुर जी भी

मैट्रिक की परीक्षा में जोरदार कदाचार

यह क्या सरकार की जिम्मेवारी है?
पटना। 70 फीसदी परीक्षार्थी उर्त्तीण होते हैं बिहार की मैट्रिक की परीक्षा में।माननीय पटना उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से 1996 में 12 फीसदी परीक्षार्थी ही उर्त्तीण घोषित हो सके थे। इस समय 14 लाख परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे हैं। 12700 परीक्षा केन्द्र बनाए गए है। इन केन्द्रों में 60 से 70 लाख लोगों का जमावाड़ा हो जाता है।शिक्षा मंत्री पी.के.शाही कहना है कि इस तरह की भीड़ पर गोली कैसे चला सकते हैं। यह तो हरेक प्रदेशों की कहानी है। सभी जगहों पर कदाचार होता है।
इस बीच माननीय पटना उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है। डीजीपी को आदेश दिया है। केन्द्र पर अधिक फोर्स तैनात किया जाए। वीडियों कैमरे से परीक्षार्थियों को कैमरे में कैद करें। इस बीच मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। टी.वी. और अखबार में प्रकाशित केन्द्र की परीक्षा को रद्द कर दिया गया है।

आज सोशल मीडिया फेसबुक में माउंट कार्मेल स्कूल की तस्वीर को अपलोड किया गया है। चित्र के माध्यम से बताया गया है, हम परीक्षार्थी परीक्षा की भरपूर तैयारी करके ही परीक्षा देने जाते हैं। यहां पर चिट का चलन नहीं है। अपने बल से ही परीक्षा उर्त्तीण करते हैं।

नवादा में स्थित स्कूल चार मंजिला है। इसमें चढ़कर चिट पहुंचायी जा रही है। परीक्षा केन्द्रों में तैनात खार्की वर्दीधारी चिट पहुंचाने वालों की खबर ही नहीं लेते हैं। इसके एवज में नोट तशीलते देखे गए।चारों तरफ से किरकिरी होते देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि चंद तस्वीर मीडिया में आ जाने का मतलब कदापि नहीं है कि संपूर्ण बिहार में कदाचार जोरशोर से जारी है। जहां भी कदाचार की खबर मिली है। वहां की परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। इसमें परिजनों को भी सहयोग करने का आग्रह किया है। यह केवल सरकार की जिम्मेवारी नहीं है। 

सुशासन सरकार को चाहिए कि सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर को उच्चा उठाने का ठोस कदम उठाए। मीड डे मील पर ध्यान देने वाले टीचर और बच्चों को सबक सीखाएं। जो टीचर बेहतर ढंग से पढ़ाई करने में अक्षम हैं उनको नौकरी से बाहर करें। ऐसे भी टीचर हैं जो बेहतर ढंग से लिख और पढ़ा नहीं पाते हैं। इसका खामियाजा बच्चे ही भोगते हैं। वहीं परिजनों से आग्रह है कि अपने बच्चों को नियमित पढ़ने पर बल दें। केवल परीक्षा के दिन परीक्षा देने से भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता है।


आलोक कुमार

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