Friday 9 October 2015

मायावी जाल में फंसकर “ ज्ञानी”अज्ञानी बनकर हस्ताक्षर कर दिया

बिहार धार्मिक न्यास पर्षद में चालक पद पर कार्यरत थे
बिहार धार्मिक न्यास पर्षद की नौकरी से ज्ञानी पाण्डेय सेवामुक्त

भोजपुर। आरा नगर थानान्तर्गत पंचीत दालान,भलुहीपुर गांव में रहते हैं ज्ञानी पाण्डेय। बिहार धार्मिक न्यास पर्षद में चालक पद पर कार्यरत थे। इनको 6 माह तक दैनिक मजदूरी करायी गयी। दैनिक मजदूरी में मात्र 89 रू.दिया गया। जब ज्ञानी पाण्डेय ने नियुक्ति पत्र देने की मांग की तब नियुक्ति पत्र दिया गया और मासिक वेतनमान 4 हजार रू. कर दिया गया। यह खुशी बहुत दिन तक नहीं रहा। कार्यालय अधीक्षक ने गलत ढंग से संचिका पर हस्ताक्षर करवाकर वेतनमान 3 हजार 500 रू.कर दिए और 500 रू.डकारने लगे। जब ज्ञानी पाण्डेय ने अध्यक्ष के पास जाकर पोल खोली तो अध्यक्ष महोदय ने कार्यालय अधीक्षक के वेतनमान से 500रू.काटकर 500 रू.चालक को देने का आदेश दे दिए। यह राशि नहीं मिली। इस बीच चालक को 13 फरवरी 2013 से सेवामुक्त कर दिया गया।

अनुबंध पर 2 साल के लिए 16 मई 2008 को बहालः बिहार धार्मिक न्यास पर्षद की ओर से दिसम्बर 2006 को विज्ञापन निकाली गयी। पंचीत दालान,भलुहीपुर गांव में रहने वाले ज्ञानी पाण्डेय ने चालक पद का आवेदन पत्र दिया। 2 वर्षों का अनुबंध के आधार पर आवेदन लिया गया। आवेदन पत्र के आलोक में पर्षद कार्यालय से 15 मई 2008 फोन से सूचना दी गयी। यह बताया कि कार्यालय अवधि में 16 मई 2008 को आए। 16 मई 2008 को यह भी बताया कि छह माह के बाद स्थायी नौकरी कर दी जाएगी। बिना नियुक्ति पत्र दिए ही 89 रूपए दैनिक मजदूरी तय करके हिन्दू धार्मिक न्यास न्यायाधिकरण कोर्ट, पटना के कार्यालय हेतु कार्य करने के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया। बिहार धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष ने मौखिक आदेश निर्गत दिया।

नियुक्ति पत्र देने की मांगः नौ महीने से काम करने वाले चालक ज्ञानी पाण्डेय ने बिहार धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष से मिले और नियुक्ति पत्र देने की मांग करने लगे। इनको आश्वासन दिया गया था कि नियुक्ति पत्र दिया जाएगा।तब इस बाबत अध्यक्ष महोदय ने कहा कि आपने तो साक्षात्कार ही नहीं दिए हैं। कार्यालय के द्वारा साक्षात्कार लेने के बाद ही नियुक्ति पत्र निर्गत किया जा सकता है। अल्पवेतनभोगी ज्ञानी पाण्डेय ने साक्षात्कार देने के बाद नियुक्ति पत्र देने और वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर 7 सितम्बर 2009 को त्याग पत्र दे दिए। त्याग पत्र पेश करके घर प्रस्थान कर गए। इस बीच सूचना दी गयी कि आपको नियुक्ति पत्र निर्गत किया जाएगा। कार्यालय ने चालक पद का वेतनमान 4 हजार रू.निर्धारित कर नियुक्ति पत्र दे दिए।

और कार्यालय 500 रू.डकारने लगेः मजे की बात है कि बिहार राज्य धार्मिक पर्षद के कार्यालय अधीक्षक ने चालक ज्ञानी पाण्डेय को कार्यालय में 19 अक्टूबर 2009 को बुलाया। बहुत ही प्रेम से ज्ञानी को बताने लगे कि इस पर्षद में बहाल प्यून एवं रात्रि प्रहरी का समान वेतनमान है। इन लोगों को एक समान ही वेतनमान मिलता है। मासिक 3 हजार 500 रू. मिलता है। इसके आलोक में चालक पद हेतु वेतनमान भी मात्र 3,500 रू. ही देना उचित होगा। इसके बाद अधीक्षक महोदय ने कहा कि अगले वेतनमान में प्रस्ताव है कि प्यून के वेतनमान से ज्यादा चालक पद हेतु देने का विचार है। क्योंकि चालक का पद टेकनिकल है। इसके बाद कार्यालय अधीक्षक ने ज्ञानी पाण्डेय के निजी संचिका पर हस्ताक्षर करवा लिए। मायावी जाल में फंसकर ज्ञानी पाण्डेय ने अज्ञानी बनकर हस्ताक्षर कर दिया। और कार्यालय 500 रू.डकारने लगे।

पोल खोलने के बाद भी कार्रवाई नहीं: कुछ महीने के बाद चालक ज्ञानी पाण्डेय ने पर्षद के अध्यक्ष से मिलकर आपबीती और कार्यालय अधीक्षक की कार्रवाई से अवगत कराया।हुजूर, आपने नियुक्ति पत्र में मासिक 4 हजार रू. देने का आदेश जारी किए हैं। कार्यालय अधीक्षक ने पाठ पढ़ाकर मासिक 4 हजार रू. वेतन भुगतान को बदलकर 3,500 रू.प्रतिमाह कर दिया हैं।500 रू.का पता ही नहीं चल पा रहा है।कार्यालय अधीक्षक के द्वारा इस तरह का भ्रष्टाचार को बंद करने के लिए अध्यक्ष महोदय ने कार्यालय के बड़ा बाबू से संचिका मंगाकर उस संचिका पर आदेश निर्गत किया जिस संचिका पर ज्ञानी पाण्डेय को अगले आदेश तक सेवा विस्तार का आदेश निर्गत किया गया था, उसी पर अध्यक्ष महोदय ने आदेश दिये कि कार्यालय अधीक्षक के वेतनमान से 500 रू. की कटौती की जाए। चालक पाण्डेय के वेतनमान से काटी गयी 500 रू.प्रतिमाह के हिसाब से बकायी राशि का भुगतान कर दिया जाए। दुर्भाग्य से भुगतान नहीं किया गया। इस बीच चालक को 13 फरवरी 2013 से सेवामुक्त कर दिया गया।

आलोक कुमार




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