Monday 9 March 2015

अब दीघा में कोयल की कूक सुनने में आती नहीं


बदले में मच्छरों की भिनभिनाहट सुनने में आती

बढ़ती जनसंख्या, बिकती जमीन और बनती मकान के बीच में घटती आम का बगान। यह सिलसिला बदस्तूर दीघा क्षेत्र में जारी है। देखा जा रहा है कि अब आम का बगान लगाने में किसान दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसका यह खामियाजा हुआ कि विश्व प्रसिद्ध दीघा के मालदह ने ही किसानों से मोहभंग कर लिया है। वहीं आम बगीचा में कोयल भी कदम रखना ही छोड़ दी। अब कोयल की कूक सुनने में नहीं आती है। आम के पेड़ में जोरदार मोजर लगने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। कोयल की कूक के बदले मच्छरों की भिनभिनाहट सुनने में आती है। फेबीकोल की तरह मच्छर आकर चिपक जाता है।
पेड़ों में यहां एक साल के बीच में मालदह आम फलने लगाः आम का बगान रखने वाले किसान बगान को बेचने को बाध्य हैं।सरकार की ओर से किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं मिलने से हलकान किसान बगान बेचकर परिवार की आवश्यकता पूर्ण करते हैं। अब तो स्थिति यह है कि जो पुराना पेड़ है उसको काटने के बाद नया पेड़ लगाया ही नहीं जा रहा है। जो पेड़ है उसमें आवश्यक खाद आदि नहीं देने से जमीन का उर्वरा शक्ति ही घट गयी है। इसका नतीजा यह निकला कि एक साल के बीच करके पेड़ में मोजर लगता है और लोगों को आम मिलता है।
मालदह आम के रसिक बगान में जाकर आम खरीद लेतेः पोश एरिया में बहुमंजिला मकान में रहने वाले मालदह आम के रसिक हैं। दीघा के दुधिया आम के बारे में जानकारी रखते हैं। अन्य आम की तुलना में पतला छिलका और छोटी गुठली वाला ही दुधिया मालदह आम होता है। गाड़ी चलाकर बगान में ही पहुंच जाते हैं। बगान से ही आम तोड़वाया कर ले जाते हैं। पाल देकर घर में पकाते हैं और खाते चले जाते हैं। हां, आप जरूर ध्यान रखेंगे? आप से अधिक आम नहीं खा सकते हैं। अधिक आम खाने वालों की परेशानी हो जाती है। शौचालय की दौड़ लगानी पड़ सकती है। घबड़ाए नहीं मगर आराम से मालदह आम खा ले। इस साल पर्याप्त आम मिलने की संभावना है। बर्सते की आंधी तुफान में मोजर नष्ट न हो।
अब कोयल की कूक दीघा में सुनने में नहीं आतीः अब कोयल की कूक दीघा में सुनने में नहीं आती है। इसके बदले में दीघा में मच्छरों की भिनभिनाहट सुनने में आती। इससे दीघावासी परेशान हैं। आप परेशान हो रहे होंगे कि क्यों बारम्बार दीघा का नाम लिया जा रहा है। हां,दीघा में विश्वविख्यात मालदह आम का वाटिका था।दीघा के मालदह आम के नाम पर ही अन्य आम भी बेचा जाता है। अपने रिश्तेदारों को मालदह आम ही पेश करते हैं। आम की प्रदर्शनी में मालदह आम के सामने अन्य आम बौना साबित होता है। यहां के किसान कई बार पुरस्कार जीतने में कामयाब हुए हैं। जो समय के अन्तराल में आम का बगीचा लुफ्त हो गया। वहीं मालदह आम दुलर्भ हो गया। वजह साफ है कि आम का बगीचा के प्रति किसान उदासीन हो गए हैं। जमीन की कीमत अधिक होने के कारण बगीचा की जमीन बेचना शुरू कर दिए है। अब आम के बगीचे में निर्जीव पत्थरों का आशियाना बन गया है।

आलोक कुमाऱ

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