Monday 9 March 2015

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के संग सैकड़ों लोगों ने एक दिवसीय धरना दिया व उपवास रखे



पटना। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अर्श से फर्स पर आ गए हैं। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के संग सैकड़ों लोगों ने एक दिवसीय धरना दिया व उपवास रखे। धरना देने और उपवास रखने का उद्देश्य स्पष्ट था। पूर्व मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले को वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया है। अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में 10,18 और 19 फरवरी को लिए गए कैबिनेट के फैसले को रद्द कर देने से बौखलाकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उपवास रखा। पूर्व मुख्यमंत्री मांझी का यह मानना है कि सत्ता संघर्ष के अंतिम चरण की लड़ाई में उनके कैबिनेट ने जो भी फैसले लिए वह तो जनहित में थे ही गरीब, सवर्ण शिक्षक, शिक्षा और पुलिसकर्मियों के हित में भी थे जिसे नीतीश कुमार ने राजनैतिक विद्वेशिता के तहत अपने कैबिनेट से रद्द करा दिया। सोमवार को राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालय में भी जीतन राम मांझी समर्थको ने एक दिन का धरना दिया व उपवास रखा। जो सोचा गया था उसमें हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा सफल नहीं हो सका। संख्या के हिसाब से कम संख्या में लोग समर्थन करने पहुंचे।
प्रमुख फैसले पलट दिया गया हैं। फैसले पलटने से पुलिसकर्मियों को 13 माह का वेतन, होमगार्ड के दैनिक व यात्रा भत्तों में बढ़ोतरी,सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण(गैड्ेजेट पदों को छोड़कर),पासवान जाति को महादलित में शामिल करना,नियोजित शिक्षकों को वेतनमान के लिए कमेटी का गठन,सरकारी स्कूलों में ललित कला और संगीत शिक्षकों के पदों का सृजन,किसान सलाहकारों का मानदेय बढ़ाकर रू0 7000 करना,मिड डे मील रसोइयों को एक हजार मानदेय देने की केन्द्र से अनुशंसा,स्वामी सहजानंद सरस्वती और कर्पूरी ठाकुर संस्थान की स्थापना,सभी 66 हजार राजस्व गांवों में एक-एक स्वच्छता कर्मी की बहाली,मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत राशि दो से तीन करोड़ करना,विभागों में उर्दू अनुवादक के खाली पदों पर नियुक्ति, मदरसों का कम्प्यूटरीकरण,शिया और सुन्नी वफ्फ बोर्ड को विशेष अनुदान,मुजफ्फरपुर में ट्रैफिक थाना,सांख्यिकी स्वयंसेवक को मानदेय देने के लिए कमेटी,सवर्णों को आरक्षण देने के लिए कमेटी का गठन,विकास मित्र और टोला सेवक की सेवाकाल 25 वर्ष करना,मधुबनी के सौराठ मेले को राजकीय मेले का दर्जा,पथ निर्माण विभाग में 25 लाख तक के ठेके में बीसी-इबीसी और महिलाओं को आरक्षण,बीसी-इबीसी वित्त विकास निगम की स्थापना, एससी-एसटी सफाई कर्मचारी आयोग गठन,301 नये प्रखंडों के सृजन की सैद्धांतिक स्वीकृति और मनरेगा कर्मियों को नियमित करने की पहल पर असर पड़ना लाजिमी है। यह मानकर चले कि पूर्व मुख्यमंत्री ने हाल के दिनों में आंदोलन करने वालों की ही मांग को पूर्ण करने का फैसला लिए हैं। अगर उनकी मांग पर मुख्यमंत्री तलवार चला देंगे तो निश्चित तौर पर हंगामा होना ही है।

आलोक कुमार


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