आर.टी.आई.के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को भी किया नजरांदाज
केवल डी.आई.आर. और मीसा के तहत जेल जाने वालों को मिली पेशन
पटना। लोक नायक जय प्रकाश के नेतृत्व में चलाये गये आंदोलन के दौरान धारा 143ए 188ए 341ए आई.पी.सी. गर्दनीबाग 24.6.74 सी0एल0ए0 एक्ट 1942 में गिरफ्तार राजनैतिक बंदियों को भी सम्मानित करने का आग्रह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से किया गया है। फिलहाल केवल मीसा और डीआईआर के तहत जेल जाने वाले 12 सौ जेपी सेनानियों का चयन कर सम्मानित करने की प्रक्रिया जारी है। कर लिया गया है। शेष राजनीतिक कैदियों को हाशिये पर ही रख दिया गया है। इसको लेकर सन् चौहतर के जाबाज सिपाहियों में आक्रोश व्याप्त है।यह सवाल है कि 5 जून 1974 के बाद से ही जेल भरो अभियान के तहत जेल गए थे। उस अवधि में भला डी.आई.आर. और मीसा में गिफ्तार किया गया। सरकार ने डी.आई.आर. और मीसा वालों को सम्मानित किया और सी.एल.ए.एक्ट 1942 के तहत गिरफ्तार लोगों को अपमानित कर दिया।
सूबे के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जानकारी दी है कि 12 सौ जे पी सेनानियों का चयन सम्मानित करने के लिये कर लिया गया है। सनद रहे यह संख्या में केवल मीसा और डी0आई0आर0 के तहत जेल जाने वालों का ही है। शेष सी0एल0ए0 एक्ट 1942 राजनीतिक कैदियों को हाशिये पर ही रख दिया गया है। इसको लेकर सन् चौहतर के जाबाज सिपाहियों में आक्रोश व्याप्त है। ऐसे लोग आंदोलन करने का मन बना रहे हैं।
सन् चौहतर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चलाये गये आंदोलन के दौरान विधान सभा भंग करने की मांग को लेकर चली ‘ जेल भरो अभियान ’के सिलसिले में 13 जून 1974 को विधान सभा के द्वार पर विधायकों के मार्ग अवरूद्ध कर इस्तीफा मांगने के सवाल पर गिरतार कर केन्द्रीय कारा, बक्सर जाने वाले बांसकोठी, दीघा के जौर्ज केरोबिन ने कहा है कि उनके साथ अन्य साथियों को धारा 143ए 188ए 341ए आई.पी.सी. गर्दनीबाग 24.6.74 सी0एल0ए0 एक्ट 1942 अधीन गिरफ्तार 13.6.74 को किया गया। फिलहाल ऐसे लोगों पर विचार नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हालांकि 1974 में जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चलाये गये आंदोलन के दौरान शहीदों के आश्रितों/घायलों एवं जेल जाने वालों को सम्मानित करने हेतु गठित मंत्रियों के समूह की दिनांक 01.10.2007 में ही बैठक की गयी थी। इस बैठक लिये गये निर्णयों के अनुपालन की समीक्षा की गई। वहीं लोक नायक जय प्रकाश के नेतृत्व में चलाये गये आंदोलन के दौरान 18.03.074 से 21.03.077 तक राज्य के काराओं में मीसा एवं डी0आई0आर0 में संसीमित राजनैतिक बंदियों का स्पष्ट प्रतिवेदन कारा महानिरीक्षक को शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा गया । इस प्रतिवेदन के आलोक में इस तथ्य का भी सत्यापन कर लेने की हिदायत दी गयी कि एक ही कैदी उक्त अवधि में कई काराओं में रखे गये थे ऐसे राजनीतिक कैदियों की गणना एक ही बार होनी चाहिए।
श्री केरोबिन ने आगे कहा कि बैठक में यह भी कहा गया कि सी0एल0ए0 में कुछ राजनैतिक बंदी संभवत बंद हुए थे ऐसे राजनैतिक बंदियों की सूची भी काराओं से प्राप्त कर ली जाए। ऐसे राजनैतिक बंदियों के पक्ष में स्पष्ट आदेश निर्गत नहीं किया गया। केवल जोर मीसा एवं डी0आई0आर0 को ही दिया गया । मीसा एवं डी0आई0आर0 में राजनैतिक एवं अपराधी दोनों कोटि के लोग उक्त अवधि में काराओं में बंद किये गये थे। प्रतिवेदन में सिर्फ राजनैतिक कैदियों को ही समाविष्ट किया जाय। झारखंड से भी वाछित कोटि का प्रतिवेदन कारा महानिरीक्षक बिहार, कारा निरीक्षक झारखंड से समन्वय स्थापित कर उपलब्ध कराए। उक्त अवधि में संदर्भगत आंदोलन में पुलिस फायरिंग में कुछ लोगों की मृत्यु हुई थी और कुछ घायल हुए थे। ऐसे मृत एवं घायल होने के कारण अपंग व्यक्तियों की विवरणी भी प्राप्त करनी होगी। उक्त अवधि में मीसा में बंद व्यक्यिों का प्रतिवेदन गृह प्रतिवेदन गृह विभाग में उपलब्ध होना चाहिए। यह प्रतिवेदन चिन्हित कर उपलब्ध करायी जाय। 1977 में इस आंदोलन के वारदातों की जांच हेतु शाह आयोग का गठन किया गया था इस आयोग का प्रतिवेदन भी उपलब्ध कर लिया जाय। विस्तृत रूप से विर्मशोपरांत यह भी निर्णय लिया गया कि संबंधित आंदोलन के दौरा मीसा एवं डी0आई0आर0 में बंद किये गये राजनैतिक केैदी, संदर्भगत अवधि में इस कोटि के जेल मे मृत कैदी/पुलिस फायरिंग में मारे गये लोगों , घायल एवं अपंग लोगों को सम्मानित करने के लिए उनसे /उनके आश्रितों से विहित प्रपत्र में आवेदन पत्र एक समय सीमा निर्धारित कर मांगी जाय।
मखदुमपुर,दीघा के ओमप्रकाश वर्मा ने कहा कि ऐसा करने से आंदोलनकारियों को जोर का झटका लगा है परिवार और समाज में उनका रूतबा दोयम दर्जा का हो गया है। सभी जगहों में जगहंसाई हो रही हैं । उन्होंने भी नीतीश सरकार से आग्रह किया है कि सी0एल0ए0 एक्ट 1942 में भी गिरफ्तार राजनैतिक बंदियों को सम्मानित किया जायं।
आलोक कुमार
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