Sunday 8 March 2015

आज 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है

आज भी सरकारी दफ्तरों में पुरूषों के द्वारा महिलाओं के साथ किया जाता है विविक्तर

महिलाओं के काम के बदले में दाम वसूलते हैं सहकर्मी

पुरूषकर्मियों के गिरेबान में हाथ डालेगा?

पटना। आज 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। आज से अन्तर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह/पखवाड़ा शुरू हो गया। इससे कोई एक माह तक खींचकर ले जाते हैं।इस अवधि में विविध तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस तरह के कार्यक्रम आयोहित करने में भले सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के लोग पीछे कैसे रहते? जी हां, सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा आलिशान बंद कमरों में महिलाओं के बारे में गुनगान करने में पीछे नहीं रहे।महिला सशक्तिकरण के बारे में जोरदार ढंग से प्रस्तुतीकरण और भाषणबाजी किया गया। दोस्तों हरेक स्तर पर महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। पहले पुरूष और बाद में महिला चांद पर फतह कर गए। हां, आज का आयोजन ही ऐसा ही था कि महिलाओं को प्रगति के पथ पर दौड़ते दिखाना ही था। बस गंगा नदी की तरह बहते चले गए।

खैर, किसी ने बिहार के दफ्तरों में कार्यरत महिलाकर्मियों की स्थिति के बारे में मुंह ही नहीं खोले।यहां तो आज भी सरकारी दफ्तरों में पुरूषकर्मियों का जबर्दस्त दबदबा बरकरार है। अपने घरों की मानसिकता को ढोने वाले पुरूषकर्मी दफ्तरों में खुद को श्रेष्ठ ही समझते हैं। इसके अनुसार ही कार्य करते हैं। इसके आलोक में महिलाएं दोयम दर्जें की स्थिति समझकर बर्दास्त करने को बाध्य हैं। महिलाओं का कहना है कि पानी में रहकर मगरसे कैसे बैर कर सकते हैं। इस तरह की सोच का फायदा पुरूषकर्मी उठा रहे हैं। जमकर पुरूषों के द्वारा महिलाओं का विविक्तर किया जा रहा है। वक्त की मांग है कि कार्यरत महिलाएं भी मुखर हो। अपने सहकर्मी मांगी जा रही मोटी राशि के विरोध में आवाज उठाएं। कौन बनेगीं लक्ष्मीबाई, दुर्गामाता, कालीमाता, पार्वती माता?

इस संदर्भ में महिलाओं का कहना है कि पुरूषकर्मी काम के बदले दाम बटोरते हैं। किसी तरह के अंग्रिम राशि निकालनी है। उसके एवज में मोटी रकम देने की मांग करते हैं। अगर आप रकम नहीं देते हैं तो आप निश्चित मान लीजिए कि आपके कार्य में व्यवधान डाल दिया जाएगा। महिलाओं का कहना है कि हिमालय पर चढ़ना आसान हैं मगर पुरूषकर्मियों से निपटना मुश्किल है। हां, इस संदर्भ में विभागीय प्रभारी भारी पड़ेंगे। वे सुनिश्चित करें कि सभी कर्मियों को निश्चित समय के अंदर में अंग्रिम राशि विमुक्त कर दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो उन पर (कार्यशील कर्मी) पर विभागीय कार्रवाही किया जा जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार एक पुरूषकर्मी ने अंग्रिम राशि 13 हजार रू.निकालने के एवज में 4 हजार रू.की मांग करने लगे। इसमें 8 हजार रू. आयकर की कटौती राशि थी। इसका मतलब सिर्फ महिलाकर्मी को 1 हजार रू. हासिल होगा। यह तो एक बानगी है। पगपग पर महिलाओं के द्वारा स्वास्थ्य विभाग,शिक्षा विभाग आदि विभागों की महिलाकर्मियों से मोटी राशि हड़पी जाती है।

अब सरकार के अधिकारियों का फर्ज बनता है कि सरकारी दफ्तरों में महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करें। इसके साथ महिलाओं का आर्थिक शोषण भी बंद हो। अधिकारी यह तरकीब निकाले कि यह ज्ञात हो सके कि कहां पर महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। अब यह सवाल उठता है कि कौन काम के बदले में दाममांगने वाले पुरूषकर्मियों के गिरेबान में हाथ डालेगा?


आलोक कुमार

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