देशवासियों
के सपने साकार होंगेः पी.एम.
आखिरकार
इनोवेशन भारत में क्यों नहीं होते?
नयी
दिल्ली। भारत में व्याप्त असानता का खात्मा महज एक ‘क्लिक’ से हो जाएगा। इस तरह का सपना
देशवासियों को इंदिरा गाँधी ऑडिटोरियम में दिखाया गया। यहाँ पर प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल वीक की शुरूआत कर दी है। ई-हेल्थ,ई-एडुकेशन और ई-लॉकर की शुरूआत की। मौके पर पी.एम.मोदी ने कहा कि घर में
आगमन होने पर पहले के बच्चे चश्मा और पॉकेट से पेन निकालकर खेलने लगते थे। अब तो
मोबाइल ही झपटने लगे हैं। मोबाइल को खोलकर बटन दबाने लगते हैं। स्क्रीन टच करने
लगते है। मनचाही खेल नहीं खेल सकते की स्थिति में रोने लगते हैं। हर बच्चा डिजिटल
की ताकत को समझने लगे हैं। आज मोबाइल की जरूरत पड़ गयी है। अगर इसका सदुपयोग नहीं
करेंगे तो पीछे पड़ जाएंगे। इस अवसर पर युवाओं का आह्वान किया कि गूगल बाबा के
चंगुल से निकलने के लिए युवा इनोवेशन कार्य करें। भारतीय युवाओं का आह्वान साइबर
सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी किया।
इसके
अलावे 600 से अधिक शहरों में 7 डेज कार्यक्रम होते रहेगा। देशभर में वाई-फाई की सुविधा देकर भारत और
इंडिया के बीच में समानता लाने का सपना देखा गया। इसमें उद्योगपतियों का भी सहयोग
मिल रहा है। उद्योगपति मुकेश अंबानी ने 2.5 लाख करोड़
निवेश करेंगे। सुनील भारती मित्तल एक लाख करोड़ निवेश करेंगे। बिरला ग्रुप 7 बिलियन डॉलर निवेश करेगा। इन लोगों के द्वारा 18 लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा। इसके साथ 4.5 लाख करोड़ निवेश करेंगे।
भारत और
इंडिया के बीच की दूरी केवल ‘माउस’ भर रह गया है। मोबाइल अथवा कम्प्यूटर के द्वारा महज एक ‘क्लिक’ करते ही भारत और
इंडिया के बीच में समानता आ जाएगी।वजह यह है कि 1 जुलाई से डिजिटल इंडिया हो गया है। आजादी के 68 साल में शासक आए और चले गए। मगर भारतीय संविधान में व्याप्त भारत और
इंडिया को एक नहीं कर सके।शुरू से ही भारत के लोग असानता के दंश झेलकर हाशिए पर ही
ठहर गए।वहीं इंडिया के लोग दिन दुगुनी और रात चौगुनी तरक्की करते चले जा रहे थे।
व्याप्त
असानता को दूर करने का तानाबाना यू.पी.ए.सरकार ने बुनी थी।यू.पी.ए.सरकार ने डिजिटल
इंडिया मिशन की शुरूआत की थी। अब उसे आगे राजग सरकार बढ़ा रही है। वर्ष 2019 तक देश के 2.5 लाख पंचायतों को
डिजिटल इंडिया बना दिया जाएगा। इस मिशन में प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ना है। अभी तक
इंटरनेट की सुविधाओं का लाभ 25-30 लाख लोग ही उठा
रहे हैं। 100 करोड़ सुविधाविहीन हैं। शासन में
पारदर्शिता लाना है।बॉड बैंड के माध्यम से पंचायत से मंत्रालय तक को जोड़ना है।
ई-गर्वनेस को एम-गर्वनेस (मोबाइल) की ओर मोड़ना है। आपके हाथ में संपूर्ण सरकार है।
52 तरह की सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।
अव्वल 2 जी, 3 जी और अब 4 जी में फिसड्डी इंटरनेट स्पीड है। कोरिया में 4 जी 2006 में आ गया। इसके
6 साल बाद भारत में 2012 में आया। 2015 में कुछ स्थानों
में 4 जी संचालित है। इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने
में 3 से 4 साल लगेंगे।जो मोटी रकम देकर इंटरनेट की सुविधाओं से लाभ उठा रहे हैं।
स्पेक्ट्रम बैंड को सस्ता करना चाहिए। मगर आज भी इंटरनेट स्लो से स्लो संचालित होता
है। हकीकत है कि भारत में 2.3 एमबीपीएस स्पीड
है। 42 प्रतिशत लोगों को 2 जी और 3 जी के बीच में अन्तर ही पता नहीं चल पाता है। संसार में भारत
52 वें स्थान पर है। पल भर के कार्य मिनटों
में भी खत्म नहीं हो पाता है। आखिर गतिविहीन इंटरनेट से सपनों को किस तरह से डाउनलॉड
किया जाएगा?वहीं अब भी काफी संख्या में लोग
आधुनिक सुविधाओं से महरूम हैं। अब सरकार चाहती हैं कि दूर दराज गाँवों में रहने
वालों को कम कीमत पर मोबाइल उपलब्ध करा दें।
आलोक
कुमार
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