Thursday, 11 June 2015

पंद्रह सौ करोड़ से भी अधिक रूपए के घोटाले की जाँच की मांग

 सेवा में,
श्री नरेन्द्र मोदी,
माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार 

विषय- माननीय उच्च न्यायालय, पटना की इच्छा के विरुद्ध ​​

महाशय,
मैं शिवप्रकाश राय संयोजक, नागरिक अधिकार मंच, बिहारने माननीय उच्च न्यायालय, पटना में  जनहित याचिका C W J C 2116/2014 दायर कर बिहार में 2011-12, 2012-13 एवं  2013-14 में राईस मिलर, B S F C के अधिकारी, FCI के अधिकारी, बिहार सरकार के अधिकारी तथा मंत्री के गठजोड़ द्वारा बिहार सरकार के खजाने से षड्यंत्रपूर्वक
पंद्रह सौ करोड़ से भी अधिक रूपए के घोटाले की जाँच की मांग की थी, क्योंकि मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि राज्य सरकार की कोई भी एजेंसी इस मामले की स्वतंत्र जाँच नहीं कर सकती.
- माननीय उच्च न्यायालय, पटना में प्रतिशपथ पत्र दायर कर यह स्वीकार किया गया है कि उपरोक्त मामले में पंद्रह सौ करोड़ रूपए की वित्तीय अनियमितता हुई है, जिसमें 1765 प्राथमिकी दर्ज की गई है और अनेकों सर्टीफिकेट केस भी प्रारम्भ की गई है, साथ ही एक सौ साठ करोड़ रुपए के रिकवरी की भी बात स्वीकारी गई है.
- माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने यह पाया कि रिट याचिका में उठाए गए मुद्दों की जाँच बिहार सरकार द्वारा ईमानदारी से नहीं कराई जा रही है और हाईकोर्ट पटना ने सीबीआई से इसकी जाँच की तैयारी से संबंधित स्थिति जाननी चाही. बिना हाईकोर्ट के अपेक्षा के सीबीआई द्वारा दिनांक 21.04.2015 को एफिडेविट दायर किया गया कि कि इस मामले की जाँच सीबीआई नहीं कर सकती क्योंकि जो भी प्राथमिकी दर्ज की गई है उसमें घोटाले की राशि 10 करोड़ रूपए से अधिक की नहीं है, इस केस की प्रकृति अंतर्राज्यीय या अंतर्राष्ट्रीय नहीं है इत्यादि.
- माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने बिना माँगे सीबीआई द्वारा जाँच नहीं करने से संबंधी शपथ-पत्र देने पर घोर आश्चर्य करते हुए जानना चाहा था कि इस शपथ पत्र की सहमति सीबीआई के हेड ऑफिस/डाइरेक्टर से ली गई है या नहीं. सीबीआई के द्वारा भारत सरकार के एडिशनल सोलिसिटर जनरल श्री मनिन्द्र सिंह एवं रोहण जेटली दिल्ली से आकर पटना उच्च न्यायालय में यह स्पष्ट किए कि यह शपथ-पत्र सीबीआई के हेड ऑफिस के अप्रोवल के बाद ही दिया गया है तथा सीबीआई इस मामले की जाँच नहीं करेगी. माननीय उच्च न्यायालय ने रिट याचिकाकर्ता के वकील से यह जानना चाहा कि इसकी जाँच स्टेट विजिलेंस सेल से कराई जाए या नहीं, जिसपर रिट याचिकाकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को सूचित किया गया कि स्टेट विजिलेंस सेल पर रिट याचिकाकर्ता को विश्वास नहीं है.
- विदित हो कि सीबीआई के निदेशक श्री अनिल सिन्हा बिहार से ही हैं तथा इनके विरुद्ध पुलिस एवं पुलिस सब-इन्स्पेक्टर की बहाली में घोर अनियमितता का आरोप प्रथम दृष्ट्या प्रमाणित पाया गया था. उस समय वर्तमान बिहार सरकार ने उन पर कोई कार्रवाई न कर उन्हें उपकृत किया था. आज बदले मन वे इस महाघोटाले के जाँच न कर बिहार सरकार को उपकृत कर रहे हैं.
- श्रीमान् आप जब से प्रधानमंत्री बने हैं तब से आम लोगों में यह विशवास हो गया है कि प्रधानमंत्री न खायेंगे, न खाने देंगे’. विगत एक वर्ष में ये बातें प्रमाणित हो गई है कि केंद्र का कोई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं है. मुझे ही नहीं आमलोगों में यह स्पष्ट सन्देश प्रसारित हो चुका था कि धान-खरीद/चावल-घोटाले की जाँच सीबीआई द्वारा होगी.पर सीबीआई द्वारा श्री रोहण जेटली (केंद्र सरकार के माननीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली के सुपुत्र को अलग से फीस देकर) और सुप्रीम कोर्ट में भारत के एडिशनल सोलिसिटर जनरल श्री मनिन्द्र सिंह के माध्यम से माननीय पटना उच्च न्यायालय में यह स्पष्ट करने की सफल कोशिश की गई कि ऐसे केस की जाँच सीबीआई नहीं करती है . इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री के क्षेत्राधीन सीबीआई के डाइरेक्टर भ्रष्टाचारियों को बचाने हेतु अत्यधिक प्रयत्नशील थे. महोदय पंद्रह सौ करोड़ रूपए के घोटाले की बात तो राज्य सरकार द्वारा स्वीकार की गई है, पर घोटाले की वास्तविक रकम दस हजार करोड़ रूपए से अधिक की है और मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि चावल घोटाले की निष्पक्ष जाँच सीबीआई द्वारा की जाती तो बिहार सरकार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, खाद्य-आपूर्ति मंत्री श्री श्याम रजक, BSFC के अधिकारी और संबंधित जिला पदाधिकारी आज जेल में होते और दस हजार करोड़ रूपए से अधिक की रिकवरी होती जो गरीब राज्य की जनता के भलाई हेतु खर्च होता.
- उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया है कि सीबीआई डाइरेक्टर का यह आचरण Criminal Misconduct जो P.C. Act 1988 के तहत वर्णित है के अंतर्गत आता है. श्री अनिल सिन्हा, डाइरेक्टर, सीबीआई ने अपने कर्तव्य का पालन तो नहीं ही किया है बल्कि अपने पद एवं प्राधिकार का दुरूपयोग कर उच्च स्तरीय घोटालेबाजों को बचाने हेतु सारी ऊर्जा लगाई है.
अतः आग्रह है कि श्री अनिल सिन्हा के इस भ्रष्ट आचरण की जाँच सक्षम एजेंसी से कराकर उनपर यथोचित कार्रवाई करें ताकि  भ्रष्टाचार की जाँच हेतु देश की सर्वोच्च सम्माननीय संस्था सीबीआई का कोई भी डाइरेक्टर भविष्य में इस तरह का पक्षपातपूर्ण एवं भ्रष्ट व्यवहार नहीं कर सके.

विश्वासी-
शिव प्रकाश राय 
चरित्रवन,
धोबीघाट,
गली नंबर- 2, बक्सर (बिहार)
मोबाईल- 9931270702
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