प्रखंड और
जिला स्तर पर आंदोलनरत पंचायत रोजगार सेवक प्रदेश में आ धमके
कारगिल
चौक पर बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसाईटी के सचिव प्रदीप कुमार पर बरसे
पटना।
राजधानी में फेबीकॉल की तरह चिपकने आ गए हैं पंचायत रोजगार सेवक।अबतक प्रखंड और
जिला स्तर पर ही पंचायत रोजगार सेवक आंदोलन कर रहे थे। अब सभी पंचायत रोजगार
सेवकों को कारगिल चौक पर बुला लिया गया है। अब समवेत स्वर से सरकार के खिलाफ आवाज
बुलंद करना शुरू कर दिए हैं।हालांकि, राजधानी में
बिहार राज्य पंचायत रोजगार सेवक संघ के बैनर तले 1 मई से ही अनशन पर डटे हैं।इनका एकमात्र मांग है पंचायत सचिव के पद पर
समायोजित कर दें।अब नारा भी बुलंद करने लगे हैं‘ एक भी पंचायत सेवक छूटे नहीं,समायोजन तंत्र
टूटे नहीं। आधी रोटी खाएंगे और समायोजन का आदेश लेकर जाएंगे। इस तानाशाही आदेश के
खिलाफ पंचायत रोजगार सेवक बिफर रहे थे।
वर्ष 2007 में बिहार में पंचायत रोजगार सेवकों की बहाली बी.सी.सी.ई.से
विधिवत परीक्षा,साक्षात्कार एवं चिकित्सकीय जांच के
उपरांत की गई। इतने प्रक्रियाओं के पालन होने की वजह से सभी को लगा कि इसमें
भविष्य निहित है। 2 साल के संविदा होने के बावजूद सरकार
अभी तक लगातार 8 साल से काम ले रही है। अभी मानदेय
के रूप में 6 हजार रूपए देय है। इस बीच बिहार
रूरल डेवलपमेंट सोसाईटी के सचिव प्रदीप कुमार के द्वारा मनरेगा कर्मियों पर
दण्डात्मक कार्रवाई किये जाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया गया है। 14 मई 2015 को सभी जिला
पदाधिकारी-सह-जिला कार्यक्रम समन्वयक, सभी उप
विकास आयुक्त-सह-अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक को पत्रांक 231449 के माध्यम से कहा गया है कि बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसाईटी के
विभागीय पत्रांक 200331 दिनांक 9 सितम्बर 2014 से मनरेगा कर्मियों का संविदा रद्द
करने अथवा एफ0आई0आर0 करने के पूर्व संबंधित कर्मियों पर
लगाये गये आरोप के संबंध में संपूर्ण साक्ष्य एवं उसकी पूर्ण विवरणी प्रशासी विभाग
को भेजकर उसपर प्रशासी विभाग का परामर्श प्राप्त करने का निदेश दिया गया था।
इस क्रम
में दंड निर्धारण एवं अपील निष्पादन की वैधानिक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए
पूर्व के विभागीय पत्रांक 8574 दिनांक 22 सितम्बर 2009 के आलोक में
मनरेगा कर्मियों पर अनुशासनिक कार्रवाई की प्रक्रिया को बरकरार रखा जाता है।
तदनुसार विभागीय पत्रांक 200331 दिनांक 9 सितम्बर 2014 को विलोपित किया
जाता है।
आलोक कुमार
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